Dhruv-NG Helicopter: सिविल एविएशन में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का बड़ा दांव; क्या ध्रुव-NG हेलीकॉप्टर से बदलेगा सिविल हेलीकॉप्टर का बाजार?

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 4 months ago

Dhruv-NG Helicopter: हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित स्वदेशी एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) के सिविल वेरिएंट को हाल ही में पहला कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद, HAL अब सिविल एविएशन क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना बना रहा है। हाल ही में पवन हंस लिमिटेड ने HAL द्वारा निर्मित चार ध्रुव-NG हेलीकॉप्टरों को ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) के ऑफशोर ऑपरेशंस के लिए चुना है।

Dhruv-NG Helicopter: HAL's Big Bet in Civil Aviation; A Game-Changer for the Market?
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Dhruv-NG Helicopter: पवन हंस को मिला ONGC का कॉन्ट्रैक्ट

इस साल अप्रैल में पवन हंस लिमिटेड ने ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) के ग्लोबल टेंडर में चार HAL-निर्मित ध्रुव-NG हेलीकॉप्टरों की पेशकश की थी। यह कॉन्ट्रैक्ट 2,141 करोड़ रुपये का है और 10 वर्षों की अवधि के लिए है। पवन हंस को यह ठेका इसी महीने आधिकारिक रूप से सौंपा गया।

एक अधिकारी के मुताबिक, देश में सिविल हेलीकॉप्टर बाजार अभी भी छोटा है, लेकिन अगले 10-15 वर्षों में इसमें बड़े विस्तार की संभावना है। HAL के ध्रुव-NG हेलीकॉप्टर ने अपनी सैन्य सफलता के बाद अब सिविल एविएशन क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए कदम बढ़ाया है। यह हेलीकॉप्टर घरेलू बाजार में बड़े हिस्से पर कब्जा करने के लिए अच्छी स्थिति में है और इसमें निर्यात की अपार संभावनाएं भी हैं। HAL के एक अधिकारी ने बताया, “ध्रुव-NG ने ग्लोबल टेंडर में हिस्सा लेकर दूसरी कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए यह कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है।”

क्या हैं स्वदेशी हेलीकॉप्टर Dhruv-NG Helicopter की खासियतें

5.5 टन वजनी यह हेलीकॉप्टर मल्टी-रोल और मल्टी-मिशन क्षमताओं से लैस है। यह दिन और रात दोनों समय संचालन में सक्षम है। इसे दो स्वदेशी इंजन द्वारा संचालित किया जाता है, जो कैट ‘ए’ परफॉर्मेंस के साथ आते हैं। इसके साथ ही, इसमें ONGC के ऑफशोर ऑपरेशनल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए AS4 (Applicability Statement)-अनुकूल सिस्टम भी लगाए गए हैं।

ONGC की ये हैं शर्तें

ONGC ने 14 दिसंबर को कॉन्ट्रैक्ट देने का एलान किया। यह चार क्रू-चेंज टास्क हेलीकॉप्टरों के चार्टर हायरिंग के लिए था। इन हेलीकॉप्टरों का अधिकतम वजन 7,000 किलोग्राम और न्यूनतम 11 सीटें (पायलटों के लिए 2 अतिरिक्त सीटों के साथ) हैं। ONGC ने स्पष्ट किया कि सभी हेलीकॉप्टर नए फैक्ट्री-निर्मित होने चाहिए। ठेकेदार को हेलीकॉप्टरों के सीरियल नंबर 30 दिनों के भीतर जमा करने होंगे। ऐसा न करने पर ठेका रद्द किया जा सकता है। प्रत्येक हेलीकॉप्टर का चार्टर किराया 10 वर्षों की अवधि तक लागू रहेगा।

DGCA और इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन

ध्रुव हेलीकॉप्टर के चार सैन्य वेरिएंट पहले से ही ऑपरेशनल हैं। इसे सैन्य उपयोग के लिए सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थीनेस सर्टिफिकेशन (CEMILAC) और सिविल उपयोग के लिए डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से प्रमाणन प्राप्त है। ध्रुव-NG को जून 2023 में यूरोपियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) से भी प्रमाणपत्र मिला था।

मिलिट्री ऑपरेशंस में चार तरह के ध्रुव हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें से 335 हेलीकॉप्टर पहले से ही सेवा में हैं। इन्होंने अब तक 3,75,000 घंटे से अधिक की उड़ानें पूरी की हैं। सिविल वेरिएंट के साथ, HAL का लक्ष्य सिविल एविएशन में नई ऊंचाइयों को छूना है।

सिविल एविएशन में काफी है स्कोप

HAL के अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि ध्रुव-NG की सफलता केवल भारत तक सीमित नहीं है। इस हेलीकॉप्टर की तकनीकी क्षमताएं और लागत-प्रभावशीलता इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाती हैं। इसके सिविल संस्करण को न केवल घरेलू एविएशन कंपनियों में उपयोग किया जा सकता है, बल्कि यह विभिन्न सरकारी और आपातकालीन सेवाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

HAL का यह कदम भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रतीक है और स्वदेशी प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है। ध्रुव-NG का उपयोग सिविल और सैन्य दोनों क्षेत्रों में बढ़ते भारतीय वर्चस्व का संकेत है।

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