📍नई दिल्ली | 31 Oct, 2025, 5:10 PM
Indian Navy on Chinese Vessel: भारतीय नौसेना ने साफ किया है कि वह भारतीय महासागर क्षेत्र में आने वाले हर जहाज पर कड़ी नजर रख रही है, चाहे वह किसी भी देश का हो। खास तौर पर चीन के जहाजों की हर गतिविधि पर बारीकी से निगरानी की जा रही है। नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय नौसेना वर्तमान में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पूरी तरह तैनात है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना के इस समय लगभग 40 जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात हैं और जल्द ही इनकी संख्या 50 से ऊपर कर दी जाएगी। उन्होंने यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू की तैयारियों के दौरान दी, जो फरवरी 2026 में विशाखापट्टनम में आयोजित होगा।
Indian Navy on Chinese Vessel: हिंद महासागर क्षेत्र में एक्स्ट्रा-रीजनल पावर्स की मौजूदगी
वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार एक्स्ट्रा-रीजनल पावर्स की मौजूदगी बढ़ रही है। उन्होंने बताया, “किसी भी समय कम से कम 40 जहाज हिंद महासागर में एक्टिव रहते हैं, और यह संख्या अब 50 से भी अधिक होने जा रही है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि नौसेना क्षेत्र में मौजूद हर विदेशी जहाज की गतिविधि को ट्रैक कर रही है, कि वह कब आता है, कब जाता है, क्या कर रहा है और उसका उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तेल और माल परिवहन का सबसे बड़ा रास्ता हिंद महासागर से होकर गुजरता है, इसलिए इस क्षेत्र की निगरानी बहुत जरूरी है।
चीन का शोध जहाज शेन हाई यी हाओ भारतीय महासागर में
भारतीय नौसेना की बढ़ी सतर्कता के बीच, चीन का डीप-सी रिसर्च जहाज शेन हाई यी हाओ हिंद महासागर में प्रवेश कर चुका है। यह जहाज वर्तमान में मालदीव की राजधानी माले की ओर बढ़ रहा है और 30 अक्टूबर 2025 को इसे मलक्का जलडमरूमध्य में ट्रैक किया गया था।
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India is set to host the International Fleet Review (IFR) 2026 at Visakhapatnam, where navies from across the world will converge for an unforgettable maritime spectacle.
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यह जहाज एक मानव-संचालित गहरे समुद्र वाला सबमर्सिबल ‘जियाओलोंग’ लेकर चल रहा है, जो 7000 मीटर से अधिक गहराई तक गोता लगाने में सक्षम है। यह चीन के समुद्र-तल सर्वेक्षण और गहरे समुद्र की खोज के मिशनों में इस्तेमाल होता है।
चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर
वाइस एडमिरल वात्सायन ने बताया कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर में आने वाले हर चीनी युद्धपोत और रिसर्च वेसल पर नजर रख रही है। उन्होंने कहा, “हम हर जहाज को मॉनिटर कर रहे हैं, चाहे वह नेवल शिप हो या रिसर्च वेसल। हमें उनकी हर गतिविधि की जानकारी रहती है।”
ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है
वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है और इसके तहत नौसेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा, “हमारे सभी ऑपरेशनल प्लान्स तैयार हैं। हम पूरी तरह तैनात हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर जारी है और आगे भी जारी रहेगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ भारतीय नौसेना अपनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और अभ्यासों को भी जारी रखे हुए है। उन्होंने कहा, “हम विदेशी नौसेनाओं के साथ अपनी जॉइंट एक्सरसाइजेज और योजनाओं को बिना किसी रुकावट के जारी रख रहे हैं।”
अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू 2026
भारतीय नौसेना फरवरी 2026 में विशाखापट्टनम में अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू आयोजित करेगी। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नौसेना बेड़े का निरीक्षण करेंगी। यह कार्यक्रम 18 फरवरी को होगा। पहला फ्लीट रिव्यू 2001 में आयोजित हुआ था, जबकि दूसरा फ्लीट रिव्यू 2016 में विशाखापट्टनम में आयोजित किया गया था।
इस बार के फ्लीट रिव्यू में स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और कलवरी क्लास पनडुब्बियां भी हिस्सा लेंगी। यह पहली बार होगा जब भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन का हिस्सा बनेगा। साथ ही, विशाखापट्टनम क्लास डेस्ट्रॉयर, नीलगिरी क्लास फ्रिगेट्स, और अर्नाला क्लास एंटी-सबमरीन युद्धपोत भी प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके साथ ही दोस्त राष्ट्रों की नौसेनाओं, कोस्ट गार्ड और मर्चेंट मरीन जहाजों की भी भागीदारी रहेगी।
वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि भारत के सभी योजनाबद्ध रक्षा और कूटनीतिक कार्यक्रम पहले की तरह जारी रहेंगे। उन्होंने कहा, “हम ऑपरेशन सिंदूर के तहत पूरी तरह तैनात हैं और साथ ही अपनी वैश्विक गतिविधियां और अभ्यास भी जारी रखे हुए हैं।”
वाइस एडमिरल के अनुसार, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसके रक्षा कार्यक्रम और सैन्य तैयारियां किसी भी तरह की ज्योपॉलिटिकल परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होंगी। भारतीय नौसेना अपनी सभी योजनाओं को समानांतर रूप से चला रही है, चाहे वह ऑपरेशन सिंदूर के तहत की जाने वाली तैनाती हो या फिर अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों की योजना। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना हमेशा तैयार रहती है और किसी भी संभावित चुनौती या आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
पहली बार एक साथ तीन बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी
भारत फरवरी 2026 में एक ऐतिहासिक समुद्री आयोजन की मेजबानी करने जा रहा है। देश पहली बार एक साथ तीन बड़े अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिनमें इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू 2026, अभ्यास मिलन 2026 और आईओएनएस कॉन्क्लेव ऑफ चीफ्स शामिल हैं। ये सभी आयोजन 15 से 25 फरवरी 2026 के बीच विशाखापट्टनम में होंगे।
यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए समुद्री विजन ‘महासागर’ को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। यह विजन भारत की मौजूदा नीति ‘सागर’ (सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) का विस्तार है, जो अब पूरे क्षेत्र में सुरक्षा, विकास, स्थिरता और सहयोग पर केंद्रित है।
इन आयोजनों का मकसद भारत की नौसैनिक ताकत, स्वदेशी तकनीकी क्षमता और वैश्विक साझेदारी को प्रदर्शित करना है। इस ऐतिहासिक समुद्री सम्मेलन में दुनिया भर की नौसेनाओं को आमंत्रित किया गया है। विशाखापट्टनम इन तीनों आयोजनों की मेजबानी करेगा।
कार्यक्रम के दौरान भारत एक विश्वसनीय सुरक्षा सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका दिखाएगा। आयोजन में भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी, महासागर और इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव जैसे स्ट्रेटेजिक फ्रेमवर्क्स की झलक भी देखने को मिलेगी।
एक्सरसाइज मिलन 2026 का सी फेज
एक्सरसाइज मिलन 2026 का सी फेज और हार्बर फेज दोनों ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित होंगे। इसमें विभिन्न देशों की नौसेनाएं एंटी-सबमरीन वारफेयर, एयर डिफेंस, सर्च एंड रेस्क्यू, और मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस जैसे अभियानों में हिस्सा लेंगी।
इस दौरान आरके बीच पर एक भव्य इंटरनेशनल सिटी परेड भी आयोजित होगी, जिसमें भारतीय नौसेना, थल सेना, वायु सेना और अन्य देशों की टुकड़ियां हिस्सा लेंगी। इस परेड में आम नागरिकों को मैरीटाइम डिप्लोमेसी की झलक देखने को मिलेगी।
आईओएनएस कॉन्क्लेव ऑफ चीफ्स 2026
आईओएनएस (इंडियन ओशन नवल सिम्पोजियम) के दौरान भारतीय नौसेना दूसरी बार (2025-2027) के लिए इसकी अध्यक्षता करेगी। इस बैठक में 25 सदस्य देशों, 9 पर्यवेक्षक देशों और कई विशेष आमंत्रित देशों के नौसेना प्रमुख शामिल होंगे। वे समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, सूचना और साझेदारी जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।
भारत ने पहली बार 2001 में मुंबई में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू की मेजबानी की थी, जिसमें 20 देशों की नौसेनाएं शामिल हुई थीं। इसके बाद 2016 में विशाखापट्टनम में यह आयोजन और बड़ा हुआ। इसी तरह अभ्यास मिलन की शुरुआत 1995 में पोर्ट ब्लेयर से हुई थी, जिसमें सिर्फ चार नौसेनाएँ शामिल थीं। अब यह दुनिया का प्रमुख बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास बन चुका है।

