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Lashkar-e-Taiba in KPK: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर ने बदला आतंकी ठिकाना, ISI की मदद से खैबर पख्तूनख्वा से ऑपरेट करेगा ‘जान-ए-फिदाई’

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में लश्कर-ए-तैयबा का नया आतंकी कैंप बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह ठिकाना पाकिस्तान सेना और ISI की मदद से तैयार किया जा रहा है...

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📍नई दिल्ली | 27 Sep, 2025, 12:11 PM

Lashkar-e-Taiba in KPK: भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने अपने ठिकाने बदलने शुरू कर दिए हैं। पहले यह कैंप पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर पीओके और पंजाब में चलते थे, लेकिन अब इन्हें खैबर पख्तूनख्वा यानी केपीके में शिफ्ट किया जा रहा है। इटेंलिजेंस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य-प्रायोजित और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा अब केपीके लोअर दिर जिले में नया ट्रेनिंग और रेजिडेंशियल सेंटर बना रहा है और Lashkar-e-Taiba in KPK का मुद्दा लगातार चर्चा का टॉपिक बन गया है।

Lashkar-e-Taiba in KPK
After JeM and Hizbul Mujahideen, the Emergence of Under
Construction Lashkar-e-Taiba Training Centre in Khyber Pakhtunkhwa

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मरकज जिहाद-ए-अक्सा है नया ठिकाना

22 सितंबर 2025 को सामने आई तस्वीरों और वीडियोज से पुष्टि हुई कि लश्कर-ए-तैयबा लोअर दिर के कुम्बन मैदान इलाके में लगभग 4,643 वर्ग फुट भूमि पर नया सेंटर बना रहा है। इसे मरकज जिहाद-ए-अक्सा नाम दिया गया है। यह जगह अफगान सीमा से महज 47 किलोमीटर दूर है। जुलाई 2025 से निर्माण शुरू हुआ और सितंबर तक इसकी पहली मंजिल का फ्रेम तैयार हो चुका है। आरसीसी छत डालने का काम भी तेजी से चल रहा है।

Lashkar-e-Taiba in KPK
Visual shows steady flow of materials and labor, consistent with a deliberate plan to reconstitute

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धार्मिक संस्थानों के सहारे आतंकी ढांचा

Lashkar-e-Taiba in KPK हमेशा से धार्मिक संस्थानों की आड़ में अपने आतंकी ठिकाने बनाता रहा है। नया ट्रेनिंग भी इसके पास बनी जामिया अहले सुन्नत मस्जिद के बगल में बनाया जा रहा है। इस रणनीति का उद्देश्य आतंकियों की आवाजाही और भर्ती को धार्मिक गतिविधियों की आड़ में छिपाना है।

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Lashkar-e-Taiba in KPK

वहीं, खास बात यह है कि लोअर दिर में लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के नए निर्माणाधीन कैंपों के बीच की दूरी केवल 4 किलोमीटर है, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि दोनों आतंकी संगठन आपसी तेलमेल के जरिए आतंकी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।

आतंकी नेताओं को मिली जिम्मेदारियां

नए कैंप की कमान कुख्यात आतंकी नसर जावेद को दी गई है, जो 2006 हैदराबाद बम धमाके का सह-साजिशकर्ता रहा है। वह 2004 से 2015 तक पीओके के दुलई प्रशिक्षण कैंप को चलाता था और वर्तमान में लश्कर की फंडिंग संस्था खिदमत-ए-खल्क से जुड़ा है। इसके अलावा मुहम्मद यासीन उर्फ बिलाल भाई को जिहादी विचारधारा सिखाने की जिम्मेदारी मिली है, जबकि हथियारों की ट्रेनिंग अनसुल्लाह खान देख रहा है, जिसे 2016 में गरही हबीबुल्लाह कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी।

Lashkar-e-Taiba in KPK

दाऊरा-ए-खास और दाऊरा-ए-लश्कर की तैयारी

एक बार यह ठिकाना तैयार हो जाने पर यहां दो मुख्य ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाएंगे – दाऊरा-ए-खास और दाऊरा-ए-लश्कर। यह केंद्र लश्कर के जान-ए-फिदाई फिदायीन यूनिट का नया ठिकाना बनेगा। पहले यह यूनिट भिम्बर-बर्नाला स्थित मरकज अहले हदीस से चलती थी, जिसे 7 मई को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ध्वस्त कर दिया था।

Lashkar-e-Taiba in KPK

इंटेलिजेंस सूत्र बताते हैं कि इस पूरी शिफ्टिंग के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का स्पेशल ऑपरेशंस डायरेक्टरेट है। इसके जरिए आतंकियों की गतिविधियों को भारतीय निगरानी से दूर रखने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद ने भी अपने नए ठिकाने केपीके में शिफ्ट कर लिए हैं।

दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद

सूत्रों ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के नए ट्रेनिंग सेंटर का काम दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है, आने वाले समय में बड़े स्तर का खतरा बन सकता है। अभी यह निर्माणाधीन है, लेकिन पहले से ही इसे भर्ती, कट्टरपंथ फैलाने और बड़े पैमाने पर आतंकी प्रशिक्षण का नया अड्डा माना जाने लगा है। खास बात यह है कि इसके बगल में बन रहा मरकज़ जामिया अहले सुन्नत अभी केवल 80 फीसदी ही तैयार हुआ है, लेकिन उसे अधूरा छोड़कर लश्कर-ए-तैयबा ने अपनी पूरी ताकत, संसाधन और पैसा जिहाद-ए-अक्सा ट्रेनिंग सेंटर बनाने में झोंक दिया है।

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Lashkar-e-Taiba in KPK

पाकिस्तानी सेना ने टीटीपी पर चलाई क्लीनअप ड्राइव

लोअर दिर ऐतिहासिक रूप से भारत-विरोधी आतंकी गतिविधियों का गढ़ रहा है, जहां अल-बदर जैसे संगठन सक्रिय रहे। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर से पहले यहां लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन की कोई मौजूदगी नहीं थी। अल-बदर के अलावा, यह इलाका लंबे समय तक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का मजबूत ऑपरेशनल बेस रहा। हालांकि, दोनों संगठनों की विचारधारा में फर्क है। टीटीपी देवबंदी सोच रखता है और पाकिस्तान विरोधी है, जबकि लश्कर अहले हदीस विचारधारा को मानता है और पाकिस्तान समर्थक है। इसी वजह से लोअर दिर में टीटीपी के आतंकियों ने लश्कर कमांडरों की कई बार टारगेटेड हत्याएं कीं।

साल 2011 में, जब लश्कर ने यहां अस्थायी ट्रेनिंग सेंटर बनाया, तो टीटीपी ने एक आत्मघाती हमला किया। यह हमला एक लश्कर कमांडर के जनाजे में हुआ था, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई। माना जाता है कि लश्कर की गतिविधियों को सुरक्षित रखने और ट्रेनिंग बिना बाधा जारी रखने के लिए पाकिस्तानी सेना ने जून 2025 में लोअर दिर में एक “क्लीनअप ड्राइव” शुरू की। इसमें टीटीपी के आतंकियों को निशाना बनाया गया। इस अभियान में दो दर्जन से ज्यादा टीटीपी आतंकी मारे गए और इसके बाद सिर्फ एक महीने के भीतर लश्कर ने अपना नया आतंकी केंद्र बनाना शुरू कर दिया।

केपीके में पाक सेना कर रही हमले

पाकिस्तानी सेना और एयरफोर्स ने जून 2025 से अब तक केपीके में 40 से अधिक नागरिकों की हत्या की है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि ये अभियान “टेरर-फ्री” करने के लिए हैं, लेकिन असल में इसका उद्देश्य पाकिस्तान विरोधी आतंकियों को खत्म करना और भारत विरोधी संगठनों को सुरक्षित माहौल देना है।

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पाकिस्तान की यह दस साल से चली आ रही नीति को वहां के मुख्यमंत्री अली अमीन गांधापुर ने अगस्त 2025 की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद स्वीकार किया था। खास बात यह है कि पाकिस्तान जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद-रोधी अभियान के लिए मदद मांगता है, तो मिली हुई राशि का बड़ा हिस्सा आम नागरिकों की हत्या या फिर सरकार-विरोधी आतंकियों को खत्म करने में लगा देता है। इससे नतीजा यह निकलता है कि सरकार-समर्थित आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित माहौल तैयार हो जाता है।

लोअर दिर में लश्कर का यह नया प्रशिक्षण केंद्र दिसंबर 2025 तक तैयार हो सकता है। यह न केवल भर्ती और वैचारिक ब्रेनवॉश का केंद्र बनेगा बल्कि हथियारों और बड़े ऑपरेशनों की ट्रेनिंग भी यहां दी जाएगी। आशंका है कि अब आगे इसी सेंटर के जरिए भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को चलाने की कोशिशें की जाएंगी Lashkar-e-Taiba in KPK की चर्चा लगातार बढ़ रही है।

 

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हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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