back to top
HomeGeopoliticsPakistan UNSC CTC Co-Chair: पाकिस्तान को यूएन में एंटी टेररिज्म कमेटी का...

Pakistan UNSC CTC Co-Chair: पाकिस्तान को यूएन में एंटी टेररिज्म कमेटी का उपाध्यक्ष बनाने से क्या पड़ेगा असर? पढ़ें 5 पॉइंट्स में

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद, भारतीय सांसदों के सात शिष्टमंडलों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा किया। इनमें से एक शिष्टमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने किया। शशि थरूर का कहना है, "यूएनएससी में कई आतंकवाद-रोधी समितियां हैं, और सदस्य देशों को बारी-बारी से इनकी जिम्मेदारी मिलती है। पाकिस्तान को उसकी सदस्यता के कारण यह भूमिका मिली है...
Read Time 0.27 mintue

📍नई दिल्ली | 6 Jun, 2025, 9:23 PM

Pakistan UNSC CTC Co-Chair: पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद-रोधी समिति के उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पाकिस्तान इन नियुक्तियों को एक बड़ी जीत की तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, यह भारत के लिए खासतौर पर चिंताजनक है, क्योंकि पाकिस्तान पर लंबे समय से आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकी संगठनों को पनाह देने का आरोप है। भारत सालों से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है, और पाकिस्तान की यह नियुक्ति न सिर्फ कूटनीतिक चुनौती है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

Pakistan UNSC CTC Co-Chair: शहबाज शरीफ ने जताया गर्व

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस नियुक्ति को अपने देश के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि यह नियुक्ति दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी कोशिशों पर पूरा भरोसा है। शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है, जहां इसने 90,000 से ज्यादा लोगों की जान ली और 150 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान का बलिदान बेजोड़ है।


पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, साथ ही पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर जैसे नेताओं ने भी ऐसी ही बातें कही हैं। वे इसे अपनी कूटनीतिक जीत बता रहे हैं। लेकिन भारत ने इस नियुक्ति को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है, इसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए हानिकारक बताया है।

यह भी पढ़ें:  New Terror Outfit: दुनिया को धोखा देने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर में खड़ा किया नया आतंकी संगठन! एक दिन में बदला प्रवक्ता

क्या है पाकिस्तान की नियुक्ति की पृष्ठभूमि?

पाकिस्तान फिलहाल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का दो साल के लिए अस्थायी सदस्य है, उसे हाल ही में इसकी दो अहम समितियों में जगह मिली है। उसे तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष चुना गया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति (Counter-Terrorism Committee – CTC) का गठन 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमलों के बाद किया गया था। यह समिति आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक नियम बनाने, आतंकी संगठनों पर नजर रखने और देशों को आतंकवाद से लड़ने में मदद करने का काम करती है। इस समिति में उपाध्यक्ष की भूमिका बहुत अहम होती है, क्योंकि यह देशों को आतंकवाद से जुड़े नियमों और फैसलों को प्रभावित करने का मौका देती है। भारत ने कई बार संयुक्त राष्ट्र में सबूत दिए हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है। फिर भी, उसे यह पद मिलना चिंता का विषय है।

वहीं, पाकिस्तान को इस अहम पद पर नियुक्त करने के कई बड़े प्रभाव हो सकते हैं। इससे न केवल दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई प्रभावित होगी, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को भी बढ़ा सकती है।

पाकिस्तान की छवि सुधारने की कोशिश

पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को समर्थन देने के लिए दुनिया की आलोचना झेल रहा है। इस नियुक्ति से उसे मौका मिलेगा कि वह खुद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला देश दिखाए। यह एक तरह से उसकी छवि को चमकाने की कोशिश हो सकती है। वह यह दावा कर सकता है कि वह आतंकवाद से लड़ने में गंभीर है। हालांकि, भारत ने बार-बार सबूत दिए हैं कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को संरक्षण देता है। भारतीय राजदूत अनुपमा सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक बैठक में कहा था कि इस नियुक्ति से पाकिस्तान को अपनी कथित “पीड़ित” छवि को और मजबूत करने का मौका मिल सकता है।

यह भी पढ़ें:  India-China Disengagement: पूर्वी लद्दाख के देपसांग में सामने आई बड़ी खबर, 20 किमी पीछे हटी चीनी सेना, 2013 से पहले वाली स्थिति हुई बहाल!

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपनी संलिप्तता को लेकर पाकिस्तान इन हमलों पर पर्दा डाल सकता है या भारत के सबूतों को कमजोर कर सकता है। इससे भारत की आतंकवाद से लड़ाई कमजोर हो सकती है।

आतंकवाद-रोधी नियमों पर असर

यह समिति आतंकी संगठनों और लोगों को वैश्विक आतंकी सूची में डालने, आतंकवाद के लिए पैसे रोकने और देशों के बीच सहयोग बढ़ाने जैसे बड़े फैसले लेती है। पाकिस्तान इस पद का फायदा उठाकर इन फैसलों को अपने हित में मोड़ सकता है। उदाहरण के लिए, वह भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकी संगठनों पर कार्रवाई को कमजोर कर सकता है। पाकिस्तान भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों पर कार्रवाई को कमजोर करने की कोशिश कर सकता है। इससे पहले भी पाकिस्तान ने चीन के समर्थन से UNSC की प्रस्ताव संख्या 1267 के तहत आतंकियों को सूचीबद्ध करने के प्रयासों को बार-बार बाधित किया है। अब उपाध्यक्ष के रूप में, उसका प्रभाव और बढ़ सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर उठे सवाल

इस नियुक्ति पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। एक देश, जिस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप है, उसे आतंकवाद-रोधी समिति में इतना बड़ा पद देना सही नहीं लगता। इससे यूएनएससी की साख पर सवाल उठ रहे हैं। यह उन देशों के लिए निराशा की बात है, जो आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कार्रवाई चाहते हैं। इससे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई कमजोर पड़ सकती है।

बढ़ सकता है भारत-पाक के बीच तनाव

पहलगाम हमले औऱ उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही रिश्ते तनावपूर्ण हैं। वहीं इस नियुक्ति के बाद पाकिस्तान यूएन में भारत के खिलाफ अपनी रणनीति धार दे सकता है। खासकर कश्मीर के मुद्दे पर, पाकिस्तान इस मंच का गलत इस्तेमाल कर सकता है और भारत को आतंकवाद के संदर्भ में बदनाम करने की कोशिश कर सकता है। भारत ने हमेशा कहा है कि कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान इस मंच का इस्तेमाल अपनी कहानी को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है।

पाकिस्तान हमेशा कश्मीर को यूएन जैसे मंचों पर उठाकर भारत को घेरने की कोशिश करता है। लेकिन इस नई भूमिका के साथ, वह कश्मीर को आतंकवाद से जोड़कर भारत को बदनाम कर सकता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि पहलगाम के बाद जब भारत ने पहलगाम हमले में शामिल टीआरएफ को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चर्चा के दौरान आतंकी लिस्ट में नाम शामिल करने की बात कही, तो चीन ने कथित तौर पर कुछ आतंकवादियों या संगठनों को सूचीबद्ध करने से रोकने की कोशिश की।

यह भी पढ़ें:  China in Doklam: क्या मालदीव की तरह भूटान से भी वापिस आएगा भारतीय सेना का यह विशेष दस्ता? लद्दाख से अरुणाचल तक क्यों तैनात हैं 1,20,000 चीनी सैनिक?

पहले भी, पाकिस्तान और चीन ने मिलकर यूएन की आतंकी सूची में आतंकियों को शामिल करने के प्रयासों को रोका है। अब इस पद के साथ, वह इसे और आसानी से कर सकता है। इससे भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों पर वैश्विक कार्रवाई मुश्किल हो सकती है।

भारत की कूटनीति पर असर

भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को बेनकाब करने में काफी मेहनत की है। भारतीय राजनयिकों, पर्वतनेनी हरीश और अनुपमा सिंह ने बार-बार पाकिस्तान की नीतियों की आलोचना की है। लेकिन इस नियुक्ति से भारत के इन प्रयासों को झटका लग सकता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की कूटनीतिक विफलता का प्रतीक हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान को इतना महत्वपूर्ण पद हासिल करने से रोकने में भारत नाकाम रहा।

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद, भारतीय सांसदों के सात शिष्टमंडलों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा किया। इनमें से एक शिष्टमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने किया। शशि थरूर का कहना है, “यूएनएससी में कई आतंकवाद-रोधी समितियां हैं, और सदस्य देशों को बारी-बारी से इनकी जिम्मेदारी मिलती है। पाकिस्तान को उसकी सदस्यता के कारण यह भूमिका मिली है। लेकिन भारत का यूएन मिशन पाकिस्तान की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखेगा।”

Post Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने नहीं, तो किसने लड़ी जंग? पहलगाम हमले के पीछे आसिम मुनीर नहीं तो कौन है मास्टरमाइंड?

इस नियुक्ति को भारत की कूटनीतिक हार के रूप में देखा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि भारत पाकिस्तान को यह पद लेने से रोकने में नाकाम रहा। इससे भारत की वैश्विक छवि पर असर पड़ सकता है।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

Most Popular

Share on WhatsApp