Pakistan air defence failure: गुस्से में पाकिस्तान, ब्रह्मोस के आगे फेल हुए चीनी एयर डिफेंस सिस्टम, चीन बोला- ‘ब्रह्मोस को रोकने के लिए नहीं किया डिजाइन’

Pakistan Air Defence Failure: Chinese HQ-9B and HQ-16 Systems Fail Against BrahMos, Sparking Outrage as China Admits They Weren’t Designed for It
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ब्रह्मोस ने जिस तरह से पाकिस्तान के एय़र डिफेंस सिस्टम को चकमा दिया, उससे पाकिस्तान बहुत नाराज़ है। उसने चीन के निर्माताओं से शिकायत की कि HQ-9B और HQ-16 ने ब्रह्मोस मिसाइल को रोकने में पूरी तरह से फेल कर दिया। लेकिन चीनी कंपनियों का जवाब चौंकाने वाला था। चीन ने जवाब दिया कि HQ-9B और HQ-16 को कभी भी ब्रह्मोस जैसी हाई-स्पीड, लो-एल्टीट्यूड मिसाइलों के लिए डिज़ाइन ही नहीं किया गया था...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Pakistan air defence failure: ऑपरेशन सिंदूर में भारत की स्वदेशी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ने पाकिस्तान में जिस तरह से कहर मचाया, उससे अभी तक पाकिस्तान उबर नहीं पाया है। ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान की एयर डिफेंस सिस्टम की धज्जियां उड़ा कर रख दीं। इस बात से पाकिस्तान में बहुत नाराजगी है।

पाकिस्तानी सेना के सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने हाल ही में चीन से शिकायत की है कि उसके सप्लाई किए गए एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9B और HQ-16 ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहे। वहीं, जवाब में चीन की ओर से साफ कहा गया है कि इन सिस्टम्स को इस तरह की मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन ही नहीं किया गया था।

Pakistan air defence failure: ब्रह्मोस की ‘सर्जिकल’ एंट्री

7 से 10 मई 2025 के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के अंदर कई सैन्य और आतंकी ठिकानों को टारगेट किया। भारत ने अपने राफेल, सुखोई-30 MKI, मिग-29 और मिराज 2000 जैसे फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया। भारत ने इसमें फ्रांस के SCALP मिसाइल, इजराइली Harop ड्रोन और सबसे अहम, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का इस्तेमाल किया था।

ब्रह्मोस ने मैक 3 की रफ्तार से उड़ते हुए पाकिस्तानी एयरस्पेस को चीरते हुए अपने टारगेट्स को सटीकता से तबाह किया। इस ऑपरेशन में भारत ने 11 बड़े पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें नूर खान, रफीकी और मुरिद जैसे अहम एयर बेस शामिल थे। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली खासकर HQ-9B और HQ-16 इन मिसाइलों को न तो समय रहते डिटेक्ट कर सकीं और न ही इंटरसेप्ट। ब्रह्मोस मिसाइल मैक 3 की रफ्तार (लगभग 3700 किमी/घंटा) से चलती है और बहुत नीचे उड़ान भरती है, जिससे इसे रडार से पकड़ना मुश्किल होता है।

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HQ-9B और HQ-16: नाम बड़े, निकले कमजोर?

HQ-9B को चीन ने अमेरिकी Patriot सिस्टम के मुकाबले का बताया था, जिसकी रेंज करीब 300 किलोमीटर है। वहीं HQ-16 (LY-80) को मिड-रेंज डिफेंस सिस्टम के तौर पर प्रचारित किया गया था। HQ-9B एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) है, जो 250-300 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। वहीं, HQ-16 मध्यम दूरी की प्रणाली है, जो 40 किलोमीटर तक के निचले और मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्यों को रोकने के लिए बनाई गई है। ये सिस्टम पाकिस्तान के व्यापक हवाई रक्षा (Comprehensive Layered Integrated Air Defence -CLIAD) का हिस्सा थे। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दोनों सिस्टम या तो बायपास हो गए, या जैम कर दिए गए, या फिर तबाह कर दिए गए। खास बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पहले ही पाकिस्तानी रडार सिस्टम YLC-8E को निशाना बनाकर उसे निष्क्रिय कर दिया था। इसके बाद ब्रह्मोस ने बिना किसी रोक के लक्ष्य को भेदा। पाकिस्तान ने दावा किया था कि ये सिस्टम भारत के राफेल जेट्स और ब्रह्मोस मिसाइलों को रोक सकते हैं।

भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने इन दोनों डिफेंस सिस्टम को चकमा दे दिया और अपने लक्ष्य को भेद दिया। भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) तकनीकों का इस्तेमाल करके पाकिस्तान के रडार को जाम कर दिया, जिससे HQ-9B और HQ-16 कुछ नहीं कर पाए। इसके अलावा, भारत ने हारोप ड्रोन का इस्तेमाल करके लाहौर और सियालकोट में HQ-9B लांचर को भी नष्ट कर दिया। पंजाब के चुनियां में चीन का YLC-8E एंटी-स्टील्थ रडार भी तबाह हो गया।

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चीन ने दिया ये जवाब

वहीं, ब्रह्मोस ने जिस तरह से पाकिस्तान के एय़र डिफेंस सिस्टम को चकमा दिया, उससे पाकिस्तान बहुत नाराज़ है। उसने चीन के निर्माताओं से शिकायत की कि HQ-9B और HQ-16 ने ब्रह्मोस मिसाइल को रोकने में पूरी तरह से फेल कर दिया। लेकिन चीनी कंपनियों का जवाब चौंकाने वाला था। चीन ने जवाब दिया कि HQ-9B और HQ-16 को कभी भी ब्रह्मोस जैसी हाई-स्पीड, लो-एल्टीट्यूड मिसाइलों के लिए डिज़ाइन ही नहीं किया गया था।

चीन का कहना है कि HQ-9B और HQ-16 पारंपरिक क्रूज मिसाइलों और विमानों को रोकने के लिए बनाए गए हैं। चीन ने शुरुआत में इन सिस्टम्स को ‘सभी तरह के खतरे से निपटने में सक्षम’ बताया था। अब पाकिस्तानी अधिकारी महसूस कर रहे हैं कि उनके साथ धोका किया गया।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

चीन के अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी इस चूक को लेकर बहस तेज हो गई है। कुछ लोगों ने पाकिस्तान की ट्रेनिंग को दोषी ठहराया, तो कई यूजर्स ने कहा कि इससे चीन के हथियार एक्सपोर्ट की साख को बड़ा नुकसान हुआ है। एक यूज़र ने लिखा, “HQ-9B एक अच्छा सिस्टम है, लेकिन अगर इस्तेमाल करने वाले को ट्रेनिंग ही नहीं है, तो यह बेकार है।” चीन के लिए पाकिस्तान बड़ा बाजार है। औऱ वह करीब 82% हथियार खरीद वह चीन से करता है। ऐसे में HQ-9B और HQ-16 की असफलता से चीन के बाकी हथियारों जैसे J-10C, JF-17, PL-15 मिसाइल और Wing Loong ड्रोन की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

2022 की घटना ने पहले ही उठाए थे सवाल

यह पहली बार नहीं है जब चीन के हवाई रक्षा सिस्टम पर सवाल उठे हैं। 2022 में, भारत से गलती से एक ब्रह्मोस मिसाइल छूट गई थी, जो पाकिस्तान के मियां चन्नू में 124 किलोमीटर अंदर जाकर गिरी। उस वक्त भी पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने मिसाइल को ट्रैक किया था, लेकिन उसे रोकने की कोशिश नहीं की। तब भी HQ-9B और HQ-16 नाकाम रहे थे, जिसके बाद कई सवाल उठे थे।

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पाकिस्तान अब तलाश रहा है नया विकल्प

इस नाकामी के बाद पाकिस्तान अब अपनी डिफेंस स्ट्रैटेजी बदलने की सोच रहा है। वह अब तुर्की के SİPER 1 और SİPER 2 सिस्टम्स खरीदने की योजना बना रहा है। ये सिस्टम 70 से 150 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकते हैं और इनमें गाइडेंस, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे सिस्टम लगे हैं। इससे साफ है कि पाकिस्तान अब सिर्फ चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता और अपनी सुरक्षा के लिए नए रास्ते तलाश रहा है।

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चीन ने HQ-9B को अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम की तरह पेश किया था, लेकिन इसकी नाकामी ने उसकी साख को ठेस पहुंची है। चीन की सेना (PLA) भी अपने रक्षा सिस्टम में 300 से ज्यादा HQ-9 सिस्टम इस्तेमाल करती है। अगर ये सिस्टम भारत के सामने नाकाम रहे, तो खुद चीन में भी उसकी डिफेंस स्ट्रैटेजी पर सवाल उठ सकते हैं।

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