📍नई दिल्ली | 14 Nov, 2025, 8:00 AM
Apache Helicopter Delivery: भारतीय सेना के लिए अमेरिका से भेजे जा रहे तीन अपाचे हेलीकॉप्टरों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। ये हेलीकॉप्टर भारत आने वाले थे, लेकिन बीच रास्ते में ही पूरी योजना बदल गई और हेलीकॉप्टरों को लेकर उड़ान भर रहे एंटोनोव एएन-124 कार्गो जहाज को अचानक अमेरिका लौटना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि यह देरी साधारण तकनीकी वजहों से नहीं, बल्कि तुर्किये द्वारा एयरस्पेस परमिशन न देने की वजह से हुई है।
Apache Helicopter Delivery
सूत्रों के अनुसार, 30 अक्टूबर को अपाचे हेलीकॉप्टरों को अमेरिका के एरिजोना राज्य के मेसा शहर में स्थित बोइंग फैसिलिटी से एंटोनोव एएन-124 विमान में लोड किया गया था। ये हेलीलॉप्टर भारत के लिए पेंट किए गए थे और भारतीय सेना को सौंपे जाने थे। इस कार्गो विमान ने 1 नवंबर को अमेरिका से उड़ान भरी और ब्रिटेन के ईस्ट मिडलैंड्स एयरपोर्ट पर लैंड किया। वहां यह विमान सामान्य से कहीं अधिक लगभग आठ दिनों तक खड़ा रहा।
आमतौर पर हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में इतना लंबा स्टॉपओवर नहीं होता। कई दिनों तक इंतजार के बाद यह उम्मीद थी कि विमान भारत के लिए उड़ान भरेगा, लेकिन इसके उलट, विमान ने 8 नवंबर को वापस अमेरिका लौटने का फैसला लिया। विमान वापस मेसा गेटवे एयरपोर्ट पहुंच गया। यहां उतरने के बाद हेलीकॉप्टरों को वापस ग्राउंड पर उतारा गया और उनकी तस्वीरें भी सामने आईं, जिनमें वे रोटर ब्लेड हटाए हुए दिखाई दिए।
Apache Helicopter Delivery बोइंग की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि डिलीवरी लॉजिस्टिक इश्यूज की वजह से रोकी गई है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि वे ‘बाहरी कारणों’ से हुई इस दिक्कत की जांच कर रहे हैं और अमेरिकी सरकार व भारतीय सेना के साथ मिलकर समस्या को जल्द सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि दिक्कत कार्गो विमान में थी, या किसी कागजी कार्रवाई की वजह से। या फिर अनुमोदन में, या किसी फिर तकनीकी वजह से।
Apache Helicopter Delivery रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस बार डिलीवरी रूट तुर्किये के एयरस्पेस से होकर आने वाला था। पिछले बैच के समय अपाचे इसी रास्ते से भारत पहुंचे थे। लेकिन इस बार तुर्किये ने मंजूरी नहीं दी। इस वजह से विमान को कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं मिला और उसे अपाचे के साथ वापस अमेरिका लौटना पड़ा। भारतीय अधिकारियों ने अक्टूबर में तुर्किये के राष्ट्रीय दिवस समारोह में शामिल होने से इंकार कर दिया था। यह फैसला इसलिए लिया गया था क्योंकि तुर्किये ने पाकिस्तान का खुले तौर पर समर्थन किया था और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये ने बार-बार भारत के खिलाफ बयान दिए। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र मंचों पर कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की।
Apache Helicopter Delivery
हालांकि यह पहला मौका है जब इस कूटनीतिक तनाव का सीधा असर किसी डिफेंस डिलीवरी रूट पर देखने को मिला है। भारतीय सेना के लिए छह अपाचे हेलीकॉप्टरों का यह सौदा फरवरी 2020 में 796 मिलियन डॉलर की लागत से किया गया था। पहले तीन हेलीकॉप्टर जुलाई 2025 में भारत पहुंच चुके हैं और इनकी ट्रेनिंग महाराष्ट्र के नासिक स्थित आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल में दी जा रही है। जहां ये हेलीकॉप्टर राजस्थान में जोधपुर के पास स्थित नागतालाओ आर्मी एविएशन बेस पर तैनात किए जाने हैं।
Apache Helicopter Delivery अपाचे हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे एडवांस अटैक हेलीकॉप्टरों में से एक माने जाते हैं। इन हेलीकॉप्टरों को “फ्लाइंग टैंक किलर” भी कहा जाता है। यह दुश्मन के टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां, हेलीकॉप्टर, ड्रोन को निशाना बना सकता है। एएच-64ई मॉडल में लॉन्गबो रडार, हेलफायर मिसाइलें, 30 एमएम चेन गन, नाइट-ऑपरेशन उपकरण और आधुनिक सेंसर लगे होते हैं, जिससे यह मुश्किल इलाकों में भी ऑपरेशन कर सकते हैं। अमेरिकी कंपनी बोइंग पहले भी भारतीय वायुसेना को 22 एएच-64ई हेलीकॉप्टर सौंप चुकी है। सेना अब इन्हीं हेलीकॉप्टरों का अपना बेड़ा तैयार कर रही है।
