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India Defence Export Strategy: भारत अब हथियार खरीदने के लिए दूसरे देशों को देगा सस्ता कर्ज, रूस के पुराने ग्राहकों पर है फोकस

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भारत अब वैश्विक रक्षा बाजार में एक नई भूमिका निभाने को तैयार है। रूस के पारंपरिक ग्राहकों को टारगेट करते हुए भारत ने सस्ते कर्ज, नए रक्षा अताशे और सस्ते हथियार बना कर रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है। EXIM बैंक के सहयोग से भारत अब ब्राज़ील, अर्मेनिया जैसे देशों को मिसाइल, तोप के गोले और युद्धपोत जैसे उपकरणों की पेशकश कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है कि 2029 तक भारत का रक्षा निर्यात 6 अरब डॉलर तक पहुंचे...

📍नई दिल्ली | 16 Apr, 2025, 5:16 PM

India Defence Export Strategy: ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए सरकार अमेरिका और रूस की तर्ज पर अब बड़ी रणनीति अपनाने जा रही है। भारत अब मिसाइलों, हेलीकॉप्टरों और युद्धपोतों को निर्माण कर रहा है और अब रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विदेशी बाजार तलाश रहा है। इसके लिए भारत ने सस्ते ऋण और स्ट्रेटेजिक डिप्लोमेसी का सहारा लिया है, जिसका लक्ष्य रूस के पारंपरिक ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करना है।

India Defence Export Strategy EXIM Bank to Fund Arms Deals in Brazil, Armenia

रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक भारत का Export-Import Bank (EXIM Bank) अब उन देशों को भी सस्ते और लंबी अवधि के सस्ते कर्ज मुहैया कराएगा, जिन्हें राजनीतिक अस्थिरता या क्रेडिट रिस्क के चलते परंपरागत बैंक लोन नहीं मिल पाते। सरकार की इस रणनीति का उद्देश्य है कि उन देशों को हथियार बेचे जाएं, जो दशकों से रूसी हथियारों के लिए निर्भर रहे हैं।

अपनी इसी रणनीति के तहत पिछले साल सरकार ने एक बड़ा फैसला किया था, कि वह विदेशी मिशनों में रक्षा अताशे (डिफेंस अटैच) की संख्या में बढ़ोतरी करेगी। भारत ने फैसला लिया है कि वह मार्च 2026 तक 20 से अधिक नए डिफेंस अताशे विदेशी दूतावासों में तैनात करेगा। ये अधिकारी न केवल भारत के हथियारों की मार्केटिंग करेंगे, बल्कि संबंधित देशों की रक्षा जरूरतों का मूल्यांकन कर उन्हें भारतीय कंपनियों से जोड़ेंगे। सूत्रों के अनुसार, भारत अब अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों जैसे अल्जीरिया, मोरक्को, गयाना, तंजानिया, अर्जेंटीना, इथियोपिया और कंबोडिया पर खास फोकस कर रहा है।

India Defence Export Strategy: रूस-यूक्रेन युद्ध बना टर्निंग प्वाइंट

दरअसल 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ग्लोबल वेपंस सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। दुनिया के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता देश अमेरिका और रूस अब अपनी प्राथमिकताएं बदल चुके हैं। पश्चिमी देशों ने अपनी गोदामों से यूक्रेन को हथियार भेजे, जबकि रूस के रक्षा कारखाने अपनी आंतरिक मांग पूरी करने में व्यस्त हो गए। इसी दौरान भारत जैसे देश नए विकल्प के तौर पर उभर कर सामने आए। इसका असर यह हुआ कि एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देश अब नए विकल्प तलाश रहे हैं। भारत ने इस मौके को पहचानते हुए और अपनी डिफेंस एक्सपोर्ट स्ट्रेटेजी को इस तरह से तैयार किया कि अब वह न सिर्फ सस्ता बल्कि भरोसेमंद विकल्प बन सकता है।

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India Defence Export Strategy: भारत का बढ़ता रक्षा उत्पादन

भारत ने 2023-24 वित्तीय वर्ष में 14.8 बिलियन डॉलर के हथियारों का उत्पादन किया, जो 2020 की तुलना में 62 फीसदी अधिक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले एक दशक में अपने हथियार निर्यात को 230 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 2.3 बिलियन डॉलर कर लिया है, हालांकि यह अभी भी 3.5 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से पीछे है। मोदी सरकार ने 2029 तक हथियार निर्यात को दोगुना कर 6 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी कम लागत क्षमता है। उदाहरण के लिए, भारत 155 मिमी तोपखाने के गोले को 300 से 400 डॉलर प्रति गोला की कीमत पर बना सकता है, जबकि यूरोपीय देशों में कीमत 3,000 डॉलर से अधिक है। इसी तरह, भारतीय हॉवित्जर की कीमत लगभग 3 मिलियन डॉलर है, जो यूरोपीय मॉडल के कीमत की आधी है।

रूस-अमेरिका देते रहे हैं हथियार खरीदने के लिए कर्ज

अभी तक रूस और अमेरिका जैसे प्रमुख हथियार निर्यातक देश ही हथियार खरीदने के लिए कर्ज या वित्तीय मदद देने में अग्रणी रहे हैं। अपने रणनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए हथियार सौदों के साथ फाइनेंसिंग या क्रेडिट गारंटी की पेशकश करते रहे हैं। रूस, अपनी सरकारी हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के जरिए कई देशों को हथियारों के साथ-साथ सस्ते ऋण देता रहा है। विशेष रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देश, जो सोवियत काल से रूसी हथियारों पर निर्भर थे, इन वित्तीय सुविधाओं का लाभ उठाते रहे हैं। यहां तक कि रूस ने भारत, वियतनाम और अल्जीरिया जैसे देशों को हथियार सौदों के लिए क्रेडिट लाइन दी है।

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वहीं, अमेरिका अपने फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग (FMF) कार्यक्रम के तहत सहयोगी देशों को हथियार खरीद के लिए लोन देता रहा है। इजरायल, मिस्र, जॉर्डन और नाटो सहयोगियों जैसे देशों के लिए यह लोन बेहद आम हैं। अमेरिका की इस रणनीति से न केवल हथियारों की बिक्री बढ़ती है, बल्कि इसका ज्योपॉलिटिकल असर भी पड़ता है और उसे मजबूत मिलती है।

वहीं हाल के सालों में चीन ने भी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में हथियार बिक्री के साथ सस्ते ऋण की पेशकश शुरू की है, खासकर उन देशों को जो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा हैं। वहीं, फ्रांस और तुर्की भी अपने हथियार सौदों में क्रेडिट गारंटी या फाइनेंस की पेशकश करते हैं, विशेष रूप से उन ग्राहकों को जो उनके रणनीतिक हितों से जुड़े हैं। इसके अलावा इजरायल ने भी कुछ मामलों में हथियार सौदों के लिए लोन दिए हैं, हालांकि इसका दायरा रूस और अमेरिका के मुकाबले बेहद सीमित है।

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India Defence Export Strategy: निजी कंपनियों की भागीदारी भी बढ़ी

सरकारी कंपनियों के साथ-साथ अब भारत की निजी रक्षा कंपनियां भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। अदाणी डिफेंस, SMPP जैसी कंपनियां अब बड़े पैमाने पर 155 मिमी तोप गोला और अन्य सैन्य उपकरण बना रही हैं। SMPP के सीईओ के अनुसार, “अब ग्लोबल लेवल पर भारत से गोला-बारूद की भारी मांग हो रही है, और हमने इसके लिए नया प्लांट भी तैयार किया है।

अर्मेनिया बना भारत की इस रणनीति का पहला उदाहरण

भारत की नई रणनीति का पहला बड़ा उदाहरण अर्मेनिया है, जहां हाल ही में पहली बार भारत ने डिफेंस अताशे को तैनात किया गया। अर्मेनिया पहले रूस से हथियार लेता था, लेकिन अब भारत की ओर रुख कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच अर्मेनिया के कुल हथियार आयात में भारत की हिस्सेदारी 43% रही है।

बड़े हथियारों की बिक्री पर फोकस

पश्चिमी देशों की तुलना में भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी कम लागत और उत्पादन क्षमता है। अभी भारत मुख्यतया छोटे हथियार, गोला-बारूद और डिफेंस इक्विपमेंट्स ही निर्यात करता है, लेकिन अब सरकार चाहती है कि हेलिकॉप्टर, रडार, मिसाइल और युद्धपोत जैसे हाई-एंड सिस्टम्स का भी बड़ा हिस्सा हो। लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के रिसर्चर विराज सोलंकी ने कहा, “जब तक भारत अपने स्वदेशी उपकरणों का अधिक बार उपयोग नहीं करता और उनकी प्रभावशीलता का प्रदर्शन नहीं करता, तब तक संभावित खरीदारों को समझाना मुश्किल होगा।”

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इसके बावजूद, भारत अपनी मिसाइल प्रणालियों जैसे आकाश और युद्धपोतों के निर्यात को बढ़ाने के लिए उत्साहित है। भारत की रणनीति में दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश प्रमुख लक्ष्य हैं। ब्राज़ील में हाल ही में EXIM बैंक का ऑफिस खोला गया है। भारत ने ब्राज़ील को ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम और युद्धपोत बेचने की बातचीत शुरू कर दी है। इसके अलावा, भारत की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने भी साओ पाउलो में एक मार्केटिंग ऑफिस खोला है। EXIM बैंक को इस रणनीति का केंद्र बनाया गया है, जो अब अपने कॉमर्शियल पोर्टफोलियो से ऐसे सौदों को सपोर्ट करेगा। यह पोर्टफोलियो 2023-24 में $18.32 बिलियन तक पहुंच चुका है।

भारतीय नौसेना के रिटायर्ड कमांडर और KPMG डिफेंस के एडवाइजर गौतम नंदा का कहना है, “भारत ने न तो अपनी उत्पादन क्षमता घटाई, न ही उसे कभी युद्ध की संभावना से इनकार किया। आज भारत के पास वो अनुभव और उत्पादन लाइनें हैं जो पश्चिमी देशों ने पोस्ट-कोल्ड वॉर में बंद कर दी थीं।”

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हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को हाई-एंड सिस्टम्स बेचने के लिए खुद उन हथियारों का इस्तेमाल करके उनका ट्रैक रिकॉर्ड दिखाना होगा। IISS के विशेषज्ञ विराज सोलंकी के अनुसार, “जब तक भारत अपने बनाए गए आधुनिक हथियारों का पर्याप्त प्रदर्शन नहीं करेगा, तब तक खरीदारों का पूरी तरह भरोसा नहीं मिलेगा।”

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  • India Defence Export Strategy: भारत अब हथियार खरीदने के लिए दूसरे देशों को देगा सस्ता कर्ज, रूस के पुराने ग्राहकों पर है फोकस

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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