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Indian Army: फ्यूचर वॉरफेयर के लिए भारतीय सेना कर रही बड़ी तैयारी, पहली बार होगी डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती, युवाओं के लिए खुलेंगे नए रास्ते

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📍नई दिल्ली | 22 Nov, 2024, 4:30 PM

Indian Army: भारतीय सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत, सेना पहली बार नियमित कैडर में डोमेन विशेषज्ञों की भर्ती करने जा रही है। अब सेना में भाषा विशेषज्ञ और साइबर योद्धाओं की भर्ती की जाएगी, जिसमें चीनी भाषा विशेषज्ञों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह पहल गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद बनीं परिस्थितियों को देखते हुए की जा रही है।

Indian Army: Preparing for Future Warfare, First-Time Recruitment of Domain Experts, New Opportunities for Youth
Deputy Chief of Army Staff (DCOAS) Lt. Gen. Rakesh Kapoor

चीनी भाषा विशेषज्ञों की आवश्यकता

चीनी भाषा के इंटरप्रिटर्स की भर्ती से भारत और चीन के बीच सीमा बैठक (बॉर्डर पर्सनल मीटिंग – BPM) के दौरान बेहतर कम्यूूनिकेशन स्थापित करने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच संवाद को मजबूत करना और विवादों का शांति से हल निकालना है। यह पहल भारत-चीन सीमा पर आपसी विश्वास बढ़ाने और तनाव कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

साइबर सुरक्षा में विशेषज्ञों की अहमियत

तेजी से बदलते खतरों के दौर में, साइबर सुरक्षा सेना के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी है। भारतीय सेना ने साइबर खतरों का पता लगाने, उन्हें रोकने और उनका जवाब देने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती शुरू की है।

एक सिक्योरिटी एनालिस्ट ने बताया, “यह पहल सेना की डिजिटल रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।” सेना ने अत्याधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञता को अपनाते हुए खुद को उभरते खतरों से आगे बनाए रखने का संकल्प लिया है।

रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध से सीखे सबक

रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-गाजा संघर्ष ने आधुनिक युद्ध में साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने दिखाया कि साइबर हमले किसी देश के महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को कितनी बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। हैकिंग और गलत जानकारी फैलाने जैसे साइबर युद्ध के तरीकों ने इस संघर्ष को और भी मुश्किल बना दिया। वहीं, इजरायल-गाजा के बीच रहे युद्ध में साइबर हमलों ने मिलिट्री ऑपरेशंस में व्यवधान डालने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की क्षमता को दर्शाया।

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भारतीय सेना ने इन वैश्विक घटनाओं से सबक लेते हुए अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और विशेषज्ञों को नियुक्त करने का निर्णय लिया है।

साइबर विशेषज्ञों की भर्ती: समय की मांग

सेना ने साइबर विशेषज्ञों को अपनी टेरिटोरियल आर्मी के माध्यम से भर्ती करने का अभियान शुरू किया है। सेना ने यह भी स्पष्ट किया है कि साइबर सुरक्षा अब केवल एक सहायक पहलू नहीं, बल्कि मॉर्डन डिफेंस स्ट्रैटेजी का अहम हिस्सा है।

सेना की यह पहल दिखाती है कि भारतीय सेना न केवल उभरते खतरों का सामना करने के लिए तैयार है, बल्कि संवाद और सहयोग के माध्यम से पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। साइबर सुरक्षा में निवेश और विशेषज्ञों की भर्ती भारत की संप्रभुता की रक्षा करने और डिजिटल युग में राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इसके अलावा भारतीय सेना ने भविष्य के युद्धों और नई ऑपरेशनल चुनौतियों का सामना करने के लिए पहली बार नियमित कैडर में डोमेन विशेषज्ञों की भर्ती करने जा रही है। सेना ने दुुनिया में चल रहे दो संघर्षों और तकनीकी विकास पर नजर रखते हुए यह फैसला लिया है कि सूचना युद्ध, साइबर सुरक्षा, और भाषाई विशेषज्ञता जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञों की जरूरत है। इन डोमेन विशेषज्ञों का चयन अधिकारी और एनसीओ (नॉन-कमीशंड ऑफिसर्स) स्तर पर किया जाएगा।

डोमेन विशेषज्ञों में शामिल होंगे:

  • सूचना युद्ध विशेषज्ञ (Information Warfare Experts)
  • भाषाई विशेषज्ञ (Linguistic Experts)
  • साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ (Cybersecurity Experts)
  • आईटी विशेषज्ञ (IT Specialists)

भर्ती प्रक्रिया का प्रारूप

  1. योग्यता स्तर:
    • अधिकारियों के लिए पोस्टग्रेजुएट डिग्री की आवश्यकता होगी।
    • जवानों के लिए ग्रेजुएट स्तर की योग्यता अनिवार्य होगी।
  2. चयन प्रक्रिया:
    • उम्मीदवारों का चयन एसएसबी इंटरव्यू (Services Selection Board) के माध्यम से किया जाएगा।
  3. प्रारंभिक भर्ती:
    • पहले चरण में 17 नई एंट्रीज लाई जाएंगी, जिनमें से 5 स्थान रणनीतिक भाषाई विशेषज्ञों के लिए आरक्षित होंगे।
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प्रारंभिक पायलट प्रोजेक्ट की सफलता

इस भर्ती प्रक्रिया का एक पायलट प्रोजेक्ट पहले ही सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा, सेना पहले से ही टेरिटोरियल आर्मी (TA) के माध्यम से डोमेन विशेषज्ञों को शामिल कर रही है।

सेना ने पुष्टि की है कि टेरिटोरियल आर्मी के जरिए डोमेन विशेषज्ञों की भर्ती जारी रहेगी, जबकि नियमित कैडर में भर्ती के लिए अलग से विज्ञापन जारी किए जाएंगे।

तकनीकी और रणनीतिक उन्नति पर ध्यान

सेना के उप प्रमुख (DCOAS), लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने बताया कि भविष्य के युद्ध तकनीकी कौशल और डोमेन विशेषज्ञता पर निर्भर करेंगे। उन्होंने कहा, “सेना को न केवल लड़ाई के मैदान में बल्कि साइबर और सूचना युद्ध जैसे क्षेत्रों में भी विशेषज्ञता विकसित करनी होगी।”

भाषाई विशेषज्ञों की भूमिका

इस भर्ती में भाषाई विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वे न केवल विभिन्न भाषाओं के अनुवाद और व्याख्या में मदद करेंगे, बल्कि दुश्मन की रणनीतियों को समझने और संचार बाधाओं को तोड़ने में भी सहायक होंगे।

भर्ती के लिए जल्द विज्ञापन

भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जल्द ही जारी किए जाएंगे। यह पहल भारतीय सेना को एक आधुनिक और प्रौद्योगिकी-आधारित बल के रूप में मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वहीं, सेना का यह कदम भारतीय सेना को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगा। डोमेन विशेषज्ञों की भर्ती से सेना न केवल भविष्य के युद्धों के लिए तैयार होगी, बल्कि अपने ऑपरेशनल ढांचे को भी और मजबूत करेगी।

भर्ती प्रक्रिया की घोषणा के साथ, उम्मीद है कि योग्य और प्रेरित युवा इस अवसर का लाभ उठाकर देश की सेवा में योगदान देंगे। भारतीय सेना की यह पहल न केवल तकनीकी उन्नति को प्रोत्साहित करती है, बल्कि यह दिखाती है कि देश की सुरक्षा के लिए सेना हर मोर्चे पर तैयार है।

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हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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