📍जैसलमेर, राजस्थान | 24 Oct, 2025, 8:26 PM
Rajnath Singh Jaisalmer Visit: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो दिवसीय दौरे पर राजस्थान के सीमा जिले जैसलमेर पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय सेना की सुरक्षा तैयारियों और ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा की। उन्होंने सीमा के अग्रिम इलाकों तनोट और लौंगेवाला का भी दौरा किया और वहां सेना के जवानों से मुलाकात की। यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब भारतीय सेना नई स्ट्रेटेजिक कॉन्सेप्ट्स, ग्रे जोन वारफेयर और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशंस पर फोकस कर रही है।
Rajnath Singh Jaisalmer Visit: आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को किया संबोधित
रक्षा मंत्री ने जैसलमेर में आयोजित आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 को संबोधित किया, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी, डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह, वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह और सभी आर्मी कमांडर मौजूद थे। इस सम्मेलन में सेना की मौजूदा तैयारी, सीमाओं की सुरक्षा स्थिति और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा हुई।
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य शक्ति, अनुशासन और राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि राष्ट्र की बहादुरी और संयम का प्रतीक बन गया है। हमारे सैनिकों ने दिखाया है कि उनकी ताकत केवल हथियारों में नहीं, बल्कि उनके नैतिक अनुशासन और रणनीतिक स्पष्टता में है।”
आतंकवादी गतिविधि का जवाब अपनी शर्तों पर देता है भारत
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत अब किसी भी आतंकवादी गतिविधि का जवाब अपनी शर्तों पर देता है। यही नए भारत का रक्षा सिद्धांत है, जो दृढ़ निश्चय और साहस का प्रतीक है। उन्होंने सैनिकों को संदेश दिया कि वे अपने शत्रुओं को कभी कम न आंकें और हर समय सतर्क और तैयार रहें।
सेना सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री को ग्रे जोन वारफेयर पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस रणनीति में पारंपरिक युद्ध से हटकर साइबर अटैक, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और सूचना युद्ध जैसी आधुनिक रणनीतियों को शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य बिना फुल स्केल वॉर के दुश्मन को कमजोर करना और उसकी क्षमताओं को कम करना है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की सेना को अब “स्मार्ट वॉरफेयर” की दिशा में आगे बढ़ना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युद्ध केवल मशीनों से नहीं, बल्कि सैनिकों की इच्छाशक्ति, साहस और तुरंत फैसले लेने की क्षमता से जीते जाते हैं। उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी ताकत को कई गुना बढ़ाती है, लेकिन जीत मानव मनोबल से होती है।”
राजनाथ सिंह ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा कि उन्हें डिफेंस डिप्लोमेसी, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध, रक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर और फोर्स मॉडर्नाइजेशन पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि सेना भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहे।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सेना की भूमिका की भी सराहना की। अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां शांति और विकास को लेकर उन्होंने कहा कि “आज कश्मीर की गलियों में निराशा नहीं, उम्मीद दिखती है। यह सेना के समर्पण और अनुशासन का परिणाम है।”
रक्षा मंत्री ने उत्तरी सीमा की स्थिति पर भी चर्चा की और कहा कि भारत की नीति स्पष्ट है, बातचीत भी होगी और सीमाओं पर पूरी तैयारी भी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति दृढ़ और संतुलित है, और यह भारत के आत्मविश्वास को दर्शाती है।
‘भैरव बटालियन’ और ‘अश्नि प्लाटून’ के शानदार प्रदर्शन को भी देखा
इस दौरान रक्षा मंत्री ने ‘भैरव बटालियन’ और ‘अश्नि प्लाटून’ के शानदार प्रदर्शन को भी देखा। ये दोनों नई मिलिट्री यूनिट हैं जिन्हें आधुनिक ग्रे जोन वारफेयर और ड्रोन आधारित ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया है।
भैरव लाइट कमांडो बटालियन है, जो पैरा और घातक कमांडोज के बीच की कड़ी हैं। ये सीमावर्ती इलाकों में तेजी से कार्रवाई करने में सक्षम हैं। वहीं अश्नि प्लाटून को खास तौर पर ड्रोन ऑपरेशन, निगरानी और रिकॉनिसेंस मिशन के लिए तैयार किया गया है। अश्नि ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में हुए अभ्यास युद्ध कौशल 3.0 में भी हिस्सा लिया था। सेना ने ड्रोन अभियानों के लिए 380 समर्पित अश्नि प्लाटून भी गठित की हैं।
वर्तमान में, देश भर में पांच भैरव लाइट कमांडो बटालियन कार्यरत हैं, जबकि चार के गठन की प्रक्रिया चल रही है। अगले छह महीनों में 16 और बटालियनों का गठन किया जाएगा। जैसा कि एक दिन पहले रक्षा समाचार डॉट कॉम ने बताया था।
राजनाथ सिंह ने इन प्रदर्शन को देखकर कहा कि यह सेना की आधुनिकता और इनोवेशन का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना आज परंपरा और तकनीक का संगम बन चुकी है, एक ऐसी फोर्स जो न केवल सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर भविष्य की प्रतीक भी है।
‘चांदपुरी हॉल’ का उद्घाटन
दौरे के दौरान रक्षा मंत्री ने जैसलमेर में स्थित लौंगेवाला युद्ध स्थल पर जाकर 1971 के युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ‘चांदपुरी हॉल’ का उद्घाटन किया, जिसे मेजर (बाद में ब्रिगेडियर) कुलदीप सिंह चंदपुरी की याद में बनाया गया है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में बहादुरी से पाकिस्तान की सेना का मुकाबला किया था।
इस अवसर पर उन्होंने उस युद्ध में शामिल पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया और कहा कि “लौंगेवाला की लड़ाई भारतीय सेना के साहस और संकल्प की मिसाल है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।”
राजनाथ सिंह ने अपने दौरे के दौरान भारतीय सेना के कई नए तकनीकी प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी किया। इनमें कोणार्क और फायर एंड फ्यूरी कोर के एज डेटा सेंटर, सैनिक यात्री मित्र एप, इक्विपमेंट हेल्पलाइन, और डिफेंस मिलेट डिशेज कंपेंडियम शामिल हैं। इन प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य सेना की तकनीकी दक्षता और जवानों की सुविधा को बढ़ाना है।
रक्षा मंत्री ने जैसलमेर में एक अनोखे पर्यावरणीय प्रोजेक्ट ‘शौर्य वन’ का भी उद्घाटन किया। यह एक विशेष कैक्टस गार्डन है जो राजस्थान के रेगिस्तानी पौधों की प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह पहल सेना की पर्यावरणीय जिम्मेदारी और स्थानीय पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है।

