📍द्रास, कारगिल | 17 hours ago
Shaktibaan Artillery Regiments: थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ के मौके पर भारतीय सेना के मॉर्डनाइजेशन को लेकर कई बड़े एलान किए। सेना प्रमुख ने एलान किया कि थलसेना को फ्यूचर रेडी फोर्स बनाने के लिए ‘रुद्र’ ऑल-आर्म्स ब्रिगेड, ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियन, ‘शक्तिबाण’ आर्टिलरी रेजीमेंट, ‘दिव्यास्त्र’ बैटरियों, ड्रोन से लैस इन्फेंट्री बटालियनों और स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम की फॉर्मेशन की जा रही है। इनमें से शक्तिबाण रेजीमेंट भारतीय सेना की मॉडर्न वॉरफेयर स्ट्रेटेजी का हिस्सा है, जिसमें नई टेक्नोलॉजी और हथियारों को शामिल किया जाएगा। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं कि यह रेजीमेंट क्या है और यह कैसे काम करेगी।
Shaktibaan Artillery Regiments: क्या है शक्तिबाण रेजीमेंट?
11.5 लाख जवानों वाली भारतीय सेना अब ‘शक्तिबाण’ आर्टिलरी रेजीमेंट की फॉर्मेशन कर रही है, जिसमें सर्विलांस के लिए ‘दिव्यास्त्र’ और लोइटरिंग म्यूनिशन बैटरियों शामिल होंगी। इसके साथ ही, दुनिया भर में जिस तरह से ड्रोन टेक्नोलॉजी की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए, सेना की लगभग 400 इन्फेंट्री बटालियनों को चरणबद्ध तरीके से ड्रोन प्लाटून से लैस किया जाएगा। हर शक्तिबाण रेजीमेंट में एक ‘कंपोजिट बैटरी’ होगी, जिसमें ये सभी तकनीकें शामिल होंगी। इसका मतलब है कि इस रेजीमेंट में न केवल पारंपरिक आर्टिलरी भी शामिल होगी, बल्कि मॉडर्न वॉरफेयर की जरूरतों को पूरा करने के लिए ड्रोन और दूसरी टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल करेगी।
क्यों जरूरत पड़ी Shaktibaan Regiments बनाने की?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिये भारत में घुसपैठ करने और गोपनीय जानकारी जुटाने की कोशिश की, तो भारतीय सेना को यह एहसास हुआ कि अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों और तकनीकों से काम नहीं चलेगा। अब युद्ध के तरीके बदल चुके हैं और दुश्मन नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है। इसी चुनौती का सामना करने के लिए सेना में ‘शक्तिबाण’ जैसी आधुनिक रेजीमेंट की जरूरत महसूस हुई।
इसके साथ ही, चीन और पाकिस्तान दोनों मिल कर जिस तरह से साजिशें रच रह रहे हैं, यह भारत के लिए दोहरी चुनौती बन चुकी है। ऐसे में सेना को दोनों सीमाओं पर एक साथ तैयार रहना होता है। इसलिए अब ऐसी रेजीमेंट्स की जरूरत है जो तेजी से जवाब दे सकें, सटीक हमला कर सकें और ड्रोन जैसे नए खतरों का मुकाबला कर सकें। ‘शक्तिबाण’ रेजीमेंट इसी नई सोच और जरूरत का हिस्सा है।
क्या करेगी शक्तिबाण रेजीमेंट?
भारतीय सेना की ‘शक्तिबाण रेजीमेंट’ एक नई और खास तरह की आर्टिलरी यूनिट होगी, जिसे भविष्य के युद्धों की जरूरतों को देखते हुए तैयार किया गया है। इसका मकसद सेना को और ताकतवर, तेज और तकनीकी रूप से आधुनिक बनाना है।
1. ड्रोन से जंग की तैयारी:
रूस और यूक्रेन संघर्ष में देखा गया कि कैसे ड्रोन से सैन्य ठिकानों, टैंकों, रडार और सैनिकों को सटीक निशाना बनाकर नष्ट किया जा सकता है। भारत भी इसी दिशा में अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। शक्तिबाण रेजीमेंट न केवल ड्रोन हमले करेगी, बल्कि दुश्मन के ड्रोन को भी जाम, कन्फ्यूज या नष्ट करने में भी सक्षम होगी। इसमें ऐसे रडार और सेंसर लगाए जाएंगे, जो जो दुश्मन के ड्रोनों को ढूंढ कर उन्हें मार गिरा सकें। साथ ही, यह रेजीमेंट अपने खुद के ड्रोनों से दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी भी रखेगी और जरूरत पड़ने पर हमला भी करेगी।
2. ‘लॉइटर म्यूनिशन’ का इस्तेमाल:
लॉइटर म्यूनिशन एक ऐसा हथियार होता है जो उड़ता रहता है और जब सही मौका मिलता है, तब लक्ष्य पर हमला करता है। इसे ‘उड़ता हुआ बम’ कहा जा सकता है। शक्तिबाण रेजीमेंट के पास ये हथियार होंगे जो दुश्मन के छिपे ठिकानों पर अचानक हमला करने में मदद करेंगे।
3. नेटवर्क वॉरफेयर पर फोकस:
इस रेजीमेंट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह केवल पारंपरिक आर्टिलरी रेजीमेंट नहीं होगी, बल्कि इसमें ड्रोन, सेंसर, सेटेलाइट लिंक और कंप्यूटर आधारित सिस्टम होंगे जो एक-दूसरे से कनेक्ट होंगे। इसका मतलब है कि पूरी रेजीमेंट एक नेटवर्क की तरह काम करेगी, जिससे जंग के मैदान में कहीं से भी फुर्ती और सटीक हमले किए जा सकेंगे। इस रेजीमेंट को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह भारतीय सेना की बाकी टुकड़ियों से भी रीयल-टाइम (तत्काल) डेटा शेयर कर सके। उदाहरण के लिए, जब कोई ड्रोन किसी दुश्मन के ठिकाने का पता लगाएगा, तो उसकी जानकारी तोपों या मिसाइल यूनिट्स को तुरंत मिल जाएगी और वे सटीक हमला कर सकेंगी। इससे युद्ध के मैदान में तुरंत फैसला लिया जा सकेगा।
इसके अलावा, यह रेजीमेंट भारत के पहाड़ी और हाई एल्टीट्यूड इलाकों में भी काम करने में सक्षम होगी, जहां पारंपरिक हथियारों और सैनिकों की सीमाएं होती हैं।

स्वदेशी हथियार होंगे शामिल
शक्तिबाण रेजीमेंट में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर हथियार, तकनीक और सिस्टम भारत में ही बनाए गए हैं। इससे एक तरफ सेना की ताकत बढ़ेगी और दूसरी तरफ देश की आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा। मिसाइल सिस्टम से लेकर काउंटर-ड्रोन टेक्नोलॉजी तक, सब कुछ ‘मेक इन इंडिया’ के तहत तैयार किया जाएगा।
शक्ति, सटीकता और रफ्तार होगी पहचान
शक्तिबाण रेजीमेंट दरअसल तीन सिद्धांतो पर काम करेगी। शक्ति यानी भारी मारक क्षमता, सटीकता यानी बिल्कुल निशाने पर हमला करने की ताकत, और रफ्तार यानी बेहद तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता। यही तीन बातें इसे दुश्मनों के घातक बना देती हैं। यह एक ऐसी आर्टिलरी यूनिट है जो आज के जमाने के नए तरह के खतरों का तुरंत और सही जवाब दे सकती है। अगर दुश्मन ड्रोन के झुंड भेजता है, इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से सिस्टम को गड़बड़ करने की कोशिश करता है, या अचानक हमला करता है, तो शक्तिबाण रेजीमेंट उसे उसी समय रोकने और मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम होगी।
सेना में अभी तकरीबन 250 से ज्यादा ब्रिगेड्स हैं। इनमें से हर एक ब्रिगेड में लगभग 3,000 सैनिक होते हैं। पहले ये ब्रिगेड्स अलग-अलग काम के लिए होती थीं। जैसे कोई इन्फैंट्री यानी पैदल सेना की थी, कोई टैंकों की, कोई तोपों की। लेकिन अब इन्हें मिलाकर एक साथ लड़ने लायक बनाया जा रहा है। इसका मतलब है कि एक ही ब्रिगेड में अब पैदल सैनिक, टैंक, तोप, ड्रोन और स्पेशल फोर्स सब होंगे। इनके साथ जरूरत के मुताबिक सामान पहुंचाने वाली टीम और तकनीकी मदद भी दी जाएगी।
पहले ये अलग-अलग ब्रिगेड्स सिर्फ युद्धाभ्यास या असली जंग के समय साथ आती थीं। लेकिन अब जो ‘रुद्र ब्रिगेड्स’ बन रही हैं, वे हमेशा एक साथ तैनात रहेंगी और सीमावर्ती इलाकों में खास ऑपरेशन के लिए तैयार रहेंगी। इस योजना को मंजूरी मिल चुकी है और दो ‘रुद्र ब्रिगेड्स’ पहले ही बन चुकी हैं।
यह बदलाव उस बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसमें सेना की कुछ यूनिट्स को पूरी तरह तैयार ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स’ में बदला जाना है। इन ग्रुप्स में 5,000 से 6,000 सैनिक होंगे और इनके पास हर तरह की लड़ाई के लिए जरूरी ताकत होगी। जैसे इन्फैंट्री, टैंक, आर्टिलरी, एयर डिफेंस, सिग्नल और इंजीनियरिंग टीमें। इनका नेतृत्व मेजर जनरल जैसे सीनियर अफसर करेंगे। हालांकि इस बड़े प्रस्ताव को सरकार की अंतिम मंजूरी अभी बाकी है।