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Indian Navy Swavlamban 2025: ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीखों को ‘स्वावलंबन’ में चुनौती बनाएगी नौसेना, पाकिस्तान को चीन से मिलने वाली पनडुब्बियों पर है नेवी की नजर

वाइस एडमिरल वात्सायन ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में सामने आए कई महत्वपूर्ण पाठ आज नौसेना की प्राथमिकता हैं। इन्हें अब सीधे एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन इकोसिस्टम के सामने रखा जा रहा है...

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📍नई दिल्ली | 20 Nov, 2025, 4:40 PM

Indian Navy Swavlamban 2025: भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने कहा कि नौसेना इस समय चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नौसैनिक रक्षा साझेदारी पर लगातार नजर रख रही है। उन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान को सबमरीन और वॉरशिप दे रहा है और भारतीय नौसेना हर गतिविधि को ध्यान से मॉनिटर कर रही है, ताकि भारत की समुद्री सुरक्षा पूरी तरह मजबूत रहे।

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राजधानी में आयोजित नौसेना के बड़े कार्यक्रम स्वावलंबन 2025 के लिए आयोजित प्रेस इवेंट में वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि भारतीय नौसेना को पूरी जानकारी है कि चीन पाकिस्तान को सबमरीन दे रहा है और पाकिस्तान जल्द ही इन्हें अपनी नौसेना में शामिल करना शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि भारत भी सभी हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है और जरूरत के अनुसार अपनी तैयारी को भी मजबूत कर रहा है। स्वावलंबन 2025 का आयोजन नई दिल्ली में 25–26 नवंबर को होने वाला है।

Indian Navy Swavlamban 2025: पाकिस्तान को मिल रही हैं चीनी हंगोर क्लास सबमरीन

पाकिस्तान ने चीन के साथ 5 बिलियन डॉलर के समझौते के तहत हंगोर क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन खरीदी हैं। कुल 8 सबमरीन इस समझौते में शामिल हैं। इनमें से चार चीन में और चार कराची में बनाई जा रही हैं। अगले साल से इनकी डिलीवरी शुरू हो जाएगी।

पहली सबमरीन अप्रैल 2024 में लॉन्च हुई, जबकि दो और सबमरीन इसी साल लॉन्च की गईं। सभी 8 सबमरीन 2028 तक डिलीवर हो जाएंगी। पाकिस्तान नौसेना प्रमुख एडमिरल नवीन अशरफ ने हाल ही में कहा कि यह प्रोजेक्ट 2026 तक तय समय पर आगे बढ़ रहा है।

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पाकिस्तान इन सबमरीन को अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए ला रहा है, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जब उसकी नौसेना की तैयारी पर काफी सवाल उठे थे।

Indian Navy Swavlamban 2025: भारत ने कहा- हर स्थिति पर नजर, तैयारी है पूरी

वाइस एडमिरल वात्सायन ने साफ कहा कि भारत स्थिति को हल्के में नहीं ले रहा। उनका कहना था कि भारतीय नौसेना लगातार हर हरकत को देख रही है और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए जरूरत के हिसाब से क्षमता बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा, “हम हर स्थिति को मॉनिटर कर रहे हैं। हमें पता है पाकिस्तान की सबमरीन इंडक्शन शुरू होने वाली है। हम जानते हैं कि एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए हमें क्या क्षमताएं चाहिए। भारतीय नौसेना पूरी तरह तैयार है।”

वाइस एडमिरल वात्सायन ने यह भी बताया कि चीन अपनी नौसेना को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है। चीन ने हाल ही में अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान शामिल किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को भी नए जहाज और प्लेटफॉर्म जल्द मिलेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के कई जहाज निर्माणाधीन हैं और अगले दो सालों में नौसेना को कई महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म मिल जाएंगे।

वाइस चीफ ने बताया कि भारतीय नौसेना इंडियन ओशन रीजन में हमेशा नजर रखती है और किसी भी समय 40–50 विदेशी जहाज इस क्षेत्र में मौजूद रहते हैं। नौसेना लगातार इनकी गतिविधियों पर निगरानी रखती है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना किसी भी कंटिंजेंसी से निपटने के लिए तैयार है।

Indian Navy Swavlamban 2025: भारत के पास इतनी हैं सबमरीन

भारत के पास तीन स्वदेशी न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन और कई डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन हैं, जो फ्रांस, जर्मनी और रूस के साथ साझेदारी में बनाए गए हैं। नौसेना इन क्षमताओं को और बढ़ाने में लगी है। वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में और एडवांस सिप और सबमरीन शामिल करेगा।

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“ऑपरेशन सिंदूर की सीखों को हमने चुनौतियों में बदला”

वाइस एडमिरल वात्सायन ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में सामने आए कई महत्वपूर्ण पाठ आज नौसेना की प्राथमिकता हैं। इन्हें अब सीधे एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन इकोसिस्टम के सामने रखा जा रहा है, ताकि इनके लिए स्वदेशी समाधान तैयार किए जा सकें।

उन्होंने साफ कहा, “जो हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा और जो सीख मिलीं, हमने उनमें से कई को चुनौतियों में बदला है। ये सभी चुनौतियां स्वावलंबन में प्रस्तुत की जाएंगी।”

नौसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जो मई में हुआ था, उसके पहले और बाद की सभी ऑपरेशनल जरूरतों की पहचान की है। अब इन्हें तकनीकी चैलेंज के रूप में इंडस्ट्री से समाधान विकसित करने के लिए कहा जाएगा।

उन्होंने कहा कि कुछ चुनौतियां पहले से पहचानी गई थीं और कुछ ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आईं। दोनों ही तरह की जरूरतें अब इस इवेंट का हिस्सा होंगी।

Indian Navy Swavlamban 2025: मातंगी बनी नौसेना की बड़ी सफलता

वाइस एडमिरल वात्सायन ने ऑटोनॉमस सरफेस वेसल मातंगी को नौसेना की बड़ी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि मातंगी को पिछले स्वावलंबन इवेंट में आजमाया गया था और यह नौसेना की सभी ऑपरेशनल जरूरतों पर खरी उतरी।

उन्होंने बताया, “मातंगी पिछले स्वावलंबन में ट्रायल हुई और यह हमारी सभी आवश्यकताओं पर खरा उतरी। इसी सफलता के आधार पर हमने इसके 10 और बोट्स का ऑर्डर दिया है।”

मातंगी को सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने विकसित किया है, एक फास्ट इंटरसेप्टर बोट है जो बिना ड्राइवर के समुद्री निगरानी, सुरक्षा और तेज जवाबी कार्रवाई के लिए बनाई गई है। इसे स्वावलंबन 2024 दौरान रक्षा मंत्री ने हरी झंडी दिखाई थी।

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Indian Navy Swavlamban 2025: स्वदेशी तकनीक और एमएसएमई पर जोर

उन्होंने बताया कि इस साल के स्वावलंबन 2025 कार्यक्रम में नई तकनीकों, स्वदेशी समाधान और आत्मनिर्भर भारत पर खास फोकस रहेगा। नौसेना इस समय स्वदेशी हथियार और तकनीक अपनाने पर जोर दे रही है।

नौसेना ने हाल ही में स्वॉर्मिंग बोट्स के 12 सेट का ऑर्डर दिया है और लगभग 1,400 करोड़ रुपये के अन्य ऑर्डर भी दिए गए हैं। साथ ही, देश में हाई-पावर माइक्रोवेव, डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स, और लेजर वेपंस डेवलप किए जा रहे हैं।

यह कार्यक्रम नौसेना, उद्योग, स्टार्ट-अप और रक्षा क्षेत्र को एक मंच पर लाने का बड़ा अवसर माना जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।

नौसेना ने बताया कि स्वावलंबन 2025 में 80 से अधिक स्टॉल लगेंगे, जिनमें विभिन्न स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई अपनी तकनीक दिखाएंगे। नौसेना ने कई श्रेणियों में चुनौतियां रखी हैं, जिनमें साइबर डोमेन, कॉग्निटिव वॉरफेयर,
इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम शामिल हैं। हाल ही में हुई ट्राई सर्विस एक्सरसाइज त्रिशूल में भी इन्हें आजमाया गया था।

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    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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