📍पुणे | 19 Sep, 2025, 7:01 PM
Non-Contact Warfare: भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल आर्टिलरी, लेफ्टिनेंट जनरल आदोष कुमार का कहना है कि पहले लड़ाइयां आमने-सामने लड़ी जाती थीं, लेकिन अब कई बार दुश्मन को दूर से ही हराने की जरूरत होती है। इसे ही नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर कहा जाता है। डीजी आर्टिलरी पुणे में पुणे में जनरल एसएफ रॉड्रिग्स मेमोरियल सेमिनार 2025 में बोल रहे थे। इस सेमिनार का आयोजन भारतीय सेना और सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज (CLAWS) ने मिलकर करते हैं। यह सेमिनार सेना के पूर्व चीफ जनरल एसएफ रॉड्रिग्स की याद में हर साल आयोजित की जाती है।
जनरल एसएफ रॉड्रिग्स मेमोरियल सेमिनार 2025 का इस बार का मुख्य विषय था, “नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर और भारतीय सेना की क्षमता निर्माण।” सेमिनार को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल आदोष कुमार ने कहा कि अब युद्ध का रूप बदल चुका है। पहले लड़ाइयां आमने-सामने लड़ी जाती थीं, लेकिन अब कई बार दुश्मन को दूर से ही हराने की जरूरत होती है। इसे ही नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर कहा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना को नई तकनीक और आधुनिक तरीकों को अपनाकर अपनी तैयारी और मजबूत करनी होगी।
सेमिनार को तीन अलग-अलग सत्रों में बांटा गया। पहले सत्र में भारत के सामने मौजूद साइबर अटैक, फेक न्यूज, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और इंफॉर्मेशन वॉरफेयर जैसी चुनौतियों पर चर्चा हुई। दूसरे सत्र में दुनिया भर में हो रहे बदलावों और तकनीकों को भारतीय सेना किस तरह अपना सकती है, इस पर जोर दिया गया। तीसरे और आखिरी सत्र में सेना के अधिकारियों और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने चर्चा की। इसमें साफ हुआ कि सेना और शिक्षा जगत मिलकर काम करेंगे तो नई सोच और रणनीतियां तैयार होंगी।
सेमिनार में सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि आज की जटिल सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना को मल्टी-डोमेन एप्रोच अपनाना होगा। इसका अर्थ है कि थल, जल और वायु सेना के साथ-साथ साइबर, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर जैसे क्षेत्रों को भी इंटीग्रेट किया जाए। अगर इन सबको मिलाकर तैयारी की जाए तो किसी भी चुनौती का सामना आसानी से किया जा सकता है।
इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन, चीफ ऑफ स्टाफ, सदर्न कमांड, कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, उद्योग जगत से जुड़े लोग, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और सेना के वेटरन भी मौजूद थे।