📍चंडीगढ़ | 14 Oct, 2025, 3:19 PM
Pakistan drone smugglers: पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा में ड्रोन की घुसपैठ लगातार जारी है। सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान की तरफ से उड़ने वाले ड्रोन अब भारतीय क्षेत्र में दाखिल होते ही नई तकनीक का इस्तेमाल कर “लुकाछिपी” खेल रहे हैं। जैसे ही भारतीय एंटी-ड्रोन सिस्टम इन्हें जाम करने की कोशिश करता है, ये ड्रोन अपने आप ‘रिटर्न-टू-बेस’ मोड में पाकिस्तान लौट जाते हैं।
यह ट्रेंड पंजाब सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों ने नोट किया है। सूत्रों ने बताया, “अब ड्रोन पहले जैसे नहीं रहे। पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन ज्यादातर फेल-सेफ प्रोग्रामिंग के साथ उड़ाए जा रहे हैं। जब भी इन्हें किसी तरह की इलेक्ट्रॉनिक दखल या सिग्नल जामिंग का पता चलता है, तो वे तुरंत उसी जगह लौट जाते हैं जहां से उड़े थे।”
Pakistan drone smugglers: आईएसआई के नेटवर्क की नई चाल
सूत्रों के मुताबिक, इस नए पैटर्न के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का नेटवर्क है, जो सीमा पार से ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद भारत में भेजने की कोशिश करता है। 532 किलोमीटर लंबी पंजाब बॉर्डर से हर रोज़ रात में 8 से 10 बार ड्रोन की आवाजाही देखी जा रही है। कई बार यह संख्या 15 तक पहुंच जाती है।
ये ड्रोन ज्यादातर एके-47, हैंड ग्रेनेड, पिस्तौल और हेरोइन लेकर उड़ाए जाते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ समय के लिए यह गतिविधि धीमी हुई थी, लेकिन हाल के हफ्तों में इसमें फिर से तेजी आई है।
कैसे खेला जा रहा है “लुकाछिपी” का खेल
इन ड्रोन में अब ऐसे सेंसर लगे हैं जो जैमिंग या ट्रैकिंग की कोशिशों को पहचान लेते हैं। जैसे ही कोई भारतीय रडार या एंटी-ड्रोन सिस्टम इन्हें निशाना बनाता है, ये सिग्नल लॉस का पता लगाकर ऑटोमैटिक रिटर्न मोड में चले जाते हैं।
इस तरह वे सीमा पार करने से पहले ही वापस पाकिस्तान लौट जाते हैं, जिससे भारतीय एजेंसियों के लिए उन्हें गिराना मुश्किल हो जाता है। सूत्रों के अनुसार, “पहले ये ड्रोन सीधे उड़कर हमारे इलाके में उतरते थे, लेकिन अब यह पूरी तरह ऑटोमैटिक हो चुका है। ड्रोन हमारे इलाके को स्कैन करते हैं, और खतरा महसूस होते ही लौट जाते हैं। ये एक ‘कैट-एंड-माउस गेम’ बन चुका है।”
भारतीय एंटी-ड्रोन सिस्टम की सक्रियता
पंजाब पुलिस और बीएसएफ ने इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए सीमा पर तीन वाहन-आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए हैं। इनकी लागत लगभग 51 करोड़ रुपये है और नौ और सिस्टम लगाने की योजना है।
एंटी-ड्रोन सिस्टम की मदद से ड्रोन की सटीक लोकेशन, ऊंचाई और गति का पता लगाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि पहले हमें सिर्फ आवाज़ से ड्रोन का पता चलता था, लेकिन अब हमें उसकी सटीक दिशा, स्पीड और ऊंचाई का डेटा मिल जाता है।
Pakistan drone smugglers: डिटेक्शन रेट अब पहले से ज्यादा
इन सिस्टमों की तैनाती के बाद केवल भिखीविंड सबडिवीजन में ही 12 एफआईआर दर्ज की गई हैं। पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो ड्रोन के जरिए आई खेप को रिसीव करते थे। जब्त किए गए सामान में चार पिस्तौल, 75 कारतूस, 5 मैगजीन, 3 किलो से ज्यादा हेरोइन और अन्य ड्रग्स शामिल हैं।
सुरक्षा बलों का कहना है कि भले ही ड्रोन कभी-कभी लौट जाते हैं, लेकिन उनका डिटेक्शन रेट अब पहले से कहीं ज्यादा है। अधिकारी के अनुसार, “हम रोजाना औसतन 10 ड्रोन डिटेक्ट कर रहे हैं। अब हमें बस कवरेज बढ़ाने की जरूरत है। कम से कम सौ एंटी-ड्रोन सिस्टम सिस्टम पूरे पंजाब बॉर्डर पर चाहिए।”
कश्मीर में भी बढ़ा खतरा
सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में भी ड्रोन अलर्ट जारी किया गया है। आर्मी की इन्फेंट्री डिवीजन ने 24 सितंबर को एक इनपुट जारी कर बताया था कि पाकिस्तान की तरफ से अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स घाटी में भेजे जा सकते हैं, जिनका इस्तेमाल त्योहारों के मौसम में सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले के लिए किया जा सकता है।
सूत्रों का कहना है कि अब ड्रोन युद्ध केवल “गोलियों” से नहीं, बल्कि सिग्नल और सॉफ्टवेयर से लड़ा जा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से भेजे जा रहे ड्रोन अब इतने एडवांस हैं कि वे सिग्नल जैमिंग, जीपीएस इंटरफेरेंस, और रेडियो ट्रैकिंग से बचने के लिए खुद-ब-खुद रास्ता बदल लेते हैं। भारतीय एजेंसियां अब इन नई तकनीकों का मुकाबला करने के लिए आर्टिफिशियल बेस्ड ट्रैकिंग, रडार नेटवर्क इंटीग्रेशन, और रीयल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग पर काम कर रही हैं।