📍नई दिल्ली | 22 Nov, 2025, 2:17 PM
Tejas Crash Dubai: भारतीय वायुसेना किसी भी विमान हादसे के बाद एक तय और बेहद सख्त प्रक्रिया के तहत जांच करती है, जिसे कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी या सीओआई कहा जाता है। 21 नवंबरको दुबई एयरशो में तेजस एमके-1 के क्रैश के बाद भी यही प्रक्रिया लागू की गई है। यह जांच पूरी तरह तथ्यों, तकनीकी सबूतों और विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर आधारित होती है। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का मकसद सिर्फ एक है हादसे की असली वजह का पता लगाना, ताकि भविष्य में ऐसी गलती या तकनीकी समस्या दोबारा न हो।
हादसा होते ही सबसे पहला कदम यह होता है कि एयर मुख्यालय या संबंधित कमांड मुख्यालय जांच का आदेश देता है। आमतौर पर 24 से 48 घंटे के भीतर यह आदेश जारी कर दिया जाता है। इसके बाद एक टीम बनाई जाती है, जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी प्रिसाइडिंग ऑफिसर होता है। यह अधिकारी अक्सर एयर कमोडोर या ग्रुप कैप्टेन रैंक का होता है। इसके साथ 2-3 टेक्निकल और फ्लाइंग ब्रांच के अधिकारी भी शामिल किए जाते हैं। वहीं तेजस मामले में हादसे के कुछ घंटों बाद ही वेस्टर्न एयर कमांड ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दे दिया। आज सुबह पांच सदस्यीय जांच टीम दुबई पहुंच चुकी है, जिसका नेतृत्व एक एयर कमोडोर कर रहे हैं।
तेजस क्रैश जैसे मामलों में, जहां विमान विदेशी जमीन पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो, टीम को मौके पर पहुंचने में 1-2 दिन का समय लग सकता है। लेकिन उद्देश्य हमेशा यही रहता है कि सबूत सुरक्षित रखे जाएं और क्रैश साइट को बिना किसी बदलाव के जांच टीम तक पहुंचा दिया जाए। दुबई एयर शो हादसे में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई।
कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का सबसे अहम चरण शुरू होता है सबूत जुटाने से। टीम सबसे पहले क्रैश साइट को सील कराती है। जहाज के हर छोटे-बड़े मलबे को इकट्ठा किया जाता है। जमीन पर गिरने की दिशा, आग लगने का पैटर्न, इंजन के टुकड़ों, पहिये, कॉकपिट के हिस्सों और पंखों की स्थिति को तस्वीरों और वीडियो में रिकॉर्ड किया जाता है।
इस जांच में दो सबसे महत्वपूर्ण सबूत होते हैं, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर)। तेजस जैसे फाइटर जेट में ये दोनों रिकॉर्डर विमान की हर उड़ान से जुड़ी जानकारी, स्पीड, ऊंचाई, इंजन थ्रस्ट, कंट्रोल इनपुट और कॉकपिट की आवाज तक रिकॉर्ड करते हैं। यह डेटा हादसे की सही वजह जानने में सबसे जरूरी माना जाता है। दुबई हादसे में भी दोनों रिकॉर्डर स्थानीय पुलिस ने बरामद कर लिए हैं।
इसके बाद जांच टीम उन कंपनियों से भी मदद लेती है जो विमान के उपकरण बनाती हैं। तेजस के मामले में मार्टिन बेकर की टीम इजेक्शन सीट की जांच करेगी, जबकि इंजन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जीई एविएशन को भी बाक़ायदा तकनीकी टेस्ट के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी। यही नहीं, एचएएल और डीआरडीओ के विशेषज्ञ भी पूरे प्रोसेस का हिस्सा होते हैं।
वहीं, तेजस क्रैश का एफडीआर/सीवीआर दुबई पुलिस से मिल चुका है और उसे 25–26 नवंबर को भारत लाया जाएगा। मार्टिन बेकर की टीम 24 नवंबर को साइट की जांच करेगी, जबकि अमेरिका से जीई एविएशन को भी तकनीकी जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है।
जांच में गवाहों के बयान भी महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें एयरशो के आयोजनकर्ता, दूसरी उड़ानें उड़ाने वाले पायलट, एअर ट्रैफिक कंट्रोल, रडार ऑपरेटर, और विमान की ग्राउंड सर्विसिंग करने वाली टीम शामिल होती है। हर बयान का रिकॉर्ड बनाया जाता है।
इसके बाद शुरू होता है सबसे मुश्किल चरण, तकनीकी जांच। इसमें विमान की अंतिम उड़ान का कंप्यूटर मॉडल तैयार किया जाता है। कौन सा मैन्यूवर किया गया था, किस ऊंचाई और स्पीड पर क्या हुआ, पायलट ने कौन सा कंट्रोल इनपुट दिया, इन सबकी थ्रीडी रिकंस्ट्रक्शन बनाई जाती है। सीओआई तय करेगी कि हादसा तकनीकी खराबी से हुआ या मानवीय गलती से या बर्ड हिट वजह रही है। अभी तक हादसे की किसी भी वजह पर टिप्पणी सिर्फ अनुमान है।
कई बार कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी एक अंतरिम रिपोर्ट भी तैयार करती है, ताकि यदि किसी सुरक्षा प्रक्रिया में तुरंत बदलाव की जरूरत हो तो उसे लागू किया जा सके। हालांकि अंतिम रिपोर्ट तैयार होने में 6 से 18 महीने तक लग सकते हैं। तेजस क्रैश की फाइनल रिपोर्ट भी इसी अवधि में आने की संभावना है।
अंतिम रिपोर्ट पूरी तरह गोपनीय होती है। इसे एयर मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय और संबंधित तकनीकी एजेंसियों को भेजा जाता है। रिपोर्ट में हादसे की वास्तविक वजह, योगदान देने वाले कारक और सुधारात्मक कदम लिखे जाते हैं। आम जनता और मीडिया को सिर्फ वही हिस्सा बताया जाता है जो संवेदनशील न हो। IAF की COI दुनिया की सबसे सख्त और पारदर्शी जांचों में गिनी जाती है।
तेजस हादसे की जांच भी इसी तय प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ रही है। भारतीय वायुसेना की कोर्ट ऑफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी पूरी दुनिया में सबसे मुश्किल और वैज्ञानिक मानी जाती है और हर घटना में इसका सख्ती से पालन किया जाता है।
