📍नई दिल्ली | 12 Nov, 2025, 12:50 PM
Delhi Defence Dialogue 2025: भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि आधुनिक युद्ध अब केवल बंदूकों और तोपों से नहीं, बल्कि तकनीक, जनसंख्या और लोकतंत्रीकरण से तय होगा। उन्होंने इसे आधुनिक युद्ध के तीन ‘डी’- डेमोक्रेटाइजेशन, डिफ्यूजन और डेमोग्राफी बताया।
वे बुधवार को नई दिल्ली स्थित मनमोहन पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (MP-IDSA) में आयोजित दिल्ली डिफेंस डॉयलॉग 2025 को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का विषय था, ‘हार्नेसिंग न्यू एज टेक्नोलॉजी फॉर डिफेंस कैपेबिलिटी डेवलपमेंट’।
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज के समय में दुनिया में 50 से ज्यादा जगहों पर युद्ध चल रहे हैं और 100 से ज्यादा देश किसी न किसी रूप में इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन-रूस युद्ध को ध्यान से देख रहे हैं, क्योंकि यह हमारे लिए एक ‘लिविंग लैब’ जैसा है। इस युद्ध में ड्रोन टैंकों का पीछा कर रहे हैं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रेडियो सिग्नल जाम कर रही है और 100 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक सटीक निशाने साधे जा रहे हैं।”
Delhi Defence Dialogue 2025
सेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य का युद्ध बहुआयामी होगा, जिसमें एआई, रोबोटिक्स, क्वांटम टेक्नोलॉजी, साइबर टूल्स और एनर्जी वेपन्स का इस्तेमाल बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटाइजेशन का मतलब है कि नई तकनीक अब केवल बड़े देशों या संस्थानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हर देश और व्यक्ति तक पहुंच रही है। डिफ्यूजन का अर्थ है कि यह तकनीक अब सीमाओं से परे फैल रही है और डेमोग्राफी यानी नागरिक भी अब युद्ध में भूमिका निभा रहे हैं, चाहे वे सैनिक हों, व्यापारी हों या तकनीकी विशेषज्ञ।
General Upendra Dwivedi at Delhi Defence Dialogue 2025: “AI-in-the-box” trials with mobile formations have been successful and gave an edge in Sundur 1.0. Work with IIT Delhi on open-source and predictive analysis helped, and volunteers – including the diaspora – played an… pic.twitter.com/QpGWFB5Moc
— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) November 12, 2025
उन्होंने कहा, “अब नागरिक सैनिक और गार्डियन फोर्सेज जैसे कॉन्सेप्ट सामने आ रहे हैं, जहां आम नागरिक भी डिफेंस सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं। कुछ व्यापारी तो दोनों पक्षों को तकनीक या उपकरण बेचकर युद्ध का हिस्सा बन जाते हैं।”
जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत को अपनी दो-ढाई मोर्चों की चुनौतियों को देखते हुए हर तकनीक जिसमें ट्रेंच वॉरफेयर से लेकर हाइब्रिड और फिफ्थ-जनरेशन वॉरफेयर शामिल हैं, उन्हें पांच पीढ़ियों के युद्ध के अनुरूप ढालना होगा।
उन्होंने कहा कि सेना अब “ह्यूमन सेंट्रिक टेक्नोलॉजी” पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य मशीनों को नहीं बल्कि मनुष्यों को सशक्त बनाना है। उन्होंने बताया कि भारत में अब “इंडस्ट्री 5.0” का दौर है, जिसमें इंसानों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कॉर्डिनेशन सबसे अहम है।
सेना प्रमुख ने कहा, “हम एआई की मदद से सैनिकों की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं। हमारी कोशिश है कि डेटा को फैसले में बदलने की प्रक्रिया इंसानों के नियंत्रण में रहे, न कि मशीनों के।” उन्होंने बताया कि सेना 7वीं पीढ़ी की तकनीक, जैसे 7 नेनोमिलियन माइक्रोचिप्स टेक्नोलॉजी, एडवांस मोबाइल डिवाइस और गेमिंग कंसोल्स को भी अपनी ट्रेनिंग में शामिल कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह तकनीक न केवल युद्धक्षेत्र में उपयोगी है बल्कि तेजी से फैसले लेने और सटीकता को भी बढ़ाती है।
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली डिफेंस डायलॉग 2025 में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा था, “युद्ध और युद्ध में जीत, दोनों ही रणनीति पर निर्भर करते हैं। पहले यह रणनीति भूगोल से तय होती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे तकनीक उस पर हावी होती जा रही है। पहले सेनाएं क्षेत्र, मौसम, और भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर योजनाएं बनाती थीं, लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी और नेटवर्क सेंट्रिक सिस्टम युद्ध की दिशा तय करते हैं।”
जनरल चौहान ने बताया कि अब दुनिया भर में युद्ध केवल जमीन, हवा या समुद्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों तक फैल चुके हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल ने युद्ध की प्रकृति को पूरी तरह बदल दिया है। उन्होंने कहा कि पहले दुश्मन के स्थान और सीमाओं को जानना ही बड़ी बात होती थी, लेकिन आज तकनीक इतनी एडवांस है कि डेटा, सैटेलाइट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युद्ध के हर पहलू पर नजर रखी जा सकती है।
सीडीएस ने यह भी जोड़ा कि आधुनिक समय में रणनीतिक निर्णय केवल हथियारों पर नहीं, बल्कि डेटा और सूचना पर निर्भर करते हैं। उन्होंने कहा, “जिसके पास तकनीक की समझ और डेटा का नियंत्रण है, वही युद्ध के परिणाम तय कर सकता है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि भारत को आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन और नई तकनीकों के क्षेत्र में अग्रणी बनाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि देश की सेनाएं अब “टेक्नोलॉजी-ड्रिवन वॉरफेयर” के युग में प्रवेश कर चुकी हैं।
Delhi Defence Dialogue 2025 डिफेंस डायलॉग 2025 में कई देशों के रक्षा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस कार्यक्रम में नई तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा हुई।
