📍नई दिल्ली/गुरुग्राम | 12 Sep, 2025, 8:55 PM
INS Aravali: भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को गुरुग्राम में अपना नया नेवल बेस INS अरावली कमीशन कर दिया। इस एतिहासिक समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे, उन्होंने इस बेस को नौसेना में शामिल करने की घोषणा की। समारोह के दौरान नौसेना प्रमुख को 50 सदस्यीय गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
एडमिरल दिनेश ने कहा कि INS अरावली भारतीय नौसेना को मजबूत प्रशासनिक और लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे नौसेना का आकार और उसकी तकनीकी क्षमता बढ़ रही है, वैसे ही इस प्रकार के आधुनिक बेस की जरूरत भी महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह नया बेस केवल टेक्नोलॉजी का सेंटर नहीं होगा, बल्कि सहयोग का ऐसा हब बनेगा, जो भारत और उसके साझेदार देशों को जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘महासागर विजन’ (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions-MAHASAGAR) को आगे बढ़ाएगा।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि INS अरावली भारत की भूमिका को हिंद महासागर क्षेत्र में “प्रिफर्ड सिक्योरिटी पार्टनर” के रूप में और मजबूत करेगा। उन्होंने बेस के कमांडिंग ऑफिसर और पूरी कमीशनिंग टीम को बधाई दी और उनसे नौसेना के मूल्यों कर्तव्य, सम्मान और साहस को निभाने का आह्वान किया।
INS Aravali का महत्व
INS अरावली का नाम गुरुग्राम में स्थित अरावली पर्वतमाला से प्रेरित है। यह बेस भारतीय नौसेना की इनफॉरमेशन और कम्यूनिकेशन युनिट को सपोर्ट करेगा। ये यूनिट्स भारत और नौसेना की कमांड, कंट्रोल और मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) फ्रेमवर्क में अहम भूमिका निभाती हैं। इस बेस का आदर्श वाक्य है – ‘सामुद्रिकसुरक्षायाः सहयोगं’ यानी ‘सहयोग के जरिए समुद्री सुरक्षा। इसका उद्देश्य है नौसेना की यूनिट्स, MDA सेंटर्स और सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करना और समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करना।
क्रेस्ट है बेहद खास
INS अरावली का क्रेस्ट भी खास है। इसमें अरावली श्रृंखला की पर्वत छवि है जो दृढ़ता और शक्ति का प्रतीक है। इसके साथ उगता हुआ सूरज दर्शाया गया है जो अनंत सतर्कता, ऊर्जा और आधुनिक तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है। यह क्रेस्ट नौसेना की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसके तहत वह भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई से Samudra Pradakshina अभियान को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई। यह दुनिया का पहला ट्राई सर्विसेज महिला नौकायन अभियान है जिसमें 10 महिला अफसर 26,000 समुद्री मील की परिक्रमा करेंगी। https://t.co/9D9kWOXdiT#SamudraPradakshina #IndianArmy #IndianNavy…
— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) September 11, 2025
हिंद महासागर और सामरिक महत्व
हिंद महासागर क्षेत्र दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। यहां से दुनिया के लगभग एक-तिहाई बड़े कार्गो जहाज, आधे कंटेनर शिप और दो-तिहाई तेल के जहाज गुजरते हैं। इस कारण यह क्षेत्र व्यापार और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। INS अरावली इसी रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
IFC-IOR: अंतरराष्ट्रीय सहयोग का केंद्र
INS अरावली में मौजूद इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर – इंडियन ओशन रीजन (IFC-IOR) की स्थापना 2018 में की गई थी। इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना और मित्र देशों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है। यहां 25 देशों के 43 मल्टीनैशनल सेंटर से लाइव फीड प्राप्त होती है।
अब तक इस सेंटर ने 28 देशों के साथ 76 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संपर्क स्थापित किए हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, फ्रांस, जापान और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के इंटरनेशनल लायजन ऑफिसर्स (ILO) भी शामिल हैं।
IMAC की पैनी नजर
इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) को भारतीय नौसेना का नर्व सेंटर माना जाता है। यहां विशाल स्क्रीन पर समुद्र में हो रही हर गतिविधि को लाइव देखा जा सकता है। IMAC में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिसिस तकनीक का इस्तेमाल होता है। यह कुछ ही सेकंड में बता देता है कि समुद्र में कितने जहाज हैं, वे कहां से आए हैं, कहां जा रहे हैं और उनकी गतिविधियां सामान्य हैं या संदिग्ध।
हर जहाज का रजिस्ट्रेशन नंबर, क्रू और कार्गो की जानकारी इस सिस्टम में उपलब्ध होती है। अगर कोई जहाज झूठा सिग्नल भेजकर स्पूफिंग करने की कोशिश करता है, तो IMAC उसे तुरंत पकड़ लेता है। भारत की 7,600 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा पर लगभग 90 तटीय रडार स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, 89 ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम समुद्र की लगातार निगरानी करते हैं। यहां तक कि 20 मीटर से छोटी नावों को भी ट्रैक करने के लिए ट्रांसपोडर सिस्टम लगाया गया है। देशभर की करीब 2.20 लाख मछली पकड़ने वाली नावें इस सिस्टम से जुड़ी हुई हैं।
लाइव रिपोर्टिंग और सुरक्षा नेटवर्क
INS अरावली से भारतीय नौसेना अपने चार प्रमुख जॉइंट ऑपरेशन सेंटर मुंबई, कोच्चि, विशाखापट्टनम और पोर्ट ब्लेयर से जुड़ी रहती है। यहां से हर जहाज और नाव की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाती है। अब 20 मीटर से छोटी मछली पकड़ने वाली नावों के ट्रांसपोडर भी सैटेलाइट के जरिए डेटा भेजेंगे, जिसे IMAC में देखा जा सकेगा। इससे निगरानी क्षमता और भी बढ़ जाएगी।


