📍लेह | 1 day ago
Army convoy accident in Ladakh: लद्दाख के दुर्गम और संवेदनशील गलवान इलाके में बुधवार सुबह सेना के एक काफिले के साथ एक बड़ा हादसा हो गया। सुबह लगभग 11:30 बजे (1130 घंटे), जब भारतीय सेना का काफिला दरबुक से चोंगताश की ओर नियमित प्रशिक्षण गतिविधि के लिए जा रहा था, तभी अचानक चारबाग (गलवान) इलाके में एक खड़ी चट्टान से एक विशालकाय बोल्डर अचानक सीधे एक सैन्य वाहन पर आ गिरा।

हादसे में 14 हॉर्स (सिंध हॉर्स) रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह मणकोटिया और नायक दलजीत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में शामिल हैं: मेजर मयंक शुभम 14 हॉर्स (सिंध हॉर्स), मेजर अमित दीक्षित और कैप्टन गौरव (60 आर्मर्ड रेजिमेंट)। ये सभी अधिकारी 60 आर्मर्ड रेजिमेंट के वाहन में सवार थे।
🚨 BREAKING: Tragic Loss in Ladakh Landslide 🇮🇳
On 30 July 2025 at approx. 1130 hrs, a tragic MT accident occurred near KM 74 during a convoy movement from Durbuk to Chongtash, when it was hit by a sudden landslide.
🕊️ We loss of two bravehearts:
– Lt Col Mankotiya (14 SINDH…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 30, 2025
यह इलाका अपनी कठोर भौगोलिक परिस्थितियों, संकरी घाटियों और लैंडस्लाइड के लिए जाना जाता है। 60 आर्मर्ड रेजिमेंट, जो उच्च ऊंचाई और युद्ध स्थितियों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होती है, उस समय इस इलाके से गुजर रही थी।
हादसे के तुरंत बाद साथ चल रही सेना की टुकड़ियों ने तत्काल बचाव अभियान शुरू किया। घायलों को हेलीकॉप्टर की मदद से लेह के 153 जनरल हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। सेना के मुताबिक, तीनों की हालत गंभीर बनी हुई है, और उन्हें विशेष चिकित्सा निगरानी में रखा गया है।

भारतीय सेना और स्थानीय प्रशासन ने हादसे के बाद प्रभावित इलाके में फिर से सड़क खोलने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इंजीनियरिंग टीमों को मौके पर तैनात किया है। चारों ओर फैली बड़ी-बड़ी चट्टानों और संकरी सड़क के कारण राहत कार्य चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन सेना की दक्षता और तत्परता के चलते घायलों को समय पर इलाज मिल सका।
उनके साथ काम कर चुके एक अफसर ने बताया, “मणकोटिया मेरे बहुत ही प्रिय मित्र थे। हम दोनों ने साथ में IMTRAT में सेवा दी थी। यह खबर सुनकर मैं पूरी तरह स्तब्ध हूं। वे एक ऐसे अफसर थे जो जिम्मेदारी, मेहनत और अच्छे व्यवहार की मिसाल थे। वे इस बात का साक्षात उदाहरण थे कि एक सैन्य अधिकारी को कैसा होना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “लेफ्टिनेंट कर्नल बीपीएस मणकोटिया एक चौथी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी थे। उन्होंने एनडीए, आईएमए और उसके बाद के सभी कोर्सेज में टॉप किया था। सिर्फ पिछले साल ही उन्हें डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज (DSSC) में अपने सर्विस क्रम में पहले स्थान पर रहने के लिए मानेकशॉ मेडल से भी सम्मानित किया गया था।”
लद्दाख जैसे सीमावर्ती और ऊंचाई वाले इलाकों में केवल दुश्मन की चुनौती नहीं, बल्कि प्रकृति भी सैनिकों के लिए एक बड़ा खतरा है। विशेषकर मानसून के मौसम में यहां भूस्खलन और चट्टानों के गिरने की घटनाएं आम हो जाती हैं, जो सेना की नियमित आवाजाही और ऑपरेशनल गतिविधियों के लिए गंभीर खतरा बनती हैं।
सेना और प्रशासन ने इस घटना के बाद नागरिकों और सैन्य वाहनों को चेतावनी जारी की है कि वे इस तरह के इलाकों में सावधानीपूर्वक यात्रा करें और मौसम की स्थिति को देखते हुए ही आगे बढ़ें। घटनास्थल पर जांच अभी जारी है और विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।

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