📍नई दिल्ली | 8 Sep, 2025, 8:10 PM
Indian Army Flood Relief 2025: देश के कई हिस्से इस साल भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन इन मुश्किल हालात में भारतीय सेना एक बार फिर सबसे आगे खड़ी दिखाई दी है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को निकालने से लेकर मेडिकल मदद पहुंचाने और राहत सामग्री बांटने तक, सेना के जवान लगातार “सेवा परमो धर्म” की भावना के साथ काम कर रहे हैं।
मॉनसून सीजन अप्रैल 2025 से शुरू हुआ और तभी से सेना की टीमें देशभर में मानवीय सहायता और आपदा राहत यानी ह्यूमैनिटेरियन असिस्टेंस एंड डिजास्टर रिलीफ (HADR) ऑपरेशनों में लगी हुई हैं। अब तक सेना 75 अलग-अलग स्थानों पर सक्रिय रही है, जहां उन्होंने हजारों लोगों की जान बचाई।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सेना ने इस दौरान 126 रेस्क्यू कॉलम तैनात किए। इनकी मदद से 21,500 से अधिक नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया। इसके अलावा 9,700 लोगों को तुरंत चिकित्सा मदद दी गई और प्रभावित इलाकों में 23,500 किलोग्राम से ज्यादा राहत सामग्री पहुंचाई गई। सेना के इंजीनियरों ने राहत और बचाव कार्य को सुचारु बनाने के लिए 29 पुल बनाए, जिनमें से एक पुल 110 फीट लंबा था। साथ ही 12 स्थानों पर बंधों को मजबूत किया गया ताकि बाढ़ का पानी और नुकसान न पहुंचा सके।
भारतीय सेना की इन कोशिशों में हेलिकॉप्टर ऑपरेशनों की भूमिका भी बेहद अहम रही। सेना के हेलिकॉप्टरों ने 500 घंटे से ज्यादा की उड़ान भरकर राहत सामग्री पहुंचाई और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। यह ऑपरेशन कई बार ऐसे इलाकों में चलाए गए जहां पहुंचना बेहद मुश्किल था और जवानों ने व्यक्तिगत जोखिम उठाकर अपनी जिम्मेदारी निभाई।
Indian Army at the Forefront of Nation’s Battle Against Floods 🇮🇳
From the plains of Punjab to the interiors of Himachal and J&K, the Indian Army has once again proven its ethos of Service Before Self.
📍 75 flood-hit locations covered
👥 21,500+ civilians rescued
🏥 9,700+… pic.twitter.com/fUxUuugBU1— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) September 8, 2025
सेना की सबसे उल्लेखनीय कार्रवाई पंजाब में रही, जहां लगातार बारिश ने हालात बिगाड़ दिए थे। अकेले पंजाब में 48 रेस्क्यू कॉलम तैनात किए गए। इनकी मदद से लगभग 10,000 लोगों की जान बचाई गई, 4,700 लोगों को मेडिकल सहायता दी गई और 12,500 किलोग्राम आवश्यक सामग्री बांटी गई। यहां भी सेना के हेलिकॉप्टरों ने 250 घंटे से अधिक उड़ान भरकर राहत कार्य किया। इन हेलिकॉप्टरों ने न सिर्फ़ बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को एयरलिफ्ट किया बल्कि उन गांवों में भी मदद पहुंचाई जहां सड़क से जाना संभव नहीं था।
पंजाब में ऑपरेशन के दौरान सेना ने सुरक्षा बलों के जवानों की भी मदद की। लस्सियां, कसोवाल और दरिया मंसूर जैसे इलाकों में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के करीब 500 जवान फंसे हुए थे। सेना ने इन्हें भी सुरक्षित बाहर निकाला और अग्रिम चौकियों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना के इंजीनियर लगातार काम करते रहे। जहां सड़कें और पुल टूट गए थे, वहां अस्थायी पुल बनाए गए ताकि राहत सामग्री और मेडिकल टीम्स आसानी से पहुंच सकें। कई जगहों पर जवानों ने बंधों को मजबूत किया ताकि गांवों में और पानी न घुस सके। यह काम तेज धाराओं और लगातार बारिश के बीच किया गया।
भारतीय सेना की कोशिशें सिर्फ तकनीकी या सैन्य क्षमता तक सीमित नहीं रहीं। जवानों ने गांवों और कस्बों में जाकर सीधे नागरिकों से बातचीत की, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और बच्चों-बुजुर्गों को कंधों पर उठाकर बाहर निकाला। कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं जिनमें सेना के जवान बाढ़ में डूबते लोगों को बचाते और उन्हें सुरक्षित जगह ले जाते दिखाई दिए।
देश के अलग-अलग हिस्सों से आई तस्वीरें दिखाती हैं कि जब भी संकट आता है, भारतीय सेना सबसे पहले पहुंचती है और सबसे आखिर में लौटती है। चाहें आप उत्तराखंड के हर्षिल-धराली की बात कर लें या हिमाचल प्रदेश या फिर पंजाब, इस साल बाढ़ की तबाही ने हजारों परिवारों को प्रभावित किया है, लेकिन सेना की त्वरित कार्रवाई ने कई जिंदगियों को बचाया है।
पंजाब से लेकर देश के अन्य हिस्सों तक सेना की सक्रियता ने यह साबित किया है कि आपदा राहत कार्यों में उसकी भूमिका कितनी अहम है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाना, लोगों को सुरक्षित निकालना और बंधों को मजबूत करना सेना की उस क्षमता को दर्शाता है जो हर स्थिति में लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहती है।