📍नई दिल्ली | 16 Sep, 2025, 8:40 PM
US Military in Bangladesh: बांग्लादेश के रणनीतिक रूप से अहम चटगांव में अमेरिकी सैन्य गतिविधियां लगाताार बढ़ रही हैं। जिसके बाद भारत और म्यांमार दोनों सतर्क हो गए हैं। चिंता की बात यह है कि चटगांव की भौगोलिक परिस्थिति बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर और म्यांमार की सीमाओं के बेहद नजदीक है। यहां हो रही हर हलचल का असर सीधे पड़ोसी देशों की सुरक्षा पर पड़ सकता है।
रविवार को अमेरिकी वायुसेना का सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस विमान चटगांव के शाह अमानत इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा। यह विमान आमतौर पर जापान के योकोटा एयरबेस से ऑपरेट होता है। अमेरिका की इस क्षेत्र में बढ़ती दिलचस्पी वाकई चिंता की बात है।
US Military in Bangladesh: भारत आए थे म्यांमार के आर्मी कमांडर
म्यांमार आर्मी के कमांडर बीएसओ-1, लेफ्टिनेंट जनरल को को ऊ और उनके चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 से 12 सितंबर तक भारत का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने नई दिल्ली, आगरा, गया और कोलकाता के विजय दुर्ग स्थित ईस्टर्न कमांड मुख्यालय का दौरा किया था। यह यात्रा भारत और म्यांमार के बीच सातवीं आर्मी-टू-आर्मी स्टाफ टॉक्स (एएएसटी) का हिस्सा थी।
📍 Kolkata, 12 Sept 2025 | Lt Gen Ko Ko Oo, Cdr, BSO-1 of the Myanmar Army, along with a delegation, visited HQ Eastern Command, Vijay Durg.
🤝 He interacted with Lt Gen Ram Chander Tiwari, GOC-in-C, and discussed strengthening defence cooperation, tech-driven collaboration, and… pic.twitter.com/6npFI49uGj— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) September 12, 2025
इस यात्रा के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल को को ऊ ने ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल राम चंदर तिवारी से मुलाकात की था। इस बैठक में दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की, खासकर कटिंग-एज टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। फोकस दोनों देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर था, जिसमें सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना शामिल था। साथ ही, लेफ्टिनेंट जनरल को को ऊ ने 10-11 सितंबर को शत्रुजीत ब्रिगेड का भी दौरा किया था।
शत्रुजीत ब्रिगेड भारत की सेना की एक एलीट पैराशूट रेजिमेंट है, जो मुख्य रूप से कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है। यह भारतीय सेना की 50वीं पैराशूट ब्रिगेड का हिस्सा है। शत्रुजीत ब्रिगेड का ऑपरेशनल बेस कोलकाता में है। यह ब्रिगेड पूर्वी कमांड के तहत काम करती है और रणनीतिक रूप से बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

US Military in Bangladesh: लगातार चटगांव आ रहे हैं अमेरिकी सैन्य दल
अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटाने के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस की सरकार बनने के बाद से अमेरिकी सैन्य मौजूदगी में तेजी आई है। यूनुस के शासनकाल में अमेरिकी सैन्य दल चटगांव और आसपास के इलाकों में अक्सर देखे गए हैं। कभी वे सर्वेक्षण मिशन पर आते हैं, तो कभी संयुक्त सैन्य अभ्यासों में शामिल होते हैं।
हाल ही में अमेरिका और बांग्लादेश ने मिलकर ऑपरेशन पैसिफिक एंजेल-25 और टाइगर लाइटनिंग-2025 अभ्यास चटगांव में आयोजित किए थे। इनमें एयर मोबिलिटी, आपदा प्रतिक्रिया और काउंटर टेररिज्म जैसी एक्सरसाइज शामिल थीं। सिलहेट के जलालाबाद कैंटोनमेंट में हुए टाइगर लाइटनिंग में अमेरिकी आर्मी पैसिफिक और बांग्लादेश आर्मी के 100 से अधिक सैनिक शामिल हुए। इसमें जंगल ऑपरेशन, मेडिकल इवैक्यूएशन और आईईडी डिफ्यूज करने की ट्रेनिंग दी गई थी।
सूत्रों ने बताया कि एक और संयुक्त अभ्यास की तैयारी चल रही है। पिछले सप्ताह अमेरिकी सैनिकों का एक नया दल चटगांव पहुंचा था। सितंबर 2025 में रैडिसन ब्लू होटल में 120 से अधिक अमेरिकी अधिकारी ठहरे थे, जो इस अभ्यास की योजना बना रहे थे।
US Military in Bangladesh: अमेरिकी अधिकारी की रहस्यमयी मौत
पिछले महीने 31 अगस्त 2025 को वेस्टिन होटल के रूम नंबर 808 में 50 वर्षीय टेरेंस आर्वेल जैक्सन का शव मिला। जैक्सन अमेरिकी आर्मी के एलीट फर्स्ट स्पेशल फोर्सेज कमांड एयरबोर्न के कमांड इंस्पेक्टर जनरल थे, जो नॉर्थ कैरोलिना के फोर्ट ब्रैग से जुड़े थे। वे अप्रैल 2025 से बांग्लादेश में तैनात थे और बांग्लादेशी सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे थे। ढाका पुलिस ने प्रारंभिक जांच में मौत को प्राकृतिक कारणों से बताया, लेकिन ऑटोप्सी न कराने और अमेरिकी दूतावास की तत्काल कार्रवाई ने मामले को और रहस्यमय बना दिया।
जैक्सन अप्रैल 2025 से बांग्लादेश में थे और कई जगहों पर सरकारी काम से घूम रहे थे। होटल में चेक-इन 29 अगस्त को किया था, लेकिन वे दो दिन पहले ही वहां पहुंच चुके थे। होटल स्टाफ ने दोपहर में रूम से कोई जवाब न मिलने पर पुलिस को सूचना दी। सीसीटीवी फुटेज में कोई संदिग्ध गतिविधि नजर नहीं आई। उनके पास 20 वर्षों से अधिक का अनुभव था। वे 2003 में नेशनल गार्ड में शामिल हुए, 2006 में आर्मी में इंफैंट्री ऑफिसर बने और बाद में स्पेशल फोर्सेज में पहुंचे। वे एशिया थिएटर में कई कॉम्बैट डिप्लॉयमेंट्स का हिस्सा रहे और अगले दो वर्षों में रिटायर होने वाले थे। बांग्लादेशी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि सबूत बताते हैं कि वे ढाका और सिलहेट में बांग्लादेश आर्मी को ट्रेनिंग दे रहे थे। फोटोज में वे नाइन लाइन अपैरल पहने बांग्लादेशी सैनिकों को सेशन लेते दिखे, जो एक पूर्व स्पेशल फोर्सेज ऑफिसर की ब्रांड है। जैक्सन के अलावा कम से कम एक अन्य अमेरिकी स्पेशल फोर्स अधिकारी अभी भी बांग्लादेश में हैं।
इस मामले में जासूसी की आशंका भी जताई जा रही है। पाकिस्तानी आईएसआई की गतिविधियां बांग्लादेश में बढ़ रही हैं, जो रोहिंग्या रेडिकलाइजेशन और सीमा पार घुसपैठ से जुड़ी हैं। जैक्सन की मौत को आईएसआई और जिहादी एलिमेंट्स से जोड़ा जाा रहा है। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश की अस्थिरता ने इसे कोवर्ट वॉर का बैटलग्राउंड बना दिया है।
वहीं, पूर्व अमेरिकी राजदूत एरियल हास की यात्राओं ने चिंता बढ़ी हैं। 5 अगस्त को हास ने कॉक्स बाजार में नेशनल कोऑर्डिनेशन प्लेटफॉर्म के पांच नेताओं से मिले, जो एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट्स मूवमेंट से जुड़े हैं। भारतीय एजेंसियां इसे क्षेत्रीय सुरक्षा से जोड़ रही हैं।
US Military in Bangladesh: क्या सेंट मार्टिन आइलैंड चाहिए अमेरिका को?
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने हटाए जाने के पीछे अमेरिका की भूमिका बताई थी। उनका कहना था कि अमेरिका ने उन्हें सत्ता से इसलिए हटवाया क्योंकि उन्होंने सेंट मार्टिन आइलैंड अमेरिका को देने से इनकार कर दिया। बंगाल की खाड़ी में स्थित यह छोटा द्वीप सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
हालांकि, हसीना के बेटे साजेब वाजेद ने इस आरोप को खारिज किया और अमेरिकी व्हाइट हाउस ने भी किसी साजिश से इनकार किया। फिर भी, हसीना के जाने के बाद यूनुस सरकार ने अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत किया। अमेरिका-बांग्लादेश के बीच हुए नए समझौते में टैरिफ की दरें भी 20 फीसदी रखी गईं, जो भारत से भी कम है।
US Military in Bangladesh: दुर्लभ खनिजों की है लड़ाई
चटगांव की गतिविधियां सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं हैं। म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध में सक्रिय काचिन इंडिपेंडेंस आर्गेनाइजेशन (KIA) जैसे विद्रोही समूह दुर्लभ खनिज संसाधनों पर नियंत्रण रखते हैं। अमेरिका और चीन दोनों इन विद्रोहियों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन ने बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट्स के तहत म्यांमार में अरबों डॉलर निवेश किए हैं, जबकि अमेरिका इन खनिजों को चीन से दूर रखना चाहता है। भारतीय खुफिया एजेंसियां भी इन गतिविधियों पर नजर रख रही हैं क्योंकि म्यांमार विद्रोहियों का असर भारत के पूर्वोत्तर में स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
वहीं, अमेरिकी दूतावास का कहना है कि बांग्लादेश के साथ उनका सैन्य सहयोग पिछले 50 वर्षों से है। 2014 से अब तक अमेरिका ने 78 मिलियन डॉलर की फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग और 14 मिलियन डॉलर की इंटरनेशनल मिलिट्री एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सहायता दी है। इसके तहत पैट्रोल बोट्स, वाहन, ट्रेनिंग और RQ-21 ब्लैकजैक ड्रोन शामिल हैं।
हालांकि, बांग्लादेश सेना अमेरिकी सैनिकों की बढ़ती मौजूदगी से पूरी तरह सहज नहीं है। सेना का कहना है कि संयुक्त अभ्यासों के अलावा अतिरिक्त सैनिकों की मौजूदगी से स्थानीय माहौल पर असर पड़ सकता है। ़
US Military in Bangladesh: भारत और म्यांमार की चिंता
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने साफ कहा है कि चटगांव क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य गतिविधियां पूर्वोत्तर की स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं। असम, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्यों में म्यांमार से लगी संवेदनशील सीमाएं हैं। म्यांमार में सक्रिय विद्रोही गुट यदि बाहरी शक्तियों से समर्थन मिलता है, तो भारत की सुरक्षा चिंताएं और बढ़ सकती हैं।