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Galwan Visit: नॉर्दन कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा क्यों गए गलवान और देपसांग, क्या वहां इंडिया गेट बनाने की है तैयारी?

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📍लेह | 25 May, 2025, 7:12 PM

Galwan Visit: भारतीय सेना की नॉर्दन कमांड के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने हाल ही में गलवान और देपसांग का दौरा किया। नॉर्दन कमांड का कार्यभार संभालने के बाद लेह में स्थित 14 कोर में यह उनका पहला आधिकारिक दौरा था, जिसमें उन्होंने फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की यूनिट्स और फॉर्मेशन्स के साथ मुलाकात की और इलाके की सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। इस दौरे की खास बात यह रही कि वह गलवान घाटी भी गए, जहां 15 जून 2020 की देर रात भारत औऱ चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं गलवान को अगले महीने पर्यटकों के लिए भी खोला जाना है।

Galwan Visit: गलवान घाटी क्यों गए कमांडर?

लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने 30 अप्रैल 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नॉर्दन आर्मी कमांडर का पदभार संभाला था। वे लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार की जगह पर नियुक्त हुए हैं, जो 30 अप्रैल को ही रिटायर हो गए। 22 मई 2025 को लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने गलवान घाटी और आसपास के इलाकों का दौरा किया। कमांडर बनने के बाद यहां उनका यह पहला आधिकारिक दौरा था। यह इलाका लद्दाख में तैनात त्रिशूल डिविजन का हिस्सा है। इस दौरान उन्होंने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास तैनात जवानों से मुलाकात की और उनकी तैयारियों का जायजा लिया।

नॉर्दन कमांड के आधिकारिक एक्स हैंडल से साझा की गई तस्वीरों में लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा को सैनिकों के साथ बातचीत करते और इलाके की स्थिति को समझते देखा जा सकता है। वहीं दूसरी फोटो में लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा देपसांग बुल्ज में रॉक क्लांइबिंग इक्विपमेंट्स पहने जवानों की हौसला अफजाई करते दिख रहे हैं।

नॉर्दन कमांड ने अपनी पोस्ट में लिखा है, “सैनिकों की लगन की सराहना
लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, सेना कमांडर, #नॉर्दर्नकमांड ने #फायरफ्यूरीकॉर्प्स के तहत संरचनाओं और इकाइयों का दौरा किया ताकि परिचालन तैयारियों और सुरक्षा उपायों की समीक्षा की जा सके।
सेना कमांडर ने सैनिकों की लगन और समर्पण की तारीफ की और उन्हें परिचालन प्रभावशीलता और पेशेवरता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।”

रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी, जो महार रेजिमेंट के पूर्व कर्नल और पूर्वी लद्दाख में 3 डिवीजन के कमांडर रह चुके हैं, उन्होंने कहा कि यह साइकोलॉजिकल वारफेयर का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि कोई भी नया कमांडर उन क्षेत्रों में अवश्य जाता है, जहां तनाव या गतिरोध हो। यह सेना का रणनीतिक तौर-तरीका है। नॉर्दन कमांडर जैसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस इलाके का दौरा इसलिए करते हैं ताकि वे खुद वहां की स्थिति को समझ सकें और सैनिकों की तैयारियों का जायजा ले सकें।

क्या भव्य मेमोरियल बनाने की है तैयारी?

नॉर्दन कमांड के आधिकारिक एक्स हैंडल से साझा की गई तस्वीरों में लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा अपने गलवान दौरे के दौरान वहां बने मेमोरियल भी गए। गलवान घाटी में गलवान नदी के किनारे शहीद स्मारक (मेमोरियल) का निर्माण 15 जून 2021 को पूरा हुआ था। यह स्मारक 15-16 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है। वहीं लगता है कि अब इस स्मारक को रेजांग-ला वॉर मेमोरियल की तरह भव्य बनाने की तैयारी है।

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नॉर्दन कमांड की तरफ से जारी एक फोटो में वॉर मेमोरियल के मॉडल को दिखाया गया है। जिसे देख कर अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार वहां शहीदों की याद में बड़ा मेमोरियल बनाने की तैयारी कर रही है। फोटो दो प्रोटोटाइप दिखाई दे रहे हैं। वहीं दूसरा प्रोटोटाइप कुछ खास दिखाई दे रहा हैं। उसमें इंडिया गेट बना हुआ दिखाई दे रहा है। संभव है कि वहां जाने वाले पर्यटकों को इंडिया गेट गलवान में भी देखने को मिल सकता है। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा के साथ फायर एंड फ्यूरी यानी 14 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला भी पीछे खड़े दिखाई दे रहे हैं।

15 जून से खुलेगाा गलवान!

भारतीय थलसेना दिवस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ‘भारत रणभूमि दर्शन’ नाम का एक खास प्रोग्राम शुरू किया था। इस प्रोग्राम का मकसद रणक्षेत्र टूरिज्म को बढ़ावा देना है, ताकि लोग ऐतिहासिक युद्ध स्थलों को देख सकें और शहीदों की वीरता को जान सकें। इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है, जिसका नाम ‘भारत रणभूमि दर्शन’ ही रखा गया है।

सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी को 15 जून 2025 से पर्यटकों के लिए खोलने की योजना है। यह क्षेत्र, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास है, अभी यहां जाना प्रतिबंधित है। उन्होंने बताया कि मार्च में तापमान -5 डिग्री तक पहुंचने पर काम शुरू होगा, और मई के अंत तक पर्यटकों के लिए व्यवस्था तैयार हो जाएगी। गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों की याद में एक मेमोरियल बनाया गया है। यह मेमोरियल दुर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) रोड पर श्योक गांव से करीब 100 किलोमीटर दूर है। DSDBO रोड, जो 256 किलोमीटर लंबी है, पर गलवान वॉर मेमोरियल KM 120 पोस्ट के पास स्थित है। अभी तक इस सड़क पर सिर्फ श्योक गांव तक ही आम लोगों को जाने की इजाजत थी। 2020 के बाद से इस इलाके में स्थानीय लोगों और सेना के अलावा किसी को भी आने की अनुमति नहीं दी गई थी। अब इस प्रोग्राम के जरिए लोग इन जगहों को देख सकेंगे और शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

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इस रास्ते में अभी रहने-खाने की सुविधा नहीं है, लेकिन मौसम अनुकूल होने पर अस्थायी स्ट्रक्चर, कैफेटेरिया, गेस्ट हाउस और व्यू पॉइंट बनाए जाएंगे। स्थानीय लोग होम स्टे शुरू करने के इच्छुक हैं, और सिविल प्रशासन इस दिशा में काम कर रहा है। मेमोरियल को भी रिनोवेट किया जा रहा है। अभी गलवान जाने के लिए इनर लाइन परमिट जरूरी है, लेकिन पर्यटन शुरू होने पर इसे हटा दिया जाएगा, हालांकि रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित गलवान के लिए 6 दिन का एक्लेमटाइजेशन जरूरी होगा, जिसकी पालना चेक पॉइंट्स पर सुनिश्चित की जाएगी।

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गलवान में तैनात सैनिकों को बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। ऊंचाई पर स्थित यह इलाका ठंडा और दुर्गम है, जहां ऑक्सीजन की कमी और कठोर मौसम सैनिकों के लिए रोज की चुनौती है। ऐसे में कमांडर का दौरा सैनिकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन होता है। यह दौरे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सैनिकों के पास जरूरी संसाधन, हथियार और तकनीक मौजूद हों, ताकि वे किसी भी स्थिति से निपट सकें।

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  • Galwan Visit: नॉर्दन कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा क्यों गए गलवान और देपसांग, क्या वहां इंडिया गेट बनाने की है तैयारी?

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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