📍नई दिल्ली | 1 Dec, 2025, 10:14 PM
Indian Army BrahMos Test: भारतीय सेना ने सोमवार 1 दिसंबर को अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह के निकट एक टेस्ट रेंज से बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक टेस्ट किया। यह लॉन्च साउदर्न कमांड की ब्रह्मोस यूनिट और ट्राइ-सर्विसेज अंडमान और निकोबार कमांड के जॉइंट आपरेशन में किया गया। इस टेस्ट के तहत मिसाइल ने एक निर्धारित लक्ष्य पर लॉन्ग-रेंज प्रिसिजन स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
यह परीक्षण उस समय किया गया जब भारतीय सेना लगातार अपनी प्रिसिजन स्ट्राइक यानी बेहद सटीक हमले की क्षमता को आधुनिक बना रही है। ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है।
सेना की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, मिसाइल ने उड़ान भरने के बाद तय किए गए टारगेट को टर्मिनल फेज में तेजी के साथ बिल्कुल सटीक हिट किया। इस दौरान मिसाइल ने अपनी दिशा, स्थिरता और गति को बहुत अच्छे से बनाए रखा। इस परीक्षण का उद्देश्य यह देखना था कि मिसाइल वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में कैसे काम करती है और क्या वह अपने लक्ष्य को सही समय और सही दिशा में मार सकती है।
आज की लॉन्चिंग में मिसाइल को मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया गया। टेस्ट रेंज में मौजूद सभी तकनीकी टीमों ने पहले मिसाइल की जांच की, उसके सेंसर और गाइडेंस सिस्टम को एक्टिव किया और फिर सिक्योरिटी क्लीयरेंस मिलने के बाद लॉन्च की अनुमति दी गई। समुद्र और आसमान में नोटम भी जारी किए गए थे ताकि टेस्ट के दौरान कोई जहाज या विमान उस इलाके में न हो।
🚀🇮🇳 Indian Army Successfully Conducts BrahMos Long-Range Precision Strike
The Indian Army today carried out a successful combat launch of the BrahMos Supersonic Cruise Missile from a test range in the Bay of Bengal. The mission was executed jointly by a BrahMos unit under… pic.twitter.com/uHppUR3o7V— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) December 1, 2025
इस परीक्षण में मिसाइल के एडवांस्ड गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम को भी परखा गया। ये सिस्टम मिसाइल को उसके रास्ते पर बनाए रखते हैं और आखिरी क्षण में उसे लक्ष्य पर सही तरीके से ले जाते हैं। सेना का कहना है कि मिसाइल ने सभी तय मानकों को पूरा किया और परीक्षण पूरी तरह सफल रहा।
मिशन के सफल होने के बाद साउदर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने टीम की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह देश की लंबी दूरी की हमलावर क्षमता को मजबूत करने वाला बड़ा कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सफलता भारतीय वैज्ञानिकों और भारतीय सेना की उस क्षमता को दिखाती है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर निरंतर काम कर रही है।”
इस परीक्षण का एक खास महत्व यह भी है कि इसमें मिसाइल ने एक सिमुलेटेड बैटल कंडीशन यानी युद्ध जैसी स्थिति में उड़ान भरी। परीक्षण में मिसाइल की स्थिरता, उसकी हाई-स्पीड, लक्ष्य ढूंढने की क्षमता और रडार से बचने की क्षमता को भी जांचा गया। यह सब कुछ रियल टाइम कॉम्बैट कंडीशंस की तरह डिजाइन किया गया था।
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने डेवलप किया है। ब्रह्मोस नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा के शुरुआती अक्षरों से बनाया गया है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत इसकी तेज रफ्तार, प्रिसिजन अटैक और हर मौसम में इस्तेमाल करने की क्षमता है। यह मिसाइल किसी भी समय, दिन या रात, दोनों में दागी जा सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल की मौजूदा रेंज लगभग 450 किलोमीटर तक है, जबकि इसका एक्सटेंडेड वर्जन 800 किलोमीटर तक मार कर सकता है। यह मिसाइल 200 से 300 किलो तक का वारहेड लेकर जा सकती है और इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक यानी मैक 2.8 से मैक 3 के आसपास है। यही रफ्तार इसे दुश्मन के एयर डिफेंस से बचाते हुए टारगेट तक पहुंचने में मदद करती है।
भारतीय सेना में ब्रह्मोस 2007 से शामिल है और अब यह थल सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों का हिस्सा बन चुकी है। यह मिसाइल दुश्मन के शिप्स, सैन्य ठिकानों, कमांड सेंटर्स और रनवे जैसे हाई-वैल्यू टारगेट्स को नष्ट करने में सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी भारत ने पाकिस्तान के कई एयर स्ट्रिप्स को बरबाद करने में ब्रह्मोस ने अहम भूमिका निभाई थी।
ब्रह्मोस को कई प्लेटफॉर्म्स से लॉन्च किया जा सकता है, इनमें लैंड-बेस्ड मोबाइल लॉन्चर, एयर-लॉन्च और शिप-लॉन्च शामिल हैं। वहां आज का यह परीक्षण लैंड-आधारित मोबाइल यूनिट से किया गया। सूत्रों ने बताया कि मिसाइल का फ्लाइट-प्रोफाइल लो-लेवल फ्लाइट पर आधारित था ताकि यह रडार डिटेक्शन में कम दिखाई दे।
2025 तक भारतीय सेना कुल पांच रेजिमेंट्स पूरी तरह से ऑपरेशनल हैं। मार्च 2025 में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने दो नई ब्रह्मोस रेजिमेंटों को मंजूरी दी थी। इन दोनों में 800 किलोमीटर तक मार करने वाली ब्रह्मोस-ईआर मिसाइलें शामिल होंगी। इन रेजिमेंट्स के लिए लगभग बीस हजार करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मंजूर हुआ था। इसके साथ ही अप्रैल और मई 2025 में सेना और वायुसेना के लिए लगभग 250 ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद को भी आगे बढ़ाया गया। वहीं इन नई मिसाइलों का एक बड़ा हिस्सा भारतीय सेना को मिलेगा।
