Kargil Vijay Diwas 2025: इस साल कारगिल दिवस की थीम है “शौर्य को सलाम, बलिदान को नमन”, 545 शहीदों के घर पहुंचेगी सेना

Kargil Vijay Diwas 2025: "Salute to Valor, Tribute to Sacrifice" – Army to Honor 545 Martyrs' Families
Pic: Raksha Samachar
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इस वर्ष कारगिल विजय दिवस का आयोजन विशेष रूप से भव्य और भावनात्मक होगा। भारतीय सेना ने इस अवसर पर कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है, जो न केवल वीर सैनिकों के बलिदान को श्रद्धांजलि देंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी जोड़ेंगे। लद्दाख के लोग युद्ध के दौरान सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, वे भी इन आयोजनों का हिस्सा होंगे...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Kargil Vijay Diwas 2025: 26 जुलाई 2025 को भारत 26वां कारगिल विजय दिवस मनाने जा रहा है। इस अवसर पर भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के नायकों की वीरता, बलिदान और अटूट साहस को सम्मान देने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। यह कार्यक्रम 26 जुलाई तक चलेंगे। दो महीने की लंबी स्मृति श्रृंखला में न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, बल्कि उनके परिजनों को भी सम्मानित किया जाएगा। इस वर्ष करगिल विजय दिवस की थीम है “शौर्य को सलाम, बलिदान को नमन”, और इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए भारतीय सेना कई अभिनव कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।

Kargil Vijay Diwas 2025:

कारगिल युद्ध भारतीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जो सैन्य, राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से हमेशा याद किया जाएगा। 1999 में जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। तब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत इन ऊंचाइयों को वापस हासिल किया और देश की संप्रभुता की रक्षा की। यह युद्ध कई मायनों में अनोखा था। भारतीय सेना ने युद्ध को कारगिल-सियाचिन क्षेत्र तक सीमित रखने की रणनीति अपनाई और तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के समन्वय से अभूतपूर्व सफलता हासिल की। इस दौरान सैनिकों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में, बर्फीले पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में, असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।

26वां कारगिल विजय दिवस

इस वर्ष कारगिल विजय दिवस का आयोजन विशेष रूप से भव्य और भावनात्मक होगा। भारतीय सेना ने इस अवसर पर कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है, जो न केवल वीर सैनिकों के बलिदान को श्रद्धांजलि देंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी जोड़ेंगे। लद्दाख के लोग युद्ध के दौरान सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, वे भी इन आयोजनों का हिस्सा होंगे। उनके सहयोग और योगदान को भी सम्मानित किया जाएगा। यह आयोजन न केवल सैनिकों के बलिदान को याद करने का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय लोगों और सेना के बीच के अटूट रिश्ते को भी मजबूत करेगा। इन आयोजनों में पश्चिमी लद्दाख के कठिन और रणनीतिक इलाकों में भारतीय सेना की देशभक्ति, साहसिकता और सांस्कृतिक भावना की झलक दिखाई जाएगी।

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शहीदों के परिवारों के लिए विशेष पहल

इस बार कारगिल विजय दिवस की सबसे खास पहल है ‘विशेष आउटरीच ड्राइव’, जो इस सप्ताह से शुरू हो रही है। इस पहल के तहत करगिल युद्ध में शहीद हुए 545 सैनिकों के परिवारों को सेना के अधिकारी उनके घर जाकर सम्मानित करेंगे। यह पहल अपने आप में भी अनूठी है, क्योंकि सेना के जवान 25 राज्यों, 2 केंद्र शासित प्रदेशों और नेपाल तक जाएंगे। वे शहीदों के परिजनों को भारतीय सेना की ओर से एक प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी और अन्य मदद प्रदान करेंगे।

इसके साथ ही, सेना यह भी सुनिश्चित करेगी कि शहीदों के परिवारों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर कोई परिवार किसी समस्या से जूझ रहा हो, तो उसका समाधान भी इस मौके पर खोजने की कोशिश की जाएगी। इस दौरान शहीदों से संबंधित स्मृति चिन्ह भी एकत्र किए जाएंगे, जिन्हें कारगिल युद्ध स्मारक, द्रास में सम्मानपूर्वक संरक्षित किया जाएगा। यह पहल न केवल शहीदों के परिवारों के प्रति सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि उनके बलिदान को अमर करने का भी एक प्रयास है।

इस दो महीने के चलने वाले कार्यक्रम का समापन 26 जुलाई 2025 को द्रास स्थित करगिल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि समारोह से होगा। यहां सेना प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारी, शहीदों के परिजन, स्थानीय लोग और देशभर से आए लोग वीरगति को प्राप्त जवानों को नमन करेंगे। यह स्मारक उन वीर सैनिकों का प्रतीक है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इस समारोह में सैन्य अधिकारी, शहीदों के परिजन, स्थानीय लोग और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी शामिल होंगे। यह आयोजन न केवल अतीत के बलिदानों को सम्मान देगा, बल्कि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को सेवा और समर्पण के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

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असाधारण था कारगिल युद्ध

कारगिल युद्ध कई मायनों में असाधारण था। युद्ध के दौरान भारतीय सेना को न केवल दुश्मन की घुसपैठ का सामना करना पड़ा, बल्कि ऊंचे पहाड़ों, कठिन मौसम और सीमित संसाधनों जैसी प्राकृतिक चुनौतियों से भी जूझना पड़ा। फिर भी, सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और रणनीतिक कौशल से दुश्मन को परास्त किया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने जिस तरह से युद्ध को सीमित क्षेत्र तक रखा और भारत की स्थिति को मजबूत किया, वह एक मिसाल है।

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