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Tejas Mk1 Crash: पिछले साल जैसलमेर में हुआ था पहला तेजस हादसे का शिकार, जानें क्या थी दुर्घटना की वजह

अपनी 24 साल की ऑपरेशनल हिस्ट्री में 2001 में अपनी पहली उड़ान के बाद से यह तेजस के साथ दूसरा हादसा है। दुबई एयर शो से ठीक एक साल पहले, 12 मार्च 2024 में राजस्थान के जैसलमेर-पोखरण में भी एक तेजस एमके1 विमान क्रैश हुआ था...

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📍नई दिल्ली | 21 Nov, 2025, 10:36 PM

Tejas Mk1 Crash: दुबई एयर शो में डिस्प्ले एरोबैटिक्स के दौरान भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके1 हादसे का शिकार हो गया। यह हादसा उस समय हुआ, जब तेजस एरोबैटिक डिस्प्ले के दौरान बेहद लो-लेवल पर एक तेज मैन्यूवर कर रहा था। कुछ ही सेकंड के अंदर विमान का संतुलन बिगड़ गया और वह तेजी से जमीन की ओर गिर गया। टक्कर के साथ ही विमान आग की एक बड़ी लपट में बदल गया। इस दुखद हादसे में भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट विंग कमांडर नमन स्याल की मौत हो गई।

Tejas Mk1 Crash: बेहद अनुभवी पायलट थे विंग कमांडर नमन स्याल

हिमाचल प्रदेश के रहने वाले विंग कमांडर नमन स्याल तमिलनाडु स्थित सुलुर एयरबेस की नंबर 45 स्कवॉड्रन फ्लाइंग ड्रैगर्स का हिस्सा थे। यह वही स्क्वाड्रन है, जिससे तेजस की पहली ऑपरेशनल उड़ानें शुरू हुई थीं। नमन स्याल कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एयरशो में तेजस उड़ाकर अपने स्किल्स दिखा चुके थे और वे बेहद अनुभवी पायलट थे। लेकिन शुक्रवार को हुए हादसे में विमान की ऊंचाई इतनी कम थी कि ईजेक्शन की संभावना ही नहीं बची।

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भारतीय वायुसेना ने बयान जारी कर बताया कि हादसे की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन किया गया है। वीडियो से यह साफ दिख रहा है कि विमान ने अचानक नियंत्रण खो दिया और पायलट ने आखिरी क्षण तक उसे आबादी वाले क्षेत्र से दूर ले जाने की कोशिश की।

तेजस विमान का यह क्रैश कई कारणों से गंभीर माना जा रहा है। तेजस कार्यक्रम भारत का सबसे महत्वाकांक्षी स्वदेशी फाइटर जेट प्रोजेक्ट है, जिस पर देश को दशकों से गर्व रहा है। एचएएल ने तेजस को डिजाइन और डेवलप किया है। विमान में जनरल इलेक्ट्रिक एफ404-इन20 इंजन लगा है।

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Tejas Mk1 Crash- Wg Cdr Namansh Syal
Wg Cdr Namansh Syal

Tejas Mk1 Crash: 12 मार्च 2024 को पहला तेजस हुआ था हादसे का शिकार

लेकिन तेजस के साथ यह पहला हादसा नहीं है। अपनी 24 साल की ऑपरेशनल हिस्ट्री में 2001 में अपनी पहली उड़ान के बाद से यह तेजस के साथ दूसरा हादसा है। दुबई एयर शो से ठीक एक साल पहले, 12 मार्च 2024 में राजस्थान के जैसलमेर-पोखरण में भी एक तेजस एमके1 विमान क्रैश हुआ था। हालांकि उस घटना में पायलट सुरक्षित ईजेक्ट कर गया था। टेल नंबर एलए-5033 तेजस एमके1 को विंग कमांडर विभव पांडे उड़ा रहे थे। वे उस समय सुलुर स्थित नंबर 18 स्क्वाड्रन फ्लाइंग बुलेट्स का हिस्सा थे। एक ट्रेनिंग मिशन के दौरान इंजन फेल्यर हुआ। हालांकि उन्होंने बहुत कम ऊंचाई पर भी सफलतापूर्वक ईजेक्ट किया और पूरी तरह सुरक्षित बच गए ।

इंजन सीजर थी वजह

उस क्रैश की जांच में सामने आया कि दुर्घटना की वजह इंजन सीजर थी, जो ऑयल पंप फेल्यर की वजह से हुआ था। हालांकि उस क्रैश की एयरफोर्स ने इंटरनल इन्क्वॉयरी की थी। लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुई। हादसे से पहले इंजन को लुब्रिकेशन नहीं मिला और वह अचानक बंद हो गया। उस घटना के बाद वायुसेना ने तेजस फ्लीट की पूरी इंजन हेल्थ मॉनिटरिंग कराई। जीई एफ404 इंजन की चेकलिस्ट अपडेट की गई, लेकिन कोई बड़ी तकनीकी कमी नहीं पाई गई।

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अब दुबई एयर शो में हुए क्रैश ने फिर से तेजस की सुरक्षा और भरोसे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर इसलिए क्योंकि यह हादसा अंतरराष्ट्रीय मंच पर हुआ है। भारत पिछले कुछ वर्षों से तेजस को विदेशी देशों में बेचने की कोशिश कर रहा है। कई देशों जैसे मलेशिया, अर्जेंटीना और ब्राजील ने तेजस में रुचि दिखाई थी। इस क्रैश से भारत के रक्षा निर्यात अभियान को भी झटका लग सकता है।

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4 जनवरी 2001 को तेजस की पहली उड़ान

4 जनवरी 2001 को इंडियन एयर फोर्स के विंग कमांडर राजीव कोठियाल ने टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर टीडी-1 की पहली उड़ान सफलतापूर्वक भरी थी। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बाद में इस एयरक्राफ्ट का नाम लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट “तेजस” रखा, जिसका मतलब संस्कृत में “चमक” होता है।

इसके बाद भारतीय वायुसेना ने 20 एलसीए एमके1 आईओसी और 20 एलसीए एमके1 एफओसी मानक के विमान खरीदने का आदेश दिया। 2025 तक इनमें से 38 विमान वायुसेना को मिल चुके हैं। 2021 में सरकार ने 48,000 करोड़ रुपये में 83 एमके1ए विमानों का बड़ा ऑर्डर दिया। सितंबर 2025 में वायुसेना ने 97 अतिरिक्त एमके1ए का और ऑर्डर एचएएल को दिया।

तेजस एमके1ए की बड़े पैमाने पर डिलीवरी 2026-2030 के बीच होने की योजना है। इसके अलावा तेजस एमके2 जैसे एडवांस वर्जन पर भी काम चल रहा है।

दुबई एयर शो में तेजस की मौजूदगी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। तेजस ने पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों जैसे यूके में कोबरा वारियर, यूएई में डेजर्ट फ्लैग और 2016 के बहरीन एयरशो में अपनी क्षमता दिखाई थी। तरंग शक्ति 2024 के दौरान तेजस ने यूरोफाइटर टायफून को सिमुलेटेड कॉम्बैट में इंटरसेप्ट किया था, जो बड़ी उपलब्धि थी।

लेकिन दुबई एयर शो 2025 की यह दुर्घटना तेजस प्रोग्राम के लिए वाकई चुनौती लेकर आई है। हादसा ऐसे समय पर हुआ है जब भारत दुनिया को अपने स्वदेशी फाइटर जेट की क्षमता दिखाना चाहता है और रक्षा निर्यात को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

हादसे का शिकार हुए तेजस विमान का टेल नंबर एलए-5025 था। यह 2021-22 के आसपास एचएएल नासिक में बना था। यह वही विमान था जिसने एरो इंडिया 2023 और 2025 में शानदार एरोबैटिक्स दिखाए थे।

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दुर्घटना की सटीक वजह कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद ही साफ हो पाएगी, लेकिन वीडियो से शुरुआती संकेत लो-एल्टीट्यूड कंट्रोल लॉस की ओर इशारा करते हैं। पायलट ने आखिरी पलों तक विमान को आबादी वाले क्षेत्र से दूर ले जाने की कोशिश की। हादसे के बाद क्रैश साइट को सुरक्षा बलों ने घेर लिया। दुबई अथॉरिटीज ने संयुक्त जांच का प्रस्ताव दिया है। भारतीय वायुसेना ने अपनी तरफ से तकनीकी डेटा और ब्लैक बॉक्स की जांच का काम शुरू कर दिया है।

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  • Tejas Mk1 Crash: पिछले साल जैसलमेर में हुआ था पहला तेजस हादसे का शिकार, जानें क्या थी दुर्घटना की वजह

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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