📍नई दिल्ली | 18 Nov, 2025, 1:29 PM
Fujian electromagnetic catapult: चीन ने अपने लेटेस्ट एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान के सी ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं। फुजियान के साथ ही चीन के पास तीन एयरक्राफ्ट कैरियर्स हो गए हैं, जबकि भारत के पास दो हैं और अमेरिका के पास ग्यारह। हालांकि चीन और भारत के यह कैरियर पारंपरिक ऊर्जा से चलने वाले हैं, जबकि अमेरिका के न्यूक्लियर एनर्जी से चलते हैं।
ताजा सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि फुजियान को पहली बार दक्षिण सागर में पोर्ट से बाहर देखा गया है। इसने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हलचल बढ़ा दी है। साथ ही चीन का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर शानडोंग भी समुद्र में एक्टिव दिख रहा है। माना जा रहा है कि फुजियान और शानडोंग दोनों का एक साथ सक्रिय होना चीन की नौसैनिक रणनीति में बदलाव को संकेत देता है, जिसे भारत भी गंभीरता से देख रहा है।
Fujian electromagnetic catapult: यह तैनाती क्यों है महत्वपूर्ण
चीन की दोनों कैरियर ऐसे समय में सामने आए हैं, जब भारत अपनी नौसैनीक क्षमता को मजबूत कर रहा है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता का प्रमुख स्तंभ बनने की दिशा में काम कर रहा है। फुजियान को तकनीकी रूप से अत्याधुनिक माना जा रहा है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) जैसी क्षमता है। यह तैनाती अंडमान-निकोबार, मालक्का स्ट्रेट और भारतीय नौसेना की निगरानी पट्टी के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है क्योंकि दक्षिण चीन सागर से हिंद महासागर की दिशा में किसी भी गतिविधि पर भारत की सीधी नजर रहती है।
Fujian electromagnetic catapult: फुजियान की खूबियां
फुजियान चीन का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और बनाया गया है। इसमें सपोर्ट के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम लगा हुआ है, जिससे लड़ाकू विमानों को ज्यादा ईंधन और वेपंस के साथ लॉन्च किए जा सकते हैं। इस नए प्लेटफॉर्म को चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग ने कमीशन किया था। रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि फुजियान ने नेवी ट्रायल्स के दौरान अपने डेक से जे-35 नामक नेवी स्टेल्थ लड़ाकू विमान और केजे-600 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग प्लेन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।

Fujian electromagnetic catapult: भारत की तैयारी और निगरानी
भारतीय नौसेना ने अपने समुद्री निगरानी तंत्र को भी मजबूत किया है। इसमें सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केन्द्र (IMAC) को भी अपग्रेड किया गया है जो चीन की समुद्री गतिविधियों पर सटीक नजर रखता है। भारत अपने मिशन महासागर के तहत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझेदार देशों के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा बढ़ा रहा है। स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य तथा पी-8आई समुद्री गश्ती विमान और समुद्र-आधारित निगरानी सिस्टम की मदद से चीन की गतिविधियों पर रीयल टाइम नजर रखी जा रही है।
विश्लेषकों के अनुसार, चीन के इस कैरियर (Fujian electromagnetic catapult) की तैनाती सिर्फ शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि भारत और उसके साझेदार देशों के लिए एक रणनीतिक संकेत है। दक्षिण चीन सागर से हिंद महासागर तक की नौसैनी गतिविधियां और चीन का बढ़ता जलक्षेत्रीय प्रभाव इस तैनाती के जरिये और स्पष्ट होता है। चीन के इस कदम से इंडो-पैसिफिक पावर बैलेंस में एक नया चैप्टर खुल सकता है।
चीन ने पिछले दिनों कोर रूट जैसे मालक्का स्ट्रेट और अंडमान-निकोबार की दिशा में अपनी नौसेना एवं सर्वेक्षण गतिविधियों को तेज किया है। भारत का ध्यान ऐसी गतिविधियों पर बना हुआ है जो समुद्री सुरक्षा, निगरानी और साझेदारी अभ्यासों में उसकी भूमिका को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या है फुजियान में लगा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट (Fujian electromagnetic catapult) लेटेस्ट एयरक्राफ्ट कैरियर की सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी में से एक है। परंपरागत कैरियर भाप की ताकत से विमान को तेज धक्का देकर उड़ाते थे, लेकिन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट में भाप नहीं, बल्कि चुंबकीय ताकत यानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स का इस्तेमाल होता है। यह सिस्टम आज दुनिया का सबसे स्मूथ और असरदार लॉन्च सिस्टम माना जाता है।
कैरियर के डेक पर एक लंबी रेल होती है। इस रेल के भीतर शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेट (Fujian electromagnetic catapult) लगे होते हैं। जब सिस्टम को बिजली दी जाती है, तो ये इलेक्ट्रोमैग्नेट एक स्लाइडर को तेज रफ्तार से आगे खींचते हैं। यही स्लाइडर विमान से जुड़ा होता है। कुछ ही सेकंड में यह स्लाइडर विमान को इतनी तेज रफ्तार तक पहुंचा देता है कि वह सीधे हवा में उठ जाता है। पूरे प्रोसेस में न तो झटका महसूस होता है और न ही कोई अचानक बड़ा धक्का लगता है। उड़ान बिल्कुल नियंत्रित और सुरक्षित रहती है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट (Fujian electromagnetic catapult) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह हर तरह के विमान भारी लड़ाकू जेट, स्टील्थ एयरक्राफ्ट, निगरानी विमान और यहां तक कि हल्के ड्रोन सभी को आसानी से लॉन्च कर सकता है। पुराने स्टीम कैटापल्ट में हल्के ड्रोन उड़ाना मुश्किल था क्योंकि उनमें लॉन्च के दौरान झटका बहुत होता था। लेकिन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट में रफ्तार को धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है, जिससे हल्के और भारी दोनों तरह के विमान सुरक्षित तरीके से उड़ सकते हैं। इसी वजह से फुजियान जैसे आधुनिक चीनी एयरक्राफ्ट कैरियर अब ड्रोन और स्टील्थ फाइटर्स दोनों का उपयोग कर पाएंगे।
इस तकनीक का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह कैरियर की सॉर्टी रेट बढ़ाती है। इसका मतलब है कि कैरियर कम समय में ज्यादा विमान हवा में भेज सकता है। लड़ाई के समय यह क्षमता किसी भी नौसेना के लिए बेहद अहम होती है। साथ ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट (Fujian electromagnetic catapult) में मेंटेनेंस भी पुराने सिस्टम की तुलना में कम है और यह ऊर्जा का इस्तेमाल भी अधिक कुशलता से करता है।
दुनिया में अभी तक केवल अमेरिका और चीन ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट (Fujian electromagnetic catapult) तकनीक को बड़े स्तर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका का यूएसएस गेराल्ड आर फोल्ड इसका पहला बड़ा उदाहरण है, जबकि चीन ने फुजियान कैरियर में पहली बार यह सिस्टम लगाया है। भारत के आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य अभी स्की-जंप आधारित स्टोबार सिस्टम पर चलते हैं, जिनमें विमान अपनी ताकत से उड़ान भरते हैं। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट को भारत के भविष्य के कैरियर प्रोजेक्ट्स के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह स्टील्थ जेट और भारी मिशन प्लेटफॉर्म के लिए सबसे प्रभावी लॉन्च सिस्टम है।
