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GPS Spoofing Delhi Blast Link: क्या एक ही साजिश से जुड़े हैं दिल्ली ब्लास्ट और जीपीएस स्पूफिंग के तार? क्या भारत पर हुआ हाइब्रिड टेररिज्म अटैक?

दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई जीपीएस स्पूफिंग ने उड़ानों की दिशा बदल दी थी। करीब 800 फ्लाइट्स डिले हुईं और 20 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इससे करीब 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जो सीधे तौर पर ट्रेड और टूरिज्म को प्रभावित करता है...

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📍नई दिल्ली | 11 Nov, 2025, 5:09 PM

GPS Spoofing Delhi Blast Link: दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट, एयरपोर्ट पर हुई जीपीएस स्पूफिंग और फरीदाबाद में बरामद हुए 2900 किलो विस्फोटक के बीच अब एक गहरी कड़ी सामने आ रही है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह तीनों घटनाएं “हाइब्रिड टेररिज्म” का हिस्सा हो सकती हैं, यानी ऐसा आतंकवाद जिसमें फिजिकल और साइबर दोनों तरह के हमले एक साथ किए जाते हैं।

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दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण ब्लास्ट और पिछले हफ्ते एयरपोर्ट पर हुई जीपीएस स्पूफिंग की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। दोनों घटनाएं एक हफ्ते के अंदर हुई हैं और अब जांच एजेंसियां यह जानने में जुटी हैं कि क्या इन दोनों का आपस में कोई सीधा आतंकी कनेक्शन है।

GPS Spoofing Delhi Blast Link: लोकल टेरर सेल के बचे लोग बने साजिश का हिस्सा

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, फरीदाबाद और दिल्ली में हुए ऑपरेशन के बाद आतंकियों के कई नेटवर्क को “रोल-अप” किया गया था। हालांकि, कुछ “रेमनेंट्स” यानी बचे हुए लोग सक्रिय हो गए और उन्होंने योजना को अंजाम दे दिया। फरीदाबाद में गिरफ्तार डॉक्टरों और दिल्ली में मिले ब्लास्ट एविडेंस से पता चला कि पाकिस्तानी हैंडलर्स से जुड़ा एक टेलीग्राम चैनल इस्तेमाल किया जा रहा था। इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह चैनल जैश-ए-मोहम्मद और आईएसआईएस के प्रॉक्सी अकाउंट्स से जुड़ा है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर जीपीएस स्पूफिंग का अलर्ट

पिछले हफ्ते दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास विमानों के नेविगेशन सिस्टम में गड़बड़ी देखी गई थी। पायलटों ने बताया कि उन्हें गलत लोकेशन डेटा और टेरेन वार्निंग मिल रही थी। यह सब दिल्ली से करीब 60 नौटिकल मील के दायरे में हुआ।

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जीपीएस स्पूफिंग दरअसल एक ऐसा साइबर अटैक होता है जिसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजकर नेविगेशन सिस्टम को धोखा दिया जाता है। यानी विमान का सिस्टम यह समझता है कि वह सही रास्ते पर है, जबकि असल में वह गलत दिशा में जा रहा होता है।

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यह घटना तब हुई जब एयरपोर्ट का इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम अपग्रेड के लिए बंद था और विमान पूरी तरह जीपीएस पर निर्भर थे। इस दौरान नकली सिग्नल भेजे जाने से कई उड़ानों की दिशा गड़बड़ा गई और एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मैनुअल नेविगेशन जीपीएस पर स्विच करना पड़ा।

एनएसए दफ्तर ने जांच शुरू की

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दफ्तर ने दिल्ली एयरपोर्ट पर जीपीएस स्पूफिंग के मामले में जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों को शक है कि यह सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि किसी संगठित साइबर अटैक का हिस्सा हो सकता है, जो लाल किला ब्लास्ट से पहले या उसके साथ जुड़ा हो। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के अधीन काम करने वाले नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर नवीन कुमार सिंह इस पूरे मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे हैं। सर्ट-इन, डीजीसीए और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भी इस जांच में शामिल हैं।

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अधिकारियों के अनुसार, यह जांच इस बात पर केंद्रित है कि कहीं यह स्पूफिंग किसी आतंकी नेटवर्क या विदेशी एजेंसी जैसे आईएसआई की कोशिश तो नहीं थी।

फरीदाबाद में डॉक्टरों की गिरफ्तारी से बढ़ा शक

जीपीएस स्पूफिंग की घटना के दो दिन बाद फरीदाबाद में पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने 2900 किलो विस्फोटक बरामद किया। इस कार्रवाई में तीन डॉक्टरों डॉ. आदिल अहमद राथर, डॉ. सादिया और डॉ. मुजम्मिल गनी को गिरफ्तार किया गया, जिनके संबंध जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों से पाए गए।

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जांच में यह भी सामने आया कि फरीदाबाद में गिरफ्तार आतंकी नेटवर्क दिल्ली में बड़े ब्लास्ट की साजिश रच रहा था, जो बाद में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुआ।

लाल किला ब्लास्ट में आतंकी मंशा हुई साफ

10 नवंबर की शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी एक ह्युंडई आई-20 कार में जोरदार धमाका हुआ।
इसमें अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। सूत्रों के अनुसार, यह फिदायीन हमला था, जिसे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने अंजाम दिया था।

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जांच अधिकारियों का कहना है कि लाल किला को इसलिए चुना गया क्योंकि यह दिल्ली के दिल में स्थित है और इसका प्रतीकात्मक महत्व बहुत बड़ा है। आतंकियों का मकसद यह दिखाना था कि वे भारत की राजधानी के केंद्र तक पहुंच सकते हैं।

GPS Spoofing Delhi Blast Link: हाइब्रिड टेररिज्म का नया चेहरा?

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला केवल ब्लास्ट तक सीमित नहीं है। यह मल्टी-लेयर अटैक था, जिसमें एक साथ साइबर हमला, फिजिकल ब्लास्ट और मनोवैज्ञानिक दहशत फैलाने की कोशिश की गई। इसका उद्देश्य भारत की इकोनॉमी, सिक्योरिटी सिस्टम और जनता के भरोसे को एक साथ झटका देना था।

जानकारों के अनुसार, दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई जीपीएस स्पूफिंग ने उड़ानों की दिशा बदल दी थी। करीब 800 फ्लाइट्स डिले हुईं और 20 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इससे करीब 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जो सीधे तौर पर ट्रेड और टूरिज्म को प्रभावित करता है।

क्या जीपीएस स्पूफिंग इसी साजिश का हिस्सा थी?

यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं। दोनों देशों की खुफिया एजेंसियां मोसाद और एफएसबी भारत के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रही हैं।

सूत्रों का कहना है कि जीपीएस स्पूफिंग एक सिग्नल जैमिंग रिहर्सल भी हो सकता है, ताकि इन हाई प्रोफाइल दौरों से पहले भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता परखा जा सके। कुछ सूत्रों का कहना है कि जीपीएस स्पूफिंग और ब्लास्ट दोनों एक ही मास्टर प्लान का हिस्सा थे, जिनका उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देना था।

क्या जीपीएस स्पूफिंग ऑपरेशन सिंदूर का काउंटर-मूव

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के जरिए पाकिस्तान की एयर डिफेंस ग्रिड को कुछ घंटों के लिए डिएक्टिवेट कर दिया था। यह भारत की बड़ी रणनीतिक सफलता मानी जा रही थी। विशेषज्ञों का कहना है कि अब जीपीएस स्पूफिंग उसी का काउंटर-मूव हो सकता है, यानी भारत को दिखाना कि पाकिस्तान भी उसके एयर नेटवर्क को “ब्लाइंड” कर सकता है। अगर यह सच है, तो यह एक नए तरह का वॉरफेयर है, जहां सैटेलाइट, साइबर और सिग्नल इंटरफेरेंस अब मिसाइलों जितने खतरनाक हथियार बन चुके हैं।

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साइलेंस में लड़ी जा रही जंग: साइबर और साइकोलॉजिकल वार

सुरक्षा विशेषज्ञ इसे वॉर फॉट इन साइलेंस कह रहे हैं। जिसमें तीन स्तरों पर हमला किया गया। साइबर अटैक के जरिए भ्रम फैलाना, साइकोलॉजिकल वार के जरिए डर पैदा करना, और फिजिकल ब्लास्ट के जरिए दहशत और नुकसान पहुंचाना।

यह रणनीति भारत की रिस्पॉन्स कैपेसिटी को टेस्ट करने के लिए भी बनाई गई है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला डिस्ट्रक्शन के लिए नहीं बल्कि डिसऑर्डर के लिए किया गया।

एनएसए अजीत डोभाल के नेतृत्व में अब देशभर में एक “डीप क्लीन ऑपरेशन” चलाया जा रहा है। एनआईए, आईबी और रॉ मिलकर उन नेटवर्क्स को ट्रैक कर रहे हैं, जो आईएसआई या विदेशी एजेंसियों से संपर्क में थे। साथ ही इसका असली मास्टरमाइंड कौन है, इसकी की पहचान की जा रही है।

कूटनीतिक दौरों से पहले बढ़ी साजिशें

GPS Spoofing Delhi Blast Link इस पूरे घटनाक्रम का समय भी बेहद अहम है। जल्द ही भारत में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे तय हैं। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि इन दौरों से पहले भारत में अस्थिरता फैलाने की यह कोशिश की गई है। इसके अलावा भारत ने हाल ही में अरब सागर से बंगाल की खाड़ी तक कई नोटाम जारी किए हैं। आधिकारिक तौर पर यह मिसाइल परीक्षणों के लिए हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह कदम भारत के काउंटर-ऑपरेशंस का हिस्सा भी हो सकते हैं।

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    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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