📍नई दिल्ली | 22 Oct, 2025, 12:46 PM
Jaish Online Jihadi Course: पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने एक नया ऑनलाइन जिहादी कोर्स ‘तुफत अल-मूमिनात शुरू किया है। यह कोर्स संगठन की महिला शाखा ‘जमात उल-मूमिनात के तहत चलाया जा रहा है। जैश का मकसद महिलाओं को अपने आतंकवादी नेटवर्क में शामिल किया जाए और आर्थिक सहयोग जुटाया जाए।
इस कोर्स की शुरुआत 8 नवंबर से होगी। इस कोर्स में शामिल होने के लिए हर प्रतिभागी महिला से 500 पाकिस्तानी रुपये का दान देना जरूरी होगा। यह राशि कथित रूप से संगठन की “धार्मिक शिक्षा गतिविधियों” के नाम पर ली जा रही है। इस कोर्स की खासियत यह है कि सभी सेशन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर 40-40 मिनट के होंगे, जिन्हें जैश के टॉप लीडर की महिलाएं चलाएंगी।
‘तुफत अल-मूमिनात’ नामक यह ऑनलाइन कोर्स धर्म और जिहाद के दृष्टिकोण से महिलाओं के कर्तव्यों की शिक्षा देने के नाम पर तैयार किया गया है। लेकिन खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस कार्यक्रम का वास्तविक मकसद कट्टरपंथी विचारधारा फैलाना और महिला आतंकियों की भर्ती करना है।
पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क में यह पहली बार है जब किसी संगठन ने महिलाओं को जोड़ने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया है। इस कोर्स के जरिए जैश ऐसी महिलाओं तक पहुंच बना रहा है जो धार्मिक शिक्षा के बहाने इसके नेटवर्क का हिस्सा बन सकती हैं।
Jaish Online Jihadi Course: अजहर के परिवार की महिलाएं संभालेंगी कमान
इस कोर्स की कमान खुद मसूद अजहर के परिवार की महिलाओं को सौंपी गई है। मसूद अजहर की बहनों सादिया अजहर और समीरा अजहर को ट्रेनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनके अलावा पुलवामा हमले (2019) के मास्टरमाइंड उमर फारूक की पत्नी अफरीरा फारूक को भी अहम भूमिका दी गई है।
सादिया अजहर का पति यूसुफ अजहर ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की कार्रवाई में मारा गया था। जैश ने इस घटना के बाद महिलाओं को “जिहाद में योगदान” के लिए प्रेरित करने का नया अभियान शुरू किया है।
धन जुटाने का नया तरीका
जैश-ए-मोहम्मद का यह ऑनलाइन कोर्स न केवल भर्ती का माध्यम है, बल्कि यह संगठन के लिए चंटा जुटाने का नया रास्ता भी बन गया है। प्रत्येक महिला से ली जा रही 500 रुपये की राशि को “दान” कहा जा रहा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह रकम आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
27 सितंबर को बहावलपुर के मार्कज उस्मान-ओ-अली में अपने भाषण में मसूद अजहर ने धन जुटाने की अपील की थी। अब वही अभियान इस ऑनलाइन कोर्स के रूप में आगे बढ़ाया गया है।
महिला विंग ‘जमात उल-मूमिनात’
8 अक्टूबर को जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी महिला विंग ‘जमात उल-मूमिनात’ का एलान किया था। इसके बाद 19 अक्टूबर को पीओके के रावलकोट में दुख्तरान-ए-इस्लाम नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें महिलाओं को संगठन से जुड़ने का आह्वान किया गया।
यह नया ऑनलाइन कोर्स उसी रणनीति का विस्तार है, जिसके तहत महिलाओं को जिहादी मानसिकता की ट्रेनिंग दे कर प्रचार, फंडिंग और फिदायीन मिशनों में इस्तेमाल करने की योजना है।
आईएसआई का है सपोर्ट
खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक जैश का यह कदम पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के इशारे पर चलाया जा रहा है। चूंकि पाकिस्तान में महिलाओं का अकेले सार्वजनिक स्थानों पर जाना सामाजिक रूप से अनुचित माना जाता है, इसलिए जैश ने अब ऑनलाइन भर्ती मॉडल अपनाया है।
यह रणनीति आईएसआईएस, हमास और लिट्टे जैसे संगठन भी अपना चुके हैं, जहां महिलाएं प्रचारक, फंडरेजर और आत्मघाती हमलावरों की भूमिका निभाती हैं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह कोर्स केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। इसके प्रचार में ऐसे सोशल मीडिया चैनलों का इस्तेमाल किया जा रहा है जो भारत के जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों में सक्रिय हैं।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जैश अब डिजिटल कट्टरपंथ के जरिए महिलाओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। एजेंसियों ने इस कोर्स से जुड़ी वेबसाइट्स और मैसेजिंग चैनलों की निगरानी शुरू कर दी है।
वहीं, इस कदम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तान किस तरह से एफएटीएफ के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है। पाकिस्तान दावा करता है कि वह आतंकी फंडिंग पर कंट्रोल रखता है, लेकिन जैश जैसे प्रतिबंधित संगठन खुले तौर पर ऑनलाइन दान जुटा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र पहले ही जैश को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। भारत ने 2001 संसद हमले, 2016 पठानकोट एयरबेस हमले और 2019 पुलवामा हमले में इसकी भूमिका को सबूतों साथ दुनिया के सामने उजागर किया था।