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ATAGS: भारत फोर्ज और रक्षा मंत्रालय के बीच ATAGS कॉन्ट्रैक्ट को लेकर बातचीत हुई शुरू, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर भारत पहल को मिल सकती है बड़ी कामयाबी

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📍नई दिल्ली | 20 Nov, 2024, 10:11 AM

ATAGS: भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए, कल्याणी ग्रुप की भारत फोर्ज और रक्षा मंत्रालय के बीच 155 मिमी/52 कैलिबर एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) के अनुबंध को लेकर बातचीत शुरू हो चुकी है। यह कदम भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

ATAGS: Bharat Forge and Defence Ministry Begin Contract Talks, Boosting India's Self-Reliance in Defence Manufacturing

क्या है ATAGS?

ATAGS भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें भारत फोर्ज और टाटा समूह ने सहयोग किया है। यह तोप प्रणाली न केवल अपनी लंबी रेंज और सटीकता के लिए जानी जाती है, बल्कि यह स्वदेशी तकनीक का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। इसकी विशेषता यह है कि यह 35-45 किलोमीटर तक प्रभावी रेंज में गोलीबारी कर सकती है।

बातचीत का उद्देश्य

रक्षा मंत्रालय ने 307 ATAGS तोपों की खरीद के लिए भारत फोर्ज को प्राथमिकता दी है। बताया जा रहा है कि 60 फीसदी तोपों की आपूर्ति भारत फोर्ज और शेष 40 फीसदी टाटा समूह द्वारा की जाएगी, बशर्ते टाटा समूह, भारत फोर्ज द्वारा तय की गई कीमत पर सहमत हो।

विदेशी मांग और सफलता

ATAGS पहले ही अपनी गुणवत्ता का लोहा मनवा चुका है। 2022 में, आर्मेनिया ने ATAGS का ऑर्डर दिया था, जिसकी सफलतापूर्वक तैनाती भी हो चुकी है। अब आर्मेनिया बड़े ऑर्डर के लिए भी चर्चा कर रहा है।

ATAGS की विकास यात्रा

ATAGS परियोजना 2012 में शुरू की गई थी। हालांकि इसे विकसित करने में ज्यादा समय नहीं लगा, लेकिन विभिन्न परीक्षण और प्रक्रियाएं इसे अंतिम मंजिल तक पहुंचाने में धीमा साबित हुईं। 2017 में 68वें गणतंत्र दिवस परेड में ATAGS की पहली बार सार्वजनिक तौर पर झलक दिखाई दी थी। 2022 में, इसने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर 21-गन सल्यूट में भाग लेकर इतिहास रच दिया।

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आर्मी की भविष्य की योजनाएं

भारतीय सेना भविष्य में अधिक हल्के और स्वचालित तोप प्रणाली की ओर देख रही है। लेकिन ATAGS जैसे स्वदेशी हथियारों के माध्यम से वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनुबंध न केवल भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए बल्कि स्थानीय उद्योगों और स्वदेशी तकनीकी विकास के लिए भी एक बड़ा कदम है। यह न केवल आयात पर निर्भरता को कम करेगा बल्कि भारत को एक आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति बनाने की दिशा में भी मदद करेगा।

आगे की राह

ATAGS का अनुबंध इस वित्तीय वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। यह न केवल भारतीय सेना की ताकत बढ़ाएगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन की क्षमता को भी उजागर करेगा।

भारत फोर्ज और रक्षा मंत्रालय के बीच चल रही यह बातचीत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित हो सकती है। अब देखना यह है कि यह अनुबंध कब अंतिम रूप लेता है और ATAGS भारतीय सेना की ताकत में कैसे इजाफा करता है।

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हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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