📍नई दिल्ली | 8 Oct, 2025, 12:38 PM
AIM-120 AMRAAM: ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान बेहद घबराया हुआ है। जिस तरह से ऑपरेशन के दौरान भारत ने हवा में ही पाकिस्तान के पांच-छह 5 हाई-टेक फाइटर जेट्स को हवा में गिराया गया था, जिनमें एफ-16 के अलावा जेएफ-17 थंडर भी शामिल थे। ये वही थंडर जेट थे जिनमें चीनी पीएल-15 मिसाइलें लगी हुई थीं। वहीं एफ-16 फाइटर जेट्स को हवा में मार गिराने से पाकिस्तान सकते में है। जिसके बाद पाकिस्तान ने अमेरिका जाकर एफ-16 फाइटर जेट्स के लिए AIM-120 एडवांस्ड मीडियम रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल- AMRAAM मांगी थी। वहीं अमेरिका ने इन मिसाइल को बेचने की मंजूरी दे दी है। हालांकि ये मिसाइल काफी एडवांस हैं, लेकिन भारत पहले ही इन मिसाइलों की काट की तैयारी कर चुका है।
मिग-21 को बनाया था निशाना
AIM-120 वही मिसाइल है जिसने 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी एफ-16 से डॉग फाइट के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान के मिग-21 बाइसन को टारगेट किया था। वहीं, इस सौदे के बाद पाकिस्तान को आधुनिक रडार-गाइडेड मिसाइलें मिलेंगी, जिनकी रेंज 150 किलोमीटर से अधिक है और जिन्हें “फायर एंड फॉरगेट” तकनीक से बनाया गया है।
सबसे बड़ा एयर-टू-एयर मिसाइल एक्सपोर्ट पैकेज
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ वॉर ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर पाकिस्तान को उन 30 देशों की सूची में शामिल किया है जो रेथियन कंपनी से AIM-120 मिसाइल (AIM-120 AMRAAM) खरीद सकते हैं। कुल सौदे की कीमत 41.6 अरब डॉलर बताई जा रही है, जो दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा एयर-टू-एयर मिसाइल एक्सपोर्ट पैकेज है। इस सूची में ब्रिटेन, जापान, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश भी शामिल हैं। इस सौदे से पाकिस्तान को AIM-120C8 वर्जन की मिसाइलें मिलेंगी, जो अमेरिकी वायुसेना के AIM-120D मॉडल का एक्सपोर्ट वर्जन है। इस मिसाइल को एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, एफ-22 रैप्टर और एफ-35 के साथ इंटीग्रेट किया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बचने में सक्षम
AIM-120C8 मिसाइल (AIM-120 AMRAAM) की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पायलट एक बार मिसाइल दागने के बाद अपने विमान को सुरक्षित दिशा में मोड़ सकता है और मिसाइल अपने रडार से टारगेट को ट्रैक कर मार गिराती है। इस मिसाइल में इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बचाव के लिए टू वे डेटा लिंक्स, एडवांस गाइडेंस सिस्टम, जीपीएस असिस्टेंस और हाई-स्पीड टारगेट्स को ट्रैक करने की क्षमता है। यह मिसाइल एफ-16 फाइटर जेट के साथ ही इंटीग्रेट हो सकती है।
पाकिस्तान के पास 66 एफ-16
पाकिस्तान के पास इस समय करीब 66 एफ-16ए/बी और 19 एफ-16सी/डी फाइटर जेट हैं, जो चार स्क्वाड्रनों में तैनात हैं। इन विमानों में AIM-120 मिसाइलों को इंटीग्रेट करने से पाकिस्तान की बियोंड विजुअल रेंज यानी BVR यानी दृश्य सीमा से बाहर लड़ाकू क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। पाकिस्तान पहले से ही AIM-120C5 वर्जन (AIM-120 AMRAAM) का इस्तेमाल कर चुका है, जिसने मिग-21 को निशाना बनाया था।
इसके अलावा पाकिस्तान चीन से पीएल-15 मिसाइल भी खरीद चुका है, जिसे उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय विमानों के खिलाफ इस्तेमाल करने का दावा किया था। पीएल-15 की रेंज 200 किलोमीटर के करीब है। अब अमेरिकी AIM-120 मिसाइल मिलने से पाकिस्तान के पास दो एडवांस बीवीआर मिसाइल सिस्टम होंगे। जिन्हें वो एफ-16 और जेएफ-17 पर लगाएगा।

भारत की अस्त्र और गांडीव तैयार
वहीं, भारत के एस्ट्रा एमके1 का एडवांस वर्जन एस्ट्रा एमके2 मिसाइल और गांडीव (एस्ट्रा एमके3) तैयार कर रहा है। एस्ट्रा एमके2 को डीआरडीओ ने डेवलप किया है। यह स्वदेशी बियोंड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल है जिसकी रेंज 160 से 200 किलोमीटर तक है। यह भी “फायर एंड फॉरगेट” तकनीक पर आधारित है और इसमें डुअल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर लगी है, जिससे यह मैक 4 यानी लगभग 4,940 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकती है।
एस्ट्रा एमके2 में स्वदेशी कु-बैंड आरएफ सीकर, इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और डेटा लिंक शामिल हैं। इसके जरिए यह इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स को झेलते हुए भी लक्ष्य को सटीक रूप से भेद सकती है। इसे सुखोई-30एमकेआई, एलसीए तेजस मार्क1ए के अलावा और भविष्य के एएमसीए में लगाया जा सकेगा। 2025 में इसके कई यूजर ट्रायल सफल रहे हैं, जिनमें 160 किमी से अधिक दूरी पर हाई-स्पीड यूएवी टारगेट्स को निशाना बनाया है।

गांडीव के 2026 से फुल एयर ट्रायल
वहीं गांडीव यानी एस्ट्रा एमके3 की बात करें तो यह एस्ट्रा परिवार की सबसे एडवांस मिसाइल है, जिसमें सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम है। यह तकनीक मिसाइल को लगातार हाई-स्पीड पर उड़ान बनाए रखने में सक्षम बनाती है। इसकी रेंज 300–350 किलोमीटर तक मानी जा रही है, जो अमेरिकी AIM-120 और चीनी पीएल-15 दोनों से अधिक है। गांडीव को अवॉक्स, रिफ्यूलिंग टैंकर और स्टेल्थ फाइटर जैसे हाई-वैल्यू टारगेट्स को दूर से ही तबाह करने के लिए डेवलप किया जा रहा है। 2025 में इसके ग्राउंड और फ्लाइट टेस्ट सफल रहे हैं और 2026 से इसका फुल एयर ट्रायल शुरू होने की तैयारी है।

राफेल में है घातक मिटिओर
वहीं राफेल भी बियोंड विजुअल रेंज हवा-से-हवा मार करने वाली मिसाइल मिटिओर से लैस है। जिसे यूरोप की एमबीडीए कंपनी ने बनाया है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी 150 से 200 किलोमीटर की लंबी रेंज है, जिससे यह दुश्मन के विमानों को दूर से ही निशाना बना सकती है। मिटिओर में रैमजेट इंजन लगा है, जो इसे मैक4 से ज्यादा की रफ्तार दे सकता है। यह “फायर-एंड-फॉरगेट” मिसाइल है, यानी इसे दागने के बाद पायलट को लक्ष्य पर नजर रखने की जरूरत नहीं होती। इसमें लगा एक्टिव रडार होमिंग सिस्टम और डेटा लिंक दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग को भी फेल कर देता है। मिटिओर का “नो-एस्केप जोन” काफी बड़ा है, जिससे लक्ष्य का बच निकलना लगभग नामुमकिन हो जाता है। यह हर मौसम में और दिन-रात काम करने में सक्षम है।
मिटिओर ने गिराए जेएफ-17 और एफ16
मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल जेट्स से दागी गई मिटिओर ने पाकिस्तानी जेएफ-17 थंडर ब्लॉक III और एफ16 जेट्स को 150-200 किमी दूर से मार गिराया था। 7 मई की शुरुआती हवाई हमलों में, जब पीएएफ ने पीएल-15 मिसाइलों से जवाब दिया, तो मिटिओर के “नो-एस्केप जोन” में 2-3 पाकिस्तानी जेएफ-17 और 1 एफ-16 जेट्स फंस गए थे, जो हवा में मिटिओर का निशाना बन गए थे। ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान एयर फोर्स ने जब ड्रोन और मिसाइल स्वार्म अटैक किए, लेकिन मिटिओर ने राफेल के स्पैक्ट्रा इलैक्टॉनिक वॉरफेयर सिस्टम के साथ मिलकर इनमें से कई को बेकार कर दिया। यह मिटिओर ही थी जिसमें भारतीय वायुसेना को “फर्स्ट शॉट-फर्स्ट किल” एज दी, जिसके से पाकिस्तान एयर फोर्स को पीछे हटना पड़ा और 10 मई को सीजफायर के लिए पाकिस्तान को मजबूर किया।
अमेरिका-पाकिस्तान डील से भारत को चुनौती
फरवरी 2025 में अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के एफ-16 फ्लीट के रखरखाव के लिए 397 मिलियन डॉलर की सहायता को मंजूरी दी थी। जुलाई में पाकिस्तान एयर चीफ ने अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मुलाकात की, जिसके बाद मिसाइल सौदे का रास्ता साफ हुआ। अमेरिका ने पाकिस्तान को यह भरोसा दिलाया कि मिसाइलों का इस्तेमाल केवल आतंकवाद-रोधी अभियानों में किया जाएगा, लेकिन भारत में सुरक्षा एजेंसियां इसे लेकर सतर्क हैं।
इस डील का समय भी अहम है। 2024 में भारत-अमेरिका रक्षा संबंध चरम पर थे। एमक्यू-9बी ड्रोन, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल और अन्य रक्षा तकनीक सौदे हुए। लेकिन 2025 के अंत तक दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव आ गया। इस मिसाइल सौदे को भारत के सुरक्षा हलकों में रणनीतिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।