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HAL Tejas MK-1A: तेजस की पहली उड़ान पर बोले रक्षा मंत्री- “अब हम खुद बना रहे हैं वो फाइटर जिन्हें कभी विदेश से खरीदते थे”

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एएचएल की टीम ने 24 घंटे फाइटर जेट्स जैसे सुखोई, जैगुआर, मिराज और तेजस को ऑपरेशनल बनाए रखा...

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📍नासिक | 17 Oct, 2025, 2:20 PM

HAL Tejas MK-1A: शुक्रवार का दिन भारत के डिफेंस सेक्टर के लिए बेहद खास रहा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नासिक प्लांट से भारत में निर्मित एलसीए तेजस एमके-1ए ने अपनी पहली सार्वजनिक उड़ान भरी। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्वयं मौजूद रहे। उन्होंने तेजस की उड़ान को “भारत की आत्मा और आत्मविश्वास की उड़ान” बताया। उन्होंने कहा, “आज नासिक की यह धरती केवल विमान की उड़ान नहीं देख रही, बल्कि भारत की नई सोच, नई तकनीक और नए आत्मगौरव की उड़ान देख रही है।”

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HAL Tejas MK-1A: तीसरी तेजस उत्पादन लाइन का उद्घाटन

कार्यक्रम की शुरुआत में रक्षा मंत्री ने तीसरी तेजस उत्पादन लाइन और दूसरी एचटीटी-40 ट्रेनर एयरक्राफ्ट उत्पादन लाइन का उद्घाटन किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि छह दशक पहले यही नासिक प्लांट विदेशी लड़ाकू विमानों जैसे मिग-21, मिग-27 और सुखोई-30 के निर्माण के लिए जाना जाता था। लेकिन आज यही भूमि पूरी तरह भारतीय डिजाइन और तकनीक से निर्मित विमानों का केंद्र बन चुकी है। उन्होंने कहा, “यह परिवर्तन केवल औद्योगिक बदलाव नहीं, बल्कि भारत की मानसिकता में आए आत्मनिर्भरता के परिवर्तन का प्रतीक है।”

HAL Tejas MK-1A:

HAL Tejas MK-1A: 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण खुद बना रहा भारत

राजनाथ सिंह ने कहा कि 2014 में जब केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की यात्रा शुरू की थी, तब भारत 70 फीसदी रक्षा उपकरण विदेशों से आयात करता था। “लेकिन आज भारत अपने 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण खुद बना रहा है, और हमारा लक्ष्य है कि आने वाले समय में यह 100 प्रतिशत हो।” उन्होंने कहा कि भारत का रक्षा उत्पादन 2014-15 में 46,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ से बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

रक्षा मंत्री ने बताया कि 2029 तक भारत का लक्ष्य 3 लाख करोड़ रुपये रक्षा उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपये रक्षा निर्यात तक पहुंचने का है। उन्होंने कहा कि यह केवल सरकारी संस्थानों की नहीं, बल्कि भारतीय युवाओं, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की मेहनत का परिणाम है। उन्होंने कहा, “तेजस और एचटीटी-40 इन सबका संयुक्त सपना हैं, जिन्हें भारत की तकनीकी ताकत ने साकार किया है।”

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HAL Tejas MK-1A: 10 तेजस बनाए जा सकेंगे नासिक में

एचएएल की नासिक डिवीजन को लगभग 500 करोड़ रुपये के निवेश से अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह आधुनिक बनाया गया है। अब यहां सालाना आठ तेजस एमके-1ए विमान बनाए जा सकते हैं, जिसे आगे बढ़ाकर दस विमान प्रति वर्ष तक किया जा सकेगा। एएचएल ने अब तक दस तेजस एमके-1ए विमान बनाए हैं, जिनमें जीई एफ404 इंजन लगाए गए हैं। दूसरा विमान दिसंबर 2025 तक और तीसरा जनवरी 2026 तक तैयार हो जाएगा। बेंगलुरु और अन्य यूनिट्स को मिलाकर एचएएल की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 24 विमान तक होगी।

तेजस एमके-1ए के साथ ही नासिक प्लांट में एचटीटी-40 (HTT-40) ट्रेनर विमान की नई उत्पादन लाइन भी शुरू की गई। यह विमान भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनेगा और पुराने पिलाटस पीसी-7 एमके II विमानों की जगह लेगा।

ऑपरेशन सिंदूर में एचएएल की भूमिका को सराहा

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस मिशन ने यह साबित किया कि भारतीय सशस्त्र बलों को अब विदेशी हथियारों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एएचएल की टीम ने 24 घंटे फाइटर जेट्स जैसे सुखोई, जैगुआर, मिराज और तेजस को ऑपरेशनल बनाए रखा। यह उस भरोसे का प्रमाण है जो हमारे सैनिकों को भारतीय तकनीक पर है।”

HAL Tejas MK-1A:

नासिक में अब सिविल और मिलिट्री एविएशन के लिए MRO

उन्होंने कहा कि नासिक में अब सिविल और मिलिट्री एविएशन के लिए संयुक्त मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल सुविधाएं भी स्थापित की गई हैं, जिससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा, “यह केवल विमानों का उत्पादन केंद्र नहीं, बल्कि महाराष्ट्र और आसपास के राज्यों के लिए रोजगार और औद्योगिक विकास का नया केंद्र बन जाएगा।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि एचएएल अब इंडस्ट्री 4.0 और क्वालिटी 4.0 तकनीकों को अपनाकर पूरी तरह डिजिटल हो चुका है। उन्होंने कहा, “आज एचएएल केवल एक पब्लिक सेक्टर नहीं, बल्कि वैश्विक मानकों के साथ काम करने वाला आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।”

तेजस एमके-1ए की पहली सार्वजनिक उड़ान भारतीय वायुसेना के अनुभवी टेस्ट पायलट ग्रुप कैप्टन ए. भट्टाचार्य (नाम प्रतीकात्मक) ने संचालित की। उड़ान के बाद उन्होंने कहा, “जब मैंने रनवे पर स्पीड बढ़ाई और तेजस को आसमान में उठते देखा, तो मुझे ऐसा लगा जैसे पूरा भारत मेरे साथ उड़ान भर रहा है। यह सिर्फ एक मशीन नहीं, यह एक भावना है — देश की क्षमता और आत्मविश्वास की प्रतीक।”

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उड़ान के बाद सुखोई-20, तेजस एमके1ए और एचटीटी-40 उड़ाने वाले सभी पायलटों ग्रुप कैप्टन केके वेणुगोपाल, ग्रुप कैप्टन प्रत्यूष अवस्थी और विंग कमांडर एमके रथ औऱ विंग कमांडर संजय वर्मा को मंच से बधाई दी और कहा, “आज आपने न केवल भारत के स्वदेशी विमान को उड़ाया है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों को भी आसमान तक पहुंचाया है। आपके हाथों में आज भारत का गर्व उड़ान भर रहा था।”

कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहे हैं योद्धा

रक्षा मंत्री ने कहा, फाइटर एयरक्राफ्ट्स, मिसाइल, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम… भारत ने इन सभी क्षेत्रों में जबरदस्त प्रगति की है। जब हम उच्च रक्षा प्रौद्योगिकी की बात करते हैं, तो यह केवल मशीन या हथियार की बात नहीं है, बल्कि यह हमारी सोच, हमारे सामर्थ्य और हमारे आत्मविश्वास की एक नई कहानी है।

उन्होंने कहा, आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर वारफेयर, ड्रोन सिस्टम्स और नेक्स्ट जनरेशन एयरक्राफ्ट्स भी भविष्य की दिशा तय कर रहे हैं। अब योद्धा केवल जमीन या आसमान में नहीं, बल्कि कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहे हैं। इस नई दौड़ में भारत को हमेशा आगे रहना है।

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि एलसीए तेजस और एचटीटी-40 विमानों का निर्माण हमारे विभिन्न औद्योगिक साझेदारों के सहयोग का भी परिणाम है। यह सहयोग इस बात का प्रमाण है कि जब सरकार, उद्योग और शिक्षाविद मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती अनुत्तरित नहीं रहती।

सुखोई-30 पर ब्रह्मोस मिसाइल का इंटीग्रेशन

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले हमने मिग-21 की प्री-कमीशनिंग की। मिग-21 ने लंबे समय तक इस देश की सेवा की, और इसकी ऑपरेशनल ज़रूरतों को पूरा करने में एचएएल का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

उन्होने कहा, “मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि नासिक टीम ने सुखोई-30 पर ब्रह्मोस मिसाइल का इंटीग्रेशन करके महत्वपूर्ण काम किया है। और अब इस नई उत्पादन लाइन के उद्घाटन के साथ, ‘मेड इन इंडिया’ फाइटर और ट्रेनर के उत्पादन का एक नया युग भी शुरू हो रहा है।

HAL Tejas MK-1A: पायलट माइंडसेट: सफलता का सूत्र

रभा मंत्री ने इस दौरान छात्रों को भी प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “आप सभी एवियोनिक्स के विशेषज्ञ हैं, इसलिए मैं अधिक तकनीकी बातें नहीं करूंगा। मैं भी एक फिजिक्स का छात्र रहा हूं। जब भी एविएशन की बात आती है, तो मुझे इसमें केवल मशीनें ही नहीं, बल्कि जीवन के गहरे संदेश भी दिखाई देते हैं।”

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उन्होंने कहा, “किसी भी विमान के लिए उसका नेविगेशन सिस्टम बहुत महत्वपूर्ण है। ठीक वैसे ही, हमें अपने जीवन में भी एक मोरल कम्पास रखना चाहिए।”

रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं एक वरिष्ठ पायलट का कथन याद करता हूं कि ‘टेक-ऑफ आईएस आप्शनल, बट लैंडिंग इज मैंडेटरी.’ यानी किसी भी काम को शुरू करना बहुत आसान है, लेकिन उसे सफलता पूर्वक अंत तक पूरा करना एक जिम्मेदार काम है। हमें हर परियोजना को एक उड़ान की तरह प्रबंधित करना चाहिए: उत्साह के साथ शुरू करें, बीच में संतुलन बनाए रखें, और अंत में सुरक्षित रूप से पूरा करें।”

“हमारा हर प्रोजेक्ट, हर कार्य ऐसा ही होना चाहिए, जिसकी दिशा स्पष्ट हो, कम्युनिकेशन मजबूत हो, आदतें अनुशासित हों, मन हमेशा सतर्क रहे, और सकारात्मकता बनी रहे। इसी पायलट माइंडसेट से हम 2047 के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।”

कार्यक्रम के अंत में रक्षा मंत्री ने कहा कि तेजस केवल एक विमान नहीं, बल्कि भारत की सोच, आत्मविश्वास और क्षमताओं का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “यह भारत की नई तकनीकी उड़ान है, एक ऐसी उड़ान जो ‘मेक इन इंडिया’ से ‘फ्लाई विद इंडिया’ की दिशा में आगे बढ़ रही है।”

उन्होंने सभी एएचएल इंजीनियरों, एडीए, डीजीएक्यूए और औद्योगिक साझेदारों को बधाई देते हुए कहा कि तेजस और एचटीटी-40 भारतीय वायुसेना को नई शक्ति, नई आधुनिकता और नया आत्मविश्वास देंगे।

Author

  • Harendra Chaudhary

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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    🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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