📍नई दिल्ली | 5 months ago
Light Battle Tank Zorawar: भारतीय सेना को अपनी ताकत और तेजी बढ़ाने के लिए जल्द ही पहला स्वदेशी लाइट टैंक ‘जोरावर’ मिलने वाला है। सेना इसे यूजर ट्रायल के लिए लेगी, और इसका अंतिम फील्ड ट्रायल 21 नवंबर से लद्दाख में शुरू होगा। इससे पहले यह टैंक मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है, जहां इसे सभी मानकों पर खरा पाया गया।
लद्दाख में जोरावर का परीक्षण
लद्दाख के न्योमा इलाके में 21 नवंबर से 15 दिसंबर तक जोरावर का परीक्षण किया जाएगा। इस दौरान इसकी फायर पावर, मोबिलिटी, और प्रोटेक्शन को परखा जाएगा। परीक्षणों के सफलतापूर्वक पूरे होने के बाद, अगले साल इसे भारतीय सेना को सौंपा जाएगा ताकि सेना इसकी क्षमताओं को वास्तविक परिस्थितियों में परख सके।
जोरावर की अनोखी खासियत
‘जोरावर’ को डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) ने विकसित किया है। इसका वजन सिर्फ 25 टन है, जो इसे ऊंचे और मुश्किल इलाकों में भी तेजी से चलने में सक्षम बनाता है।
- इसमें आधुनिक वेपन सिस्टम लगे हैं, जिनमें मुख्य गन और मिसाइल शामिल हैं।
- जोरावर में ड्रोन इंटीग्रेशन की सुविधा है, जिससे दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है।
- ड्रोन द्वारा भेजा गया डेटा सीधे टैंक के कमांडर तक पहुंचता है, जिससे निर्णय लेने में तेजी होती है।
- भारतीय सेना 350 ऐसे लाइट टैंकों को शामिल करने की योजना बना रही है।
लाइट टैंक की जरूरत क्यों पड़ी?
2020 में चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में हुए तनाव ने सेना को यह सिखाया कि ऊंचाई वाले इलाकों में लाइट टैंकों की कितनी आवश्यकता है। उस समय चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर कब्जा करने की कोशिश की थी। जवाब में भारतीय सेना ने दक्षिण किनारे की ऊंची चोटियों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर चीन को बैकफुट पर ला दिया।
भारतीय सेना ने उस समय टी-72 और टी-90 जैसे भारी टैंकों को वहां तैनात किया, लेकिन ये मुख्यतः मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ऊंचाई वाले इलाकों और कच्छ के रण जैसे जगहों पर इनकी अपनी सीमाएं हैं। यही वजह है कि सेना को ऊंचाई वाले इलाकों और आइलैंड टेरिटरी में ऑपरेशन के लिए हल्के और तेज टैंकों की जरूरत महसूस हुई।
चीन के खिलाफ मजबूती
चीन के पास पहले से ही मीडियम और लाइट टैंकों का बेड़ा है। 2020 में उसने एलएसी पर स्थिति बदलने की कोशिश की थी। भविष्य में भी ऐसी कोई हरकत करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, वर्तमान में दोनों देशों के बीच बातचीत से गतिरोध खत्म करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन भारतीय सेना की मजबूती और तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ी जा सकती।
ऊंचाई वाले इलाकों में जहां दुश्मन मौजूद है, वहां उससे अधिक ऊंचाई पर भारतीय सेना के टैंक तैनात होंगे तो दुश्मन किसी भी आक्रामक कदम से पहले कई बार सोचेगा। ऐसे में ‘जोरावर’ भारतीय सेना को न केवल बेहतर रणनीतिक बढ़त देगा बल्कि उसे हर हाल में मजबूत बनाए रखेगा।
सेना की भविष्य की रणनीति
भारतीय सेना 350 लाइट टैंकों को शामिल कर अपनी तैयारियों को और मजबूत करना चाहती है। इन टैंकों का इस्तेमाल न केवल ऊंचाई वाले इलाकों में बल्कि युद्ध की हर परिस्थिति में किया जा सकेगा।
जोरावर जैसे स्वदेशी टैंक न केवल हमारी सेना की ताकत को बढ़ाते हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक अहम कदम हैं। आने वाले समय में, यह टैंक भारतीय सीमाओं पर दुश्मनों को रोकने और देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।