📍नई दिल्ली | 22 Nov, 2025, 11:26 AM
Indian Navy Modernisation: भारतीय नौसेना की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है। नौसेना में अब जितने भी वॉरशिप कमीशन हो रहे हैं वे सभी भारत में ही बने हैं। इसकी वजह है कि अब स्वदेश में ही तेजी से वॉरशिप बन रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय नौसेना अगले वर्ष यानी 2026 में 17 नए जहाज फ्लीट में शामिल करने की तैयारी कर रही है। यह अपने-आप में एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि आज से कुछ साल पहले एक युद्धपोत बनाने में पांच से छह साल लग जाते थे, लेकिन अब यह समय घटकर 31 महीने रह गया है।
Indian Navy Modernisation: 2025 में ही 12 नए प्लेटफॉर्म
भारतीय नौसेना ने अकेले 2025 में ही 12 नए प्लेटफॉर्म जिनमें 11 वॉरशिप और एक स्कॉर्पीन सबमरीन शामिल की है। इससे साफ है कि देश का शिपबिल्डिंग सेक्टर पहले से कहीं ज्यादा तेज, आधुनिक और आत्मनिर्भर बन गया है।
Indian Navy Modernisation: 31 महीने में तैयार हुआ आईएनएस सूरत
इस उपलब्धि के पीछे सबसे बड़ी मिसाल आईएनएस सूरत है, जिसे सिर्फ 31 महीने में तैयार कर दिया गया। पहले यह प्रक्रिया 55 से 60 महीनों तक चलती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2025 में इस गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर को कमीशन किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना आने वाले समय में भी इसी रफ्तार को बनाए रखना चाहती है। साल 2026 में 17 नए जहाज शामिल किए जाएंगे। इनमें गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, नेक्स्ट जेनरेशन ऑफशोर पैट्रोल वेसल, मल्टी-पर्पज शिप और एंटी-सबमरीन प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
Indian Navy Modernisation: हर 40 दिनों में एक नया वॉरशिप
भारत अभी हर 40 दिनों में एक नया वॉरशिप तैयार कर रहा है। हालांकि यह गति अभी भी अमेरिका और चीन से कम है। अमेरिका हर 18 दिन में एक जहाज बनाता है, जबकि चीन सिर्फ एक सप्ताह में एक युद्धपोत तैयार कर लेता है। फिर भी भारत का रिकॉर्ड साफ दिखाता है कि देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और इंडो-पैसिफिक रीजन में अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहता है।
Indian Navy Modernisation: प्रोजेक्ट 75आई है सबसे महत्वपूर्ण
सरकार और नौसेना दोनों मिलकर समुद्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है प्रोजेक्ट 75आई, जिसके तहत छह नई एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) तकनीक वाली सबमरीन बनाई जाएंगी। इन सबमरीन का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपयार्ड में होगा। जर्मनी की कंपनी थिसेनक्रुप मैरीटाइम सिस्टम्स इसमें तकनीकी सहयोग करेगी।
चीन-पाकिस्तान लगातार बढ़ा रहे अपनी नौसैनिक ताकत
यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान और चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को देखते हुए और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पाकिस्तान इस समय पांच पनडुब्बियों के साथ 53 नौसैनिक प्लेटफॉर्म चला रहा है। इसके अलावा चीन पाकिस्तान को हंगोर क्लास की आठ नई सबमरीन दे रहा है, इनमें चार चीन के वुहान में बनााई जाएंगी, तो चार कराची में तैयार होंगी। इनमें से पहली सबमरीन दिसंबर 2025 में पाकिस्तान को मिलेगी।
चीन की मदद से पाकिस्तान अपना नेवी इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार मजबूत कर रहा है। इसी कारण भारतीय नौसेना अपने आधुनिक प्लेटफॉर्म को जल्दी तैयार करना चाहती है। चीन ने 5 नवंबर 2025 को अपना 80,000 टन वजन वाला फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर भी कमीशन किया है, जिससे उसकी नौसैनिक ताकत और बढ़ गई है।
भारत के लिए इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन का बढ़ता प्रभाव चिंता का विषय है। चीन की नौसेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी अब दक्षिण चीन सागर से निकलकर हिंद महासागर और यहां तक कि गल्फ ऑफ अदन तक सक्रिय दिखाई दे रही है। ऐसे में भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
11 से 14 नवंबर के बीच भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने हवाई स्थित इंडो-पैकोम मुख्यालय का दौरा किया। वहां उन्होंने अमेरिकी इंडो-पैसिफिक फ्लीट कमांडर एडमिरल सैमुअल जे पापरो से मुलाकात की। दोनों देशों ने मिलकर फैसला किया है कि आगामी समय में बाइलेटरल नवल एक्सरसाइज को और कॉम्प्लेक्स और रियलिस्टिक बनाया जाएगा। ट्रेनिंग और पोर्ट विजिट्स में भी बढ़ोतरी की जाएगी।
Indian Navy Modernisation: न्यूक्लियर अटैक सबमरीन 2028 में
इस बीच, भारत अपनी समुद्री शक्ति को मजबूत करने के लिए दो और बड़े प्लेटफॉर्म हासिल करने की तैयारी में है। पहला न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, जो 2028 में रूस से मिलने वाली है। दूसरा 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स, जिन्हें 2029 तक भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा। ये विमान आईएनएस विक्रांत और आने वाले नए एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी नौसेना के आधुनिकीकरण (Indian Navy Modernisation) में गहरी दिलचस्पी है। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि दीपावली के दिन उन्होंने आईएनएस विक्रांत पर 17 घंटे बिताए, जहां उन्होंने रात में होने वाले फाइटर ऑपरेशंस और लाइव फायरिंग एक्सरसाइज को करीब से देखा। नौसेना के अधिकारियों का मानना है कि प्रधानमंत्री के इस संदेश से स्पष्ट है कि भारत आने वाले वर्षों में अपनी समुद्री ताकत को सबसे ऊंचे स्तर पर ले जाना चाहता है।

