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Drone warfare in Indian Army: ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना की हर बटालियन होगी मॉडर्न! सर्विलांस और कॉम्बैट ड्रोंस होंगे स्टैंडर्ड हथियार

हर बटालियन को मिलेंगे ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम, तैयार हो रही 'भैरव' कमांडो बटालियनें

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आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में भी रिस्ट्रक्चरिंग हो रही है। वर्तमान में इन बटालियनों में एक रिकॉन्सन्स प्लाटून होती है, जो यूनिट को टारगेट तक ले जाने में मदद करती है। अब इन प्लाटून को निगरानी और हमलावर ड्रोन से लैस किया जाएगा। यह भी चर्चा चल रही है कि तीन की बजाय दो स्क्वाड्रन बनाए जाएं। जबकि तीसरे स्क्वाड्रन को ड्रोन-बेस्ड बना दिया जाए। या फिर हर टैंक स्क्वाड्रन में अटैक ड्रोन को इंटीग्रेट कर दिया जाए...
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📍नई दिल्ली | 4 Aug, 2025, 1:47 PM

Drone warfare in Indian Army: पिछले कुछ सालों में युद्ध के तरीकों में बड़ा बदलाव आया है, और इसकी झलक हमें मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देखने को मिली। इस ऑपरेशन ने यह साफ कर दिया कि मॉडर्न वॉरफेयर में ड्रोन (Unmanned Aerial Vehicles – UAVs) की भूमिका अब सिर्फ सर्विलांस तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह लड़ाई का मेन वेपन भी बन चुका है। इसी से सीख लेते हुए भारतीय सेना अब अपने ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसमें न केवल ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम को हर बटालियन में स्टैंडर्ड वेपन सिस्टम के तौर पर शामिल किया जाएगा। यह बदलाव न केवल इन्फेंट्री बल्कि आर्मर्ड और आर्टिलरी रेजिमेंट्स में भी लागू होगा।

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Drone warfare in Indian Army: ड्रोन अब हर बटालियन का हिस्सा

सेना के सूत्रों के मुताबिक, मई में पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना को ड्रोन की ताकत का एहसास कराया। इस ऑपरेशन ने दिखाया कि ड्रोन न केवल सर्विलांस के लिए बल्कि हमले और डिफेंस के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, सेना अब हर बटालियन में ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को स्टैंडर्ड वेपन सिस्टम की तरह शामिल करने की योजना बना रही है। अभी तक ड्रोन का इस्तेमाल बटालियनों में दूसरी प्राथमिकता के रूप में होता था, जिन्हें चलाने के लिए जवानों को उनके मुख्य कामों से हटकर ड्रोन चलाने पड़ते थे।

लेकिन अब सेना हर यूनिट में एक विशेष टीम तैयार करेगी, जो सिर्फ ड्रोन ऑपरेशन के लिए होगी। इसके लिए हर कॉम्बैट आर्म्स को निर्देश दिया गया है कि वे अपने स्ट्रक्चरल फ्रेमवर्क में ऐसे बदलाव करें, जिससे चुने हुए जवान केवल ड्रोन चलाने और उसकी तकनीकी जानकारी में ट्रेंड हों।

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Drone warfare in Indian Army: प्लाटून और कंपनी स्तर पर सर्विलांस ड्रोन

इसके लिए सैनिकों को ड्रोन ऑपरेशन के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, और इसका उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उदाहरण के लिए, इन्फैंट्री में प्लाटून और कंपनी स्तर पर कई सर्विलांस ड्रोन शामिल करने की योजना है। एक इन्फैंट्री बटालियन में तकरीबन 36 कॉम्बैट सेक्शन होते हैं, जिनमें चार कंपनियां और कई सपोर्ट प्लाटून होते हैं, जो अलग-अलग हथियारों और कार्यों को संभालते हैं। इन सभी में से लगभग 70 सैनिकों की भूमिका को बदलकर ड्रोन ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी जाएगी।

Drone warfare in Indian Army: ‘भैरव’ से स्ट्राइक कैपेबिलिटी को बढ़ाने की तैयारी

सेना की स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाने के लिए 30 नई लाइट कमांडो बटालियनें बनाई जा रही हैं, जिन्हें ‘भैरव’ नाम दिया गया है। हर भैरव बटालियन में करीब 250 सैनिक होंगे, जिन्हें खास इलाकों में खास मिशनों के लिए तैनात किया जाएगा। ये यूनिट्स अलग-अलग सैन्य कमांड्स के तहत काम करेंगी और उन्हें मिशन बेस्ड ट्रेनिंग और इक्विपमेंट्स दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, इन्फैंट्री के कई रेजिमेंटल केंद्रों को इन बटालियनों की भर्ती और ट्रेनिंग शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं और पहली कुछ यूनिट्स एक महीने के भीतर ऑपरेशनल हो जाएंगी। इनका उद्देश्य सेना की स्ट्राइक कैपेबिलिटी को बढ़ाना और स्पेशल मिशन को अंजाम देना है।

‘रूद्र ब्रिगेड’ और मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस

सेना फ्यूचर वॉरफेयर के लिए ‘रूद्र ब्रिगेड’ बना रही है। इनमें इन्फैंट्री, आर्मर्ड, आर्टिलरी, ड्रोन और लॉजिस्टिक्स के सभी रिसोर्सेज शामिल होंगे। यह ऑल-आर्म्स वाली इंटीग्रेटेड ब्रिगेड होंगी। यह ब्रिगेड पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से ऑपरेट कर सकेगी, जिससे उन्हें अलग-अलग ऑपरेशनल क्षेत्रों में तैनात किया जा सकेगा। इन्हें हाइब्रिड युद्ध (कन्वेंशनल और हाइब्रिड ऑपरेशन्स) के लिए तैयार किया जाएगा। इसके अलावा सेना स्पेशल मिशंस के लिए हर ब्रिगेड में नेटवर्क-सेंट्रिक लॉजिस्टिक (नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशन्स) और कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार कर रही है।

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रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी में भी बड़ा बदलाव

इसके अलावा रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी में भी बड़ा बदलाव हो रहा है। अभी तक एक रेजिमेंट में तीन बैटरियां होती हैं, हर बैटरी में छह गन होती हैं। नई योजना के तहत दो बैटरी में गनों की संख्या बढ़ाई जाएगी, और तीसरी बैटरी को सर्विलांस और अटैक ड्रोन (कॉम्बैट ड्रोन्स) से लैस किया जाएगा।

इसके साथ ही ‘दिव्यास्त्र बैटरियां’ बनाई जा रही हैं, जिन्हें लंबे दूरी तक मार करने वाली लेटेस्ट गनों और लॉइटरिंग म्युनिशन्स से लैस किया जाएगा। ये बैटरियां दुश्मन के अंदर के इलाकों में टारगेट को पहचानने और हमला करने में सक्षम होंगी। साथ ही, इन्हें काउंटर-ड्रोन सिस्टम से लैस किया जाएगा ताकि ये अपनी और इलाके की भी सुरक्षा कर सकें।

आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में रिस्ट्रक्चरिंग

आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में भी रिस्ट्रक्चरिंग हो रही है। वर्तमान में इन बटालियनों में एक रिकॉन्सन्स प्लाटून होती है, जो यूनिट को टारगेट तक ले जाने में मदद करती है। अब इन प्लाटून को निगरानी और हमलावर ड्रोन से लैस किया जाएगा। यह भी चर्चा चल रही है कि तीन की बजाय दो स्क्वाड्रन बनाए जाएं। जबकि तीसरे स्क्वाड्रन को ड्रोन-बेस्ड बना दिया जाए। या फिर हर टैंक स्क्वाड्रन में अटैक ड्रोन को इंटीग्रेट कर दिया जाए।

इंजीनियर रेजिमेंट और आर्मी एविएशन कॉर्प्स में ड्रोन

सेना की इंजीनियर रेजिमेंट्स में हर कंपनी के लिए एक ड्रोन सेक्शन बनाने की योजना है। प्रत्येक कंपनी में एक ड्रोन सेक्शन बनाया जाएगा, जो बारूदी सुरंगों का पता लगाने (माइन डिटेक्शन), टोही (रिकॉन्सन्स) और इलाके का नक्शे बनाने (एरिया मैपिंग) का काम करेगा। इसके अलावा, आर्मी एविएशन कॉर्प्स में सर्विलांस, रिकॉन्सन्स और डेटा कलेक्शन के लिए अधिक ड्रोन शामिल किए जाएंगे। इससे हेलीकॉप्टरों और पायलटों पर निर्भरता कम होगी।

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Drone Warfare in Indian Army: Every Battalion to Get Surveillance and Combat Drones After Operation Sindoor

ड्रोन रिपेयरिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स वर्कशॉप पर फोकस

सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर (EME) में रिपेयरिंग कैपेसिटी भी बढ़ाई जा रही है, ताकि ड्रोन की रिपेयरिंग कोर के जोनल वर्कशॉप्स में की जा सके। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी। सूत्रों के अनुसार, इस पहल से ड्रोन रिपेयर करने वाले लोगों की मांग में बढ़ोतरी। ड्रोन को अन्य न्यू जनरेशन इक्विपमेंट्स के साथ स्टैंडर्ड वेपन के तौर पर शामिल करने की योजना है, ताकि उनकी खरीद नियमित रूप से हो सके। इससे इनरजेंसी प्रोक्योरमेंट या टॉप मिलिट्री ऑफिसर्स के विशेष वित्तीय अधिकारों के तहत अनियमित खरीद की भी जरूरत कम होगी।

इन बदलावों का एक बड़ा मकसद यह भी है कि ड्रोन और अन्य नए हथियारों को नियमित खरीद सूची में शामिल किया जाए। अभी तक विशेष वित्तीय अधिकारों के तहत या आपातकालीन स्थिति में खरीद होती रही है। अब हर बटालियन को नियमित रूप से इन इक्विपमेंट्स की सप्लाई की जाएगी, जिससे ट्रेनिंग, मेंटेनेंस और ऑपरेशन का काम आर्गेनाइज्ड तरीके से हो सकेगा।

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