CSD Card Controversy: मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन संस्थान (MP-IDSA) के डीजी के पास मिला अनधिकृत कैंटीन स्मार्ट कार्ड, रक्षा मंत्रालय बोला- ‘भूलवश’ हुआ जारी

CSD Card Controversy: MP-IDSA DG Found with Unauthorized Canteen Smart Card, MoD Calls It an 'Error'
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📍नई दिल्ली | 8 months ago

CSD Card Controversy: देश के प्रमुख थिंक टैंक मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (MP-IDSA) के महानिदेशक सुजान आर. चिनॉय के पास एक कैंटीन स्मार्ट कार्ड (CSD) होने का मामला सामने आया है, जबकि वे और संस्थान के अन्य कर्मचारी इस सुविधा के पात्र नहीं हैं।

CSD Card Controversy: MP-IDSA DG Found with Unauthorized Canteen Smart Card, MoD Calls It an 'Error'

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने इस विषय पर दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब में स्पष्ट किया कि यह कार्ड “भूलवश” जारी किया गया था। जवाब में कहा गया, “सुजान चिनॉय कैंटीन सुविधाओं के लिए पात्र नहीं हैं। यह कार्ड त्रुटिपूर्ण तरीके से बनाया गया है।”

CSD Card Controversy: RTI में क्या हुआ खुलासा?

यह जानकारी 22 अक्टूबर, 2024 को दिए गए एक जवाब में सामने आई। रक्षा मंत्रालय (सेना) में केंद्रीय जन सूचना अधिकारी ब्रिगेडियर तमोजीत बिस्वास, ने केरल स्थित ‘द पॉलिटी’ नामक एक पब्लिकेशन की आऱटीआई में इस बात की जानकारी दी।

CSD कार्ड पाने के लिए पात्रता के तहत आवेदक को एक गारंटी पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है, जिसे एक निर्धारित अधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। आवेदन के साथ वेतन पर्ची, पैन कार्ड, और 165 रुपये शुल्क जमा करना होता है। हालांकि, DG सुजान चिनॉय ने इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

CSD कार्ड कैसे मिला?

संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि महानिदेशक के नाम पर यह कार्ड 2022 में जारी किया गया था और इसे जनवरी 2023 में रिन्यू भी किया गया। कुछ कर्मचारियों ने यह भी बताया कि इस कार्ड का उपयोग करके उन्हें फोर व्हीलर और दूसरी चीजें भी खरीदी हैं।

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नीतियों के अनुसार, केवल अधिकृत कार्डधारक ही यूनिट रन कैंटीन (URC) से सामान खरीद सकते हैं। अन्य किसी व्यक्ति को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं है।

RTI के जवाब में बताया गया कि कार्ड का आवेदन 90 दिनों तक रखा जाता है, लेकिन DG के मामले में यह आवेदन लगभग एक साल नौ महीने पुराना होने के कारण उपलब्ध नहीं है।

क्या कार्रवाई होगी?

जब इस मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में पूछा गया, तो सूत्र स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ रहे। हालांकि, यह स्पष्ट है कि कार्ड को “हॉटलिस्ट” कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि इसे रद्द कर दिया गया है।

क्या है MP-IDSA

1965 में स्थापित MP-IDSA, रक्षा मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित एक स्वायत्त निकाय है, जिसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है। आमतौर पर रक्षा मंत्री संस्थान के अध्यक्ष होते हैं, हालांकि कुछ अपवाद भी रहे हैं, जैसे कि प्रणब मुखर्जी, जिन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए इस पद को संभाला।

2020 में, संस्थान का नाम दिवंगत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के सम्मान में बदला गया। संस्थान की नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी इसकी कार्यकारी परिषद (EC) पर है, जिसमें रक्षा और विदेश सचिव जैसे पदेन सदस्य शामिल होते हैं।

कर्मचारियों का विरोध और COVID-19 का मामला

2021 में, संस्थान के 19 कर्मचारियों ने इसके खिलाफ एक कानूनी मामला दायर किया, जो इसके 59 वर्षों के इतिहास में पहली बार हुआ। अदालत ने यह माना कि MP-IDSA के प्रशासन पर रक्षा मंत्रालय का “गहरा और व्यापक नियंत्रण” है, जिससे यह राज्य का एक उपकरण बनता है और इसे संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में लाता है।

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COVID-19 महामारी के दौरान, संस्थान में सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी के कारण संक्रमण फैलने के आरोप भी लगे। DG ने अप्रैल 2020 से संस्थान को 100 प्रतिशत क्षमता के साथ चालू रखने पर जोर दिया, जबकि उस समय केवल आवश्यक सेवाओं को अनुमति दी गई थी।

क्या है CSD कार्ड का महत्व?

CSD कार्ड भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों और रक्षा मंत्रालय के पात्र कर्मचारियों को सुविधाजनक मूल्य पर उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराने का एक साधन है। यह कार्ड विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो रक्षा सेवाओं से जुड़े हैं।

यह मामला न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की खामियों को उजागर करता है, बल्कि इसे ठीक करने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

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