Exercise Poorvi Prahaar: पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट के बाद पूर्वोत्तर में होने जा रही है बड़ी एक्सरसाइज, तीनों सेनाएं लेंगी हिस्सा

Exercise Poorvi Prahaar: After Disengagement in Eastern Ladakh, India Prepares for Major Tri-Services Exercise in the Eastern Sector
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
Read Time 0.5 mintue

📍नई दिल्ली | 9 months ago

Exercise Poorvi Prahaar: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ डिसइंगेजमेंट के कुछ ही दिनों बाद, भारत एक बड़ी ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज “पूर्वी प्रहार” (Poorvi Prahaar) के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह मेगा संयुक्त अभ्यास 8 नवंबर से शुरू होकर अगले 10 दिनों तक चलेगा और इसमें भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना अपने प्रमुख रक्षा संसाधनों को पूर्वी सेक्टर में सक्रिय करेंगे।

क्या है ‘पूर्वी प्रहार’ अभ्यास की विशेषता?

यह अभ्यास 8 नवंबर से ईस्टर्न सेक्टर में शुरू होगा। इसमें भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना अपने-अपने एसेट्स को एकीकृत युद्ध अभ्यास में शामिल करेंगी, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में चीन के साथ संभावित किसी भी गतिरोध का मजबूती से सामना करना है। यह अभ्यास विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के आसपास के क्षेत्र में सेना की क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जहां हाल के सालों में भारत-चीन के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।

थलसेना की भूमिका

इस अभ्यास में भारतीय सेना अपने महत्वपूर्ण एसेट्स को सक्रिय करेगी, जिसमें इन्फैंट्री कॉम्बैट, तोपखाने (आर्टिलरी गंस), LCH (लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर) और UAV (अनमैन्ड एरियल वेहिकल्स) शामिल होंगे। इन संसाधनों के माध्यम से सेना अपनी युद्ध तैयारियों को और मजबूत करेगी और विभिन्न लड़ाई परिस्थितियों में एकीकृत रणनीति का अभ्यास करेगी।

वायुसेना की तैयारी

भारतीय वायुसेना पूर्वी सेक्टर के कई प्रमुख एयरबेस जैसे कोलकाता, हाशिमारा, पानागढ़ और कलाईकुंडा को इस अभ्यास में शामिल करेगी। इसमें वायुसेना के आधुनिक और शक्तिशाली एसयू-30 फाइटर जेट, राफेल फाइटर जेट, सी-130जे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, हॉक और अन्य हेलीकॉप्टर जैसे युद्ध संसाधन भी हिस्सा लेंगे। इनका उद्देश्य सेना के साथ एकीकृत युद्धाभ्यास को कुशलता से अंजाम देना है।

यह भी पढ़ें:  Post Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने नहीं, तो किसने लड़ी जंग? पहलगाम हमले के पीछे आसिम मुनीर नहीं तो कौन है मास्टरमाइंड?

नौसेना की भूमिका

भारतीय नौसेना भी इस अभ्यास में अपनी मारकोस कमांडो (विशेष बलों) के साथ शामिल होगी। नौसेना का यह योगदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पूर्वी क्षेत्र में जलमार्गों की सुरक्षा और संचालन में मजबूती आएगी।

पूर्वी सेक्टर में भारत-चीन वार्ता

सूत्रों के अनुसार, डेमचोक और देपसांग के क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के बाद, भारत पूर्वी सेक्टर में चीन के साथ तनाव को कम करने के लिए बातचीत में लगा हुआ है। यह समझौता यांगत्से और तवांग क्षेत्र में चीनी सेना (PLA) की पेट्रोलिंग अधिकारों को फिर से बहाल करने पर केंद्रित है। बता दें कि दिसंबर 2022 में हुए एक टकराव के बाद भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में PLA की पेट्रोलिंग पर रोक लगा दी थी।

पूर्वी प्रहार का सामरिक महत्व

इस अभ्यास का मकसद केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक मजबूत रक्षा ढांचा तैयार करना भी है। भारत इस अभ्यास के माध्यम से अपनी सैन्य क्षमता को न केवल पूर्वी सेक्टर में बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र में मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में ‘पूर्वी प्रहार’ केवल एक संयुक्त सैन्य अभ्यास नहीं है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

यह संयुक्त अभ्यास न केवल भारतीय रक्षा बलों को सामरिक मोर्चे पर प्रशिक्षित करेगा बल्कि देश की रक्षा संरचना को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US