📍नई दिल्ली | 22 Oct, 2025, 11:41 AM
Operation Sindoor Gallantry Awards: भारत सरकार ने हाल ही में गजट नोटिफिकेशन जारी कर उन जवानों के शौर्य को विस्तार से बताया है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान असाधारण साहस का प्रदर्शन किया था। इस सूची में भारतीय वायुसेना और थलसेना के 15 जवानों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है, जिन्होंने मई 2025 में पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाई थी। भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन वीरों को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मानित किया था।
IAF Day 2025 पर ऑपरेशन सिंदूर के लिए गोल्डन एरोज, S-400 और ब्रह्मोस स्क्वॉड्रन को मिला यूनिट साइटेशन
यह पहली बार है जब ऑपरेशन सिंदूर में मिले वीरता पुरस्कारों के साइटेशंस को सार्वजनिक किया गया है। सरकार की तरफ से जारी इस सूची में बताया गया है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयरबेस और आतंकी ठिकानों को तबाह किया था।
ग्रुप कैप्टन रणजीत सिंह सिद्धू: दुश्मन के ‘दिल’ में वार करने वाले राफेल कमांडर
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन रणजीत सिंह सिद्धू को ऑपरेशन सिंदूर में उनकी अभूतपूर्व नेतृत्व क्षमता और वीरता के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया। सिद्धू ने राफेल स्क्वाड्रन का नेतृत्व करते हुए कई डीप-पेनीट्रेशन स्ट्राइक मिशन पूरे किए, जिनमें उन्होंने दुश्मन के ठिकानों को सर्जिकल प्रिसिजन के साथ नष्ट किया।
गजट में प्रकाशित उनकी साइटेशन में कहा गया है, “ग्रुप कैप्टन सिद्धू ने उस दौरान असाधारण नेतृत्व और साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने तीन अलग-अलग एयरबेस से स्ट्राइक मिशन ऑपरेट किए और लगातार पाकिस्तानी खतरों के बीच रियल टाइम फैसले लेते हुए मिशन को अंजाम दिया।”
उनकी स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान के अंदर तक जाकर निशाना साधा और अपने फाइटर पायलटों के लिए एयर डिफेंस कवर भी दिया। उनके नेतृत्व में वायुसेना ने पाकिस्तान के डिफेंस लेयर को भेदते हुए कई अहम ठिकानों को नष्ट किया।
ग्रुप कैप्टन मनीष अरोड़ा: अंधेरे में किया सटीक वार
ग्रुप कैप्टन मनीष अरोड़ा को भी वीर चक्र से सम्मानित किया गया है। उन्होंने एक अनएस्कॉर्टेड स्ट्राइक पैकेज का नेतृत्व किया। उनका मिशन था, पाकिस्तानी सेना के सबसे सुरक्षित ठिकानों को निशाना बनाना।
उनकी साइटेशन में लिखा गया है, “उन्होंने अंधेरी रात में बेहद कम समय में लॉन्च विंडो में घुसपैठ की और सटीक हमले किए। उनकी आक्रामक उड़ान ने दुश्मन को भ्रम में डाल दिया और पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम डिएक्टिवेट हो गया।”
उनका मिशन उस इलाके में हुआ जो 24 घंटे रडार कवरेज और बियोंड विजुअल रेंज मिसाइलों से सुरक्षित था। इसके बावजूद उन्होंने जोखिम उठाकर टारगेट नष्ट किया और अपने साथियों को सुरक्षित वापस लाए।
ग्रुप कैप्टन अनीमेश पटनी: सैम यूनिट के कमांडर
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ग्रुप कैप्टन अनीमेश पतनी ने फारवर्ड पोजिशन पर एक सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) स्क्वाड्रन की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में यूनिट ने दुश्मन के कई एरियल टारगेट्स को निशाना बनाया और बिना किसी नुकसान के मिशन पूरा किया।
उनके नेतृत्व में यूनिट ने बार-बार अपनी लोकेशन बदली ताकि दुश्मन भ्रमित रहे और अपनी ऑफेंसिव पोजिशन बनाए रखी। उनके निर्देशन में वायुसेना ने कई दुश्मन के कई हवाई हमलों को नाकाम किया।
ग्रुप कैप्टन कुनाल कालरा: तकनीकी खराबी के बाद भी नहीं खोया साहस
ग्रुप कैप्टन कुनाल कालरा का मिशन बेहद चुनौतीपूर्ण था। उड़ान के दौरान उनके विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी, लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा। उन्होंने पहला टारगेट सफलतापूर्वक नष्ट किया और फिर सिस्टम रीसेट कर दूसरा टारगेट भी मार गिराया।
उनकी साइटेशन में लिखा है, “उन्होंने विपरीत मौसम, तकनीकी गड़बड़ी और दुश्मन के मजबूत डिफेंस के बीच अपनी स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया। उनका दृढ़ निश्चय और नेतृत्व प्रेरणादायक रहा।”
विंग कमांडर जॉय चंद्र: रडार नेटवर्क को भेदा
विंग कमांडर जॉय चंद्र ने ऐसे इलाके में मिशन को अंजाम दिया जो नेटवर्क्ड एयर डिफेंस ग्रिड से घिरा था। उन्होंने लो-लेवल उड़ान भरते हुए रडार को धोखा दिया और सही समय पर टारेगट को निशाना बनाया। खास बात यह थी उस दौरान दुश्मन के सरफेस टू एय़र गाइडेड वेपंस एक्टिव थे।
स्क्वाड्रन लीडर सार्थक कुमार: दो दिनों में दुश्मन के दो ठिकाने तबाह
स्क्वाड्रन लीडर सार्थक कुमार ने लगातार दो दिनों तक दो स्ट्राइक मिशन उड़ाए और दोनों बार टारगेट को नष्ट किया। अगले दिन, कुमार को फिर से एक लंबी दूरी के स्ट्राइक मिशन को उड़ाने का काम सौंपा गया, जिसके चलते पाकिस्तान बुरी तरह से पंगु हो गया और उसकी ऑपरेशन क्षमता काफी घट गई।
स्क्वाड्रन लीडर सिद्धांत सिंह: ‘स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक’ के एक्सपर्ट
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, सिद्धांत सिंह को तीन विमानों की फॉर्मेशन का नेतृत्व करने का दायित्व सौंपा गया था। उनका कार्य एक पूर्व-निर्धारित टारगेट पर स्टैंड-ऑफ प्रिसिजन स्ट्राइक (दूर से सटीक हमला) करना था। दुश्मन के एयर डिफेंस नेटवर्क के बीच उन्होंने बिना किसी नुकसान के मिशन को अंजाम दिया।
स्क्वाड्रन लीडर रिजवान मलिक: बहावलपुर और मुरिदके रहा टारगेट
मणिपुर के इम्फाल ईस्ट जिले के कैखू गांव के रहने वाले स्क्वाड्रन लीडर रिजवान मलिक ने अपने सुखोई-30एमकेआई विमान से अंधेरे में उड़ान भरते हुए बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को नष्ट किया, जिसमें अनुमानित 100 से अधिक आतंकवादी और उनके परिवारजन मारे गए। इसके अलावा, मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों और पाकिस्तानी मिलिट्री इंस्टालेशंस पर भी हमले किए। उस दौरान दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम भी एक्टिव थे।
कर्नल कोशांक लंबा (302 मीडियम रेजिमेंट)
भारतीय थलसेना के अधिकारियों को भी वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। कर्नल कौशांक लांबा ने सीमावर्ती मोर्चों पर निर्णायक तोपखाने की कार्रवाई का नेतृत्व किया। कर्नल कोशांक लंबा ने पहली बार इतने कम समय में स्पेशिलाइज्ड इक्विपमेंट बैटरी की हवाई मोबिलाइजेशन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। उन्होंने पूरी गोपनीयता के साथ इंटर-कमांड इंडक्शन सुनिश्चित किया, जिससे ऑपरेशन के लिए समय पर संसाधन उपलब्ध हो सके। दुश्मन की तीव्र गोलाबारी और हमलों के बीच, उन्होंने अपनी यूनिट को तैनात किया और महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर सटीक तोपखाने की आग से दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया। कर्नल लांबा ने अपनी आर्टिलरी यूनिट के जवानों के साथ दुश्मन की बंकरों पर सटीक फायर मिशन ऑपरेट किए, जिससे कई आतंकवादी ठिकाने नष्ट हुए।
लेफ्टिनेंट कर्नल सुशील बिष्ट (1988 इंडिपेंडेंट मीडियम बैटरी)
लेफ्टिनेंट कर्नल सुशील बिष्ट ने अपनी आर्टिलरी यूनिट की कमांड संभालते हुए दुश्मन के आतंकी कैंपों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उन्होंने अपनी बैटरी से हाई वैल्यू टारगेट्स पर हमले किए। उनके नेतृत्व में यूनिट ने काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशन में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। वहीं बिष्ट ने सैटेलाइट इमेजरी और नई तकनीकों का उपयोग कर सटीक लोकेशन तय की और रात के अंधेरे में ऑपरेशन को अंजाम दिया।