📍कोलकाता | 16 Sep, 2025, 4:38 PM
Rajnath Singh at CCC 2025: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोलकाता में आयोजित कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में भारतीय सशस्त्र बलों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें पारंपरिक युद्ध की परिकल्पना से आगे बढ़कर ऐसे खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा, जो अदृश्य हैं और अनकन्वेंशनल यानी असामान्य रूप में सामने आते हैं। इनमें इनफॉरमेशन वॉर, आइडियोलॉजिकल वॉर, पर्यावरणीय खतरे और जैविक युद्ध जैसी चुनौतियां शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि आज की दुनिया अशांत और अप्रत्याशित परिवर्तनों से गुजर रही है। वैश्विक अस्थिरता और बदलते सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए यह जरूरी है कि सेनाएं हर समय सतर्क और तैयार रहें।
Rajnath Singh at CCC 2025: बदल रहा है युद्ध का स्वरूप
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा कि युद्ध का स्वरूप लगातार बदल रहा है। आज के दौर के युद्ध अचानक शुरू हो सकते हैं और उनकी अवधि का अनुमान लगाना लगभग असंभव है। यह दो महीने भी हो सकता है, एक साल तक भी खिंच सकता है या पांच साल तक भी जारी रह सकता है। ऐसे में भारतीय सेनाओं को अपनी सर्ज कैपेसिटी यानी दीर्घकालिक लड़ाकू क्षमता को हमेशा पर्याप्त बनाए रखना होगा।
उन्होंने जोर दिया कि सेनाओं को टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली यानी नई तकनीक को अपनाने वाली ताकत बनाना होगा। यह बदलाव आधुनिक समय की जरूरत है और हालिया वैश्विक संघर्षों ने इसकी अहमियत को देखा गया है।
Rajnath Singh at CCC 2025: दोहराया पीएम मोदी का दिया मंत्र
सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दिए गए मंत्र “जय” यानी Jointness, Aatmanirbharta, Innovation को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि सेनाओं को अपनी रणनीति में इस मंत्र को केंद्र में रखना होगा। संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन ही भविष्य के युद्धों का सामना करने में निर्णायक साबित होंगे।
Rajnath Singh at CCC 2025: “सुदर्शन चक्र” के लिए कमेटी गठित
राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी के विज़न “सुदर्शन चक्र” का उल्लेख किया और कहा कि इसके लिए एक समिति गठित कर दी गई है, जो एक रियलिस्टिक एक्शन प्लान तैयार करेगी। इसके लिए उन्होंने पांच साल का मध्यम अवधि का प्लान और दस साल का दीर्घकालिक प्लान बनाने का सुझाव दिया।
आत्मनिर्भरता पर जोर
रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है। यह रणनीतिक स्वायत्तता की कुंजी है। आत्मनिर्भर भारत न केवल देश की सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति दे रहा है, रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और शिपयार्ड्स, एयरोस्पेस क्लस्टर्स और डिफेंस कॉरिडोर्स जैसी क्षमताओं को भी बढ़ा रहा है।
उन्होंने जोर दिया कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का मल्टीप्लायर इफेक्ट है। इससे सुरक्षा भी मजबूत होती है और उद्योग को भी बढ़ावा मिलता है।
इंडस्ट्री और एकेडेमिया से सहयोग
राजनाथ सिंह ने सेनाओं से कहा कि वे उद्योग जगत और अकादमिक संस्थानों के साथ गहरे जुड़ाव पर ध्यान दें। भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का यही रास्ता है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की भागीदारी को और बढ़ाने की जरूरत है, ताकि भारत दुनिया का सबसे मजबूत और सक्षम रक्षा उद्योग हब बन सके।
ऑपरेशन सिंदूर का किया जिक्र
रक्षा मंत्री ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि इसने साबित कर दिया है कि भारत की ताकत तीन स्तंभों पर टिकी है, शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता। उन्होंने सेनाओं की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय जवानों के साहस और स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स की बदौलत आज भारत किसी भी चुनौती का डटकर सामना कर सकता है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में टाई सर्विसेज जॉइंटनेस अत्यंत आवश्यक होगी। इसके लिए सरकार ने ट्राई सर्विसेज लॉजिस्टिक्स नोड्स और ट्राई-सर्विस लॉजिस्टिक मैनेजमेंट एप्लीकेशन की शुरुआत की है, ताकि सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और संसाधनों का साझा उपयोग सुनिश्चित हो सके।
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह केवल मिलिट्री जॉइंटनेस ही नहीं बल्कि सिविल-मिलिट्री फ्यूजन यानी नागरिक और मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर का बेहतर मेल भी जरूरी है। यही भविष्य की सुरक्षा रणनीति की नींव बनेगा।
रक्षा खरीद प्रक्रिया में सुधार
रक्षा मंत्री ने बताया कि उन्होंने डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य है खरीद प्रक्रिया को सरल बनाना, देरी को कम करना और सेनाओं को समय पर आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराना। इसके साथ ही डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर 2020 में भी संशोधन किया जा रहा है, ताकि प्रक्रियाओं को और आसान और प्रभावी बनाया जा सके।