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Indian Navy Amphibious Warships: 80 हजार करोड़ का सौदा; नौसेना को मिलेंगे चार मेगा लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक वारशिप्स

नौसेना की योजना है कि ये वारशिप्स "आउट-ऑफ-एरिया कंटिन्जेंसी ऑपरेशंस" करने में सक्षम हों, यानी वे बड़े पैमाने पर सैनिकों और भारी सैन्य उपकरणों को समुद्र से तट तक पहुंचाकर ऑपरेशन चला सकें...

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📍नई दिल्ली | 22 Sep, 2025, 7:26 PM

Indian Navy Amphibious Warships: भारतीय नौसेना अपनी सामरिक क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए जल्द ही चार बड़े साइज वाले एंफीबियस वॉरशिप्सके निर्माण के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी करने जा रही है। इन जहाजों को लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) कहा जाता है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस प्रस्ताव को उच्च-स्तरीय बैठक में जल्द ही मंजूरी दी जाएगी। इस अनुबंध में भारतीय शिपबिल्डर्स यानी लार्सन एंड टुब्रो, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड प्रमुख दावेदार होंगे। इन भारतीय शिपयार्ड्स को अंतरराष्ट्रीय डिजाइन पार्टनर्स के साथ मिलकर जहाजों का निर्माण करना होगा। इसमें नवानिया (स्पेन), नेवल ग्रुप (फ्रांस) और फिनकैंटिएरी (इटली) जैसे ग्लोबल शिपबिल्डर डिजाइन सहयोग दे सकते हैं।

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भारतीय नौसेना लंबे समय से अपनी एम्फीबियस वॉरफेयर क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इन जहाजों से न केवल तटीय इलाकों में सैनिकों और हथियारों की तैनाती की जा सकेगी, बल्कि इन्हें ह्यूमेनिटेरियन असिस्टेंस एंड डिजास्टर रिलीफ (HADR) मिशनों के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा।

चीन के पास 13 जहाज

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एम्फीबियस वारशिप्स का महत्व लगातार बढ़ रहा है। चीन की नौसेना के पास 13 से अधिक अत्याधुनिक एम्फीबियस जहाज हैं, जिनमें टाइप 075 LHD और टाइप 071 LPD शामिल हैं।

वर्ष 2021 से 2025 के बीच चीन ने चार टाइप 075 लैंडिंग हेलीकॉप्टर डॉक जहाज कमीशन किए हैं। इनमें सीएनएस हैनान, गुआंग्शी, अनहुई और हुबेई हैं। लगभग 36,000 टन वजनी ये जहाज 30 हेलीकॉप्टर्स, 1,200 सैनिक और कई लैंडिंग क्राफ्ट ले जाने में सक्षम हैं।

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इसके अलावा, चीन के पास आठ से अधिक टाइप 071 लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक युझाओ क्लास जहाज भी हैं। ये 25,000 टन के युद्धपोत चार हेलीकॉप्टर्स, 60 बख्तरबंद वाहन और 800 सैनिक ले जा सकते हैं।

चीन ने दिसंबर 2024 में पहला टाइप 076 लैंडिंग हेलीकॉप्टर असॉल्ट जहाज सीएनएस सिचुआन लॉन्च किया था, जिसके 2025 में कमीशन होने की उम्मीद है। 40,000 टन वजनी यह जहाज ड्रोन और फिक्स्ड-विंग विमानों को ले जाने में सक्षम है।

वहीं, पाकिस्तान नौसेना के पास कोई बड़ा LPD या LHD नहीं है, सिर्फ कुछ छोटे लैंडिंग क्राफ्ट हैं, जो बड़े अभियान के लिए नाकाफी हैं।

नौसेना के पास सीमित LPD

वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास सीमित संख्या में ही एम्फीबियस जहाज हैं। आईएनएस जलाश्व (L41), जो अमेरिका से खरीदा गया ऑस्टिन-क्लास एलपीडी है, नौसेना की मुख्य ताकत है। आईएनएस जलाश्व 16,590 टन वजनी है और 2007 में कमीशन हुआ था। यह 900 सैनिक, चार लैंडिंग क्राफ्ट और हेलीकॉप्टर्स ले जाने में सक्षम है। इसके अलावा चार लैंडिंग शिप टैंक (LST) भी हैं। इनमें मगर क्लास का आईएनएस घड़ियाल (L23, 1997) तथा शार्दुल क्लास के आईएनएस शार्दुल (L16, 2007), आईएनएस केसरी (L15, 2008) और आईएनएस एरावत (L24, 2009) हैं। प्रत्येक जहाज 8 टैंक या 500 सैनिक ले सकता है। इनके साथ 8 एलसीयू Mk-IV जहाज भी ऑपरेशन में हैं। लेकिन बड़े पैमाने के अभियान के लिए ये नाकाफी हैं।

इनमें से अधिकतर पुराने हैं। नए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक आने से भारत इस क्षेत्र में चीन के मुकाबले अपनी ताकत बढ़ा सकेगा और पाकिस्तान पर भारी बढ़त बनाए रखेगा। नए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD) बनने के बाद नौसेना को समुद्र से तट पर बड़े पैमाने पर सैनिकों, टैंकों और हेलीकॉप्टरों को ले जाने की क्षमता मिलेगी। इन जहाजों में आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम, लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलें और ड्रोन भी होंगे।

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2021 में जारी की थी आरएफआई

भारतीय नौसेना ने वर्ष 2021 में एलपीडी प्रोजेक्ट के लिए आरएफआई जारी की थी। नौसेना चाहती है कि ये युद्धपोत आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम्स से लैस हों, ताकि किसी भी हवाई खतरे से पूरी तरह सुरक्षा की जा सके। इन जहाजों में आक्रामक क्षमता भी होगी, जिनमें लॉन्ग-रेंज एंटी-शिप मिसाइल्स और ड्रोन शामिल होंगे।

नौसेना की योजना है कि ये वारशिप्स “आउट-ऑफ-एरिया कंटिन्जेंसी ऑपरेशंस” करने में सक्षम हों, यानी वे बड़े पैमाने पर सैनिकों और भारी सैन्य उपकरणों को समुद्र से तट तक पहुंचाकर ऑपरेशन चला सकें। इसके अलावा, इन एम्फीबियस वारशिप्स का उपयोग मानव सहायता और डिज़ास्टर रिलीफ ऑपरेशंस में भी किया जाएगा, ताकि प्राकृतिक आपदाओं या संकट की स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।

2004 की सुनामी और 2015 के नेपाल भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान भारतीय नौसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भविष्य में लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक जैसे जहाजों से यह क्षमता और बढ़ेगी।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन नए जहाजों से भारत को न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह पड़ोसी देशों के साथ मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन सहयोग में भी अहम साबित होंगे।

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