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DRDO Defence manufacturing: डीआरडीओ ने 25 फीसदी रक्षा शोध बजट निजी सेक्टर के लिए खोला, ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी को भी बनाया आसान

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में डीआरडीओ ने 148 नए आरएंडडी प्रोजेक्ट स्वीकृत किए। इसी अवधि में “मेक प्रोसीजर” के तहत 70 डिफेंस प्रोजेक्ट्स को भी स्वीकृति दी गई...

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📍नई दिल्ली | 1 Dec, 2025, 7:11 PM

DRDO Defence manufacturing: केंद्र सरकार ने रक्षा निर्माण क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को तेजी देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने संसद में बताया कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट बजट का 25 फीसदी उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और अकादमिक संस्थानों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि इससे निजी उद्योगों को बड़े स्तर पर रक्षा टेक्नोलॉजी में भागीदारी का मौका मिलेगा और देश में डेवलप हो रही अत्याधुनिक तकनीक आगे बढ़ेगी।

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यह जानकारी आज राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने सदस्य एस. सेल्वगनाबाथी के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। संजय सेठ ने संसद को बताया कि डीआरडीओ उद्योगों के साथ मिलकर देश में रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार पहल कर रहा है। उनका कहना था कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट बजट खोलने का कदम देश की शोध क्षमता को सीधे उद्योगों और स्टार्ट-अप्स से जोड़ देगा।

सरकार ने बताया कि डीआरडीओ ने उद्योगों के साथ मिलकर “डेवलपमेंट-कम-प्रोडक्शन पार्टनर मॉडल” जिसे डीसीपीपी कहा जाता है, उसका इस्तेमाल शुरू किया है। इस मॉडल के तहत सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की कंपनियों को प्रतियोगी प्रक्रिया के आधार पर चुना जाता है और उन्हें डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीक को प्रोडक्शन के लिए ट्रांसफर किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में बनी तकनीक सीधे उद्योगों तक पहुंचे और उत्पादन तेजी से बढ़े।

सरकार ने बताया कि डीआरडीओ ने देश की लगभग दो हजार कंपनियों का एक नेटवर्क खड़ा किया है, जो विभिन्न रक्षा उपकरणों के सब-सिस्टम और सिस्टम तैयार करती हैं। साथ ही, तकनीक हस्तांतरण यानी ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) को भी आसान बनाया गया है। इन कंपनियों को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी बिना किसी शुल्क के दी जाती है। इसके साथ-साथ डीआरडीओ के वैज्ञानिक भी उद्योगों को कंसल्टेंसी सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।

रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि डीआरडीओ के पेटेंट अब भारतीय उद्योगों के लिए “फ्री-टू-यूज” नीति के तहत उपलब्ध हैं। इससे उद्योग बिना अतिरिक्त शुल्क दिए इन पेटेंट तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं और अपने प्रोडक्शन को रफ्तार दे सकते हैं।

सरकार की एक बड़ी पहल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड यानी टीडीएफ योजना है, जिसका संचालन डीआरडीओ करता है। इसका उद्देश्य माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज के साथ-साथ स्टार्ट-अप्स को रक्षा तकनीक के क्षेत्र में शोध और विकास के लिए प्रोत्साहित करना है। रक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि टीडीएफ योजना से अब तक 26 तकनीकें सफलतापूर्वक विकसित की जा चुकी हैं और दो प्रोजेक्ट तो पीएसएलवी मिशन में उड़ान भी भर चुके हैं। सरकार ने टीडीएफ योजना में डेप-टेक और कटिंग-एज टेक्नोलॉजी पर ध्यान देते हुए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की है।

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने बताया कि स्टार्ट-अप्स को डिफेंस सेक्टर से जोड़ने के लिए डीआरडीओ नई स्टार्ट-अप नीति भी लाने जा रहा है। इस नीति का उद्देश्य स्टार्ट-अप्स के साथ संवाद की प्रक्रिया को सरल बनाना और इनोवेशन को डिफेंस डेवलपमेंट का हिस्सा बनाना है। इसी के साथ “डेयर टू ड्रीम” प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है, जिसके चार संस्करण पूरे हो चुके हैं। यह प्रतियोगिता रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी।

सरकार ने यह भी जानकारी दी कि डीआरडीओ की 24 प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग सुविधाएं अब उद्योगों के लिए खोल दी गई हैं। ये सुविधाएं डिफेंस टेस्टिंग पोर्टल पर सूचीबद्ध हैं, जिससे उद्योग विश्वस्तरीय टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, सहयोग बढ़ाने के लिए डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में इंडस्ट्री इंटरैक्शन ग्रुप भी बनाए गए हैं, जहां उद्योगों और वैज्ञानिकों के बीच नियमित संवाद होता है।

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में डीआरडीओ ने 148 नए आरएंडडी प्रोजेक्ट स्वीकृत किए। इसी अवधि में “मेक प्रोसीजर” के तहत 70 डिफेंस प्रोजेक्ट्स को भी स्वीकृति दी गई।

रक्षा राज्य मंत्री के मुताबिक डिफेंस रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए एक्सट्राम्यूरल रिसर्च प्रोग्राम को भी रफ्तार दी गई है, जिसके माध्यम से देश के विश्वविद्यालयों और शोध केंद्रों में रक्षा तकनीक पर उच्च स्तरीय शोध को बढ़ावा मिलता है। इसी दिशा में डीआरडीओ-इंडस्ट्री-एकेडेमिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यानी डीआईए-सीओई भी स्थापित किए गए हैं। अब तक 15 ऐसे केंद्र बन चुके हैं, जो 80 से अधिक रिसर्च सेक्टर्स में काम कर रहे हैं।

सरकार ने बताया कि iDEX यानी इनोवेशंस फॉर डिफेंस एक्सीलेंस कार्यक्रम 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और इंडिविडुअल इनोवेटर्स के साथ मिलकर रक्षा तकनीक में नए समाधान विकसित करना है। iDEX विजेताओं को अनुदान और सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे आरएंडडी कार्य पूरे कर सकें।

सरकार ने बताया कि डिफेंस एक्विजिशन प्रक्रिया के “मेक प्रोसीजर” के तहत पिछले तीन सालों में कुल 70 प्रोजेक्टों को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा डीआरडीओ ने पिछले तीन साल में 148 नए आरएंडडी प्रोजेक्ट स्वीकृत किए हैं।

वहीं, सरकार ने बजट का विस्तृत विवरण भी संसद में रखा। 2022-23 में रक्षा आरएंडडी पर 20,586 करोड़ रुपये खर्च हुए। 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 24,696 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2025-26 के लिए 26,816 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।

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