📍नई दिल्ली | 15 Nov, 2025, 1:26 PM
Gajraj Corps: अरुणाचल प्रदेश के कई दुर्गम इलाकों में भारतीय सेना तैनात है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां तक रसद पहुंचा बेहद मुश्किल होता है। लेकिन एक कहावत है, “आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।” भारतीय सेना ने कुछ ऐसा ही किया। 16,000 फीट की अत्यंत कठिन ऊंचाई पर कामेंग हिमालय में रसद सप्लाई के लिए भारतीय सेना ने एक ऐसा ही कारगर तरीका निकला।
भारतीय सेना की गजराज कोर ने इस इलाके में एक स्वदेशी हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल सिस्टम को सफलतापूर्वक डेवलप किया औऱ उसे तैनात भी किया। यहां मौसम, भूगोल और कटे हुए रास्ते सेना की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।
Gajraj Corps: पहाड़ियां बेहद खड़ी और पथरीली
कामेंग सेक्टर भारत-चीन सीमा के पास स्थित एक ऐसा इलाका है, जहां मौसम अचानक बदल जाता है, सर्दियों में तापमान -30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और बर्फीले तूफान कई दिनों तक रास्तों को बंद कर देते हैं। यहां की पहाड़ियां बेहद खड़ी और पथरीली हैं, जिन पर सामान ढोना या बड़ी संख्या में जवानों तक जरूरी सामान की सप्लाई करना अक्सर असंभव हो जाता है। सेना की फॉरवर्ड पोस्टें कई बार लंबे समय तक बाहरी संपर्क से कट जाती हैं और जिससे सप्लाई लाइन पर असर पड़ता है। ऐसे कठिन माहौल में गजराज कोर ने एक ऐसा उपाय खोज निकाला है, जो न सिर्फ तकनीकी रूप से बेहद कुशल है, बल्कि बेहद व्यावहारिक भी है।
At 16,000 ft in the Kameng Himalayas, where weather cuts off posts for days, #GajrajCorps has created a breakthrough an indigenous High Altitude Mono Rail System.
Built for extreme terrain, it carries 300+ kg in one run, ensuring nonstop delivery of ammunition, rations, fuel &… pic.twitter.com/V3eFY3INcI— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) November 14, 2025
Gajraj Corps: खराब मौसम में हेलिकॉप्टर नहीं भर पाते उड़ान
Gajraj Corps ,सेना द्वारा निर्मित यह हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल सिस्टम पूरी तरह भारतीय इंजीनियरिंग और स्थानीय संसाधनों के सहयोग से विकसित किया गया है। सेना के इंजीनियरों ने लंबे समय तक इलाके का अध्ययन किया और पाया कि इस ऊंचाई पर पारंपरिक सप्लाई तरीके कारागर नहीं हैं। जब मौसम खराब होता है, तब हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाते और बर्फ जमने या भूस्खलन की वजह से रास्ते पूरी तरह बंद हो जाते हैं। कई बार सैनिकों को कंधों पर भारी वजन उठाकर घंटों चलना पड़ता है, जिससे न सिर्फ समय बर्बाद होता है बल्कि जोखिम भी बढ़ जाता है। इसी को देखते हुए सेना ने ऐसा समाधान खोजा, जिसे किसी भी मौसम में, दिन और रात दोनों समय इस्तेमाल किया जा सके।
Gajraj Corps: ढो सकता है 300 किलो तक वजन
यह मोनो रेल सिस्टम एक मजबूत स्टील ट्रैक पर आधारित है, जिसके सहारे एक विशेष रूप से डिजाइन की गई ट्रॉली खड़ी चट्टानों और ढलानों के बीच ऊपर-नीचे चलती है। इसे इतनी मजबूती से तैयार किया गया है कि यह बर्फ, तूफान और तेज हवाओं में भी बिना रुके काम कर सके। यह सिस्टम एक बार में 300 किलो से अधिक वजन ले जाने में सक्षम है। इसका मतलब है कि गोला-बारूद, राशन, पानी, ईंधन, इंजीनियरिंग उपकरण, वायरलेस सेट, मेडिकल सप्लाई और अन्य भारी सामान अब बिना किसी देरी के दुर्गम पोस्टों तक पहुंचाई जा सकती है। यह वही सामान है, जिसकी कमी के कारण कई बार फॉरवर्ड पोस्टों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
इस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब सप्लाई लाइन हर मौसम में चालू रहती है। जब सड़कें बंद होती हैं, तब भी मोनो रेल बिना रुके अपना काम करती रहती है। तत्काल जरूरत की वस्तुओं जैसे दवाइयां या गोला-बारूद को तेजी से पहुंचाना संभव हो गया है। मोनो रेल के शुरू होने के बाद सप्लाई संबंधी समस्याएं काफी हद तक खत्म हो गई हैं।
Gajraj Corps: मोनो रेल सिस्टम स्ट्रेचर का भी करता है काम
वहीं, अगर किसी जवान को चोट लग जाए, तो पहाड़ों में उसे नीचे तक लाना बेहद कठिन काम होता है। हेलिकॉप्टर कई बार लैंड नहीं कर पाते और पथरीले रास्तों पर स्ट्रेचर लेकर चलना भी जोखिम भरा होता है। अब मोनो रेल सिस्टम पर स्ट्रेचर रखकर घायल सैनिक को सुरक्षित और तेजी से नीचे लाया जा सकता है। इससे जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है और यह सुविधा पहाड़ों में संचालित होने वाले अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
इन-हाउस किया तैयार
गजराज कोर ने इसे पूरी तरह इन-हाउस तैयार किया है। इसमें किसी निजी कंपनी द्वारा न कोई मशीन दी गई और न ही कोई विदेशी उपकरण इस्तेमाल किए गए। स्थानीय परिस्थितियों, मौसम और इलाके की प्राकृतिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इस सिस्टम को इंजीनियरों ने खुद डिजाइन किया, तैयार किया और इसे फिट किया। सिस्टम को जगह पर लगाने के बाद कई स्तरों पर इसका परीक्षण किया गया और यह पाया गया कि यह बिना किसी कठिनाई के 24 घंटे काम कर सकता है। इसके बाद सेना ने इसे पूरी तरह ऑपरेशनल घोषित कर दिया।
कामेंग सेक्टर LAC के पास होने के कारण सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां किसी भी समय आपात स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में जरूरी सामान का समय पर पहुंचना बेहद आवश्यक होता है। मोनो रेल सिस्टम ने इस चिंता को बहुत हद तक दूर कर दिया है। इस सिस्टम के कारण सैनिकों पर शारीरिक बोझ कम हुआ है और खतरनाक रास्तों पर आने-जाने की जरूरत कम हो गई है।
16,000 फीट की ऊंचाई पर ऐसा Gajraj Corps प्रोजेक्ट लगाना अपने-आप में एक इंजीनियरिंग चुनौती है। इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन कम होती है, तापमान अत्यंत कम होता है और मशीनें जल्दी खराब होती हैं। लेकिन सेना ने इन सभी बाधाओं को पार करके इसे सफलतापूर्वक पूरा किया।

