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Eastern Ladakh LAC Update: इस साल सर्दियों में भी LAC पर डटे रहेंगे भारतीय सैनिक, चीन से ‘विश्वास’ बहाली तक किसी बदलाव के पक्ष में नहीं है भारतीय सेना

चीन की कई ‘कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड्स’ कुछ इलाकों से पीछे हटी हैं, लेकिन कई ब्रिगेड्स अब भी एलएसी पर अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं, जो टैंक, आर्मर्ड व्हीकल, आर्टिलरी और सरफेस टू एयर मिसाइलों से लैस हैं। यही वजह है कि भारतीय सेना अपनी तैनाती कम नहीं करना चाहती।

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📍नई दिल्ली | 8 Sep, 2025, 11:26 AM

Eastern Ladakh LAC Update: एससीओ समिट में पीएम मोदी और चीना राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बातचीत के बाद भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय सेना की तैनाती में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दोनों नेताओं के बीच तियानजिन में हालिया मुलाकात के बाद भी सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा हालात में भी सीमा पर कोई कमी नहीं की जाएगी। वहीं सीमा पर विंटर डिप्लॉयमेंट पहले की तरह जारी रहेगा यानी सर्दियों में भी बॉर्डर पर से सैनिकों की संख्या में कोई कटौती नहीं की जाएगी। जैसा पिछले साल था वैसा ही इस बार भी रहेगा।

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Eastern Ladakh LAC Update: सीमा पर तैनाती की स्थिति

सेना के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना भी उतने ही सैनिक और हथियारबंद यूनिट्स लेकर सीमा पर मौजूद है। ऐसे में भारत की तैनाती भी संतुलन बनाए रखने के लिए समान स्तर पर की गई है। पिछले साल 21 अक्टूबर को एलएसी पर पेट्रोलिंग बहाल होने के बाद से हालात शांतिपू्र्ण हैं। जिसके बाद डेपसांग और डेमचोक इलाके में डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

बता दें कि सर्दियों की शुरूआत होने वाली है, जिसके बाद हाई एल्टीट्यूड इलाकों में बर्फ जमने से रास्ते बंद हो जाएंगे और पेट्रोलिंग सीमित हो जाएगी। जिसके चलते सेना का फोकस सप्लाई लाइनों को बनाए रखने पर है। पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 के बाद चीन की भारी तैनाती के जवाब में भारत ने भी अतिरिक्त सैनिक, तोपें, टैंक, रॉकेट लॉन्चर, हेलिकॉप्टर और यूएवी तैनात किए थे। हालांकि हालात अब स्थिर हैं लेकिन अप्रैल 2020 से पहले जैसी सामान्य स्थिति अभी तक बहाल नहीं हुई है।

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Eastern Ladakh LAC Update: थ्री-डी प्रस्ताव पर काम होना बाकी

भारत ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए तीन-चरण में प्रस्ताव रखा है जिसे ‘थ्री-डी’ कहा जा रहा है। इसमें पहला ‘डी’ यानी डिसएंगेजमेंट (सैनिकों को फेस टू फेस डिप्लॉयमेंट से पीछे हटाना) पिछले साल अक्टूबर में पूरा हो गया था। लेकिन दूसरा चरण डी-एस्केलेशन (तनाव घटाना) और तीसरा डी-इंडक्शन (अतिरिक्त सैनिकों को स्थायी ठिकानों पर लौटाना) अब भी पूरा नहीं हुआ है और चीन के साथ बातचीत में इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है। जबकि ये दोनों प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक सीमा पर सामान्य हालात नहीं बने रह सकते।

पिछले तीन महीनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर दोनों अपने-अपने चीनी समकक्षों से इस मुद्दे पर बातचीत कर चुके हैं। 19 अगस्त को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की दिल्ली में स्पेशल रिप्रजेंटेटिव स्तर की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने एक साझा दस्तावेज भी जारी किया था जिसमें बॉर्डर मैनेजमेंट को लेकर बातचीत हुई थी। इसमें बॉर्डर मैनेजमेंट पर सहमति बनाने के लिए वर्किंग ग्रुप के गठन की बात कही थी, जिसमें WMCC के तहत एक वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा, ताकि सीमा पर प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित हो सके और शांति व स्थिरता बनी रहे।

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इसके अलावा जनरल लेवल मैकेनिज्म को लेकर बातचीत हुई थी, जो अभी वेस्टर्न सेक्टर (पश्चिमी क्षेत्र) में है, उसके अलावा ईस्टर्न (पूर्वी), मिडल (मध्य) और अन्य सेक्टरों में भी जनरल लेवल मैकेनिज्म बनाया जाएगा। इसका मकसद है कि जमीनी स्तर पर जल्दी और सीधे तौर पर समन्वय हो सके। इसमें कमांडर स्तर के बीच सीधी बातचीत होगी।

साथ ही डिप्लोमैटिक और मिलिट्री लेवल मैकेनिज्म पर दोनों पक्षों ने यह तय किया था कि मौजूदा कूटनीतिक और मिलिट्री चैनलों का इस्तेमाल करते हुए बॉर्डर मैनेजमेंट के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसका उद्देश्य है तनाव को कम करना (de-escalation) और उसी फ्रेमवर्क के भीतर काम करना, जिस पर पहले सहमति बनी थी।

वहीं, 31 अगस्त को तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। इस दौरान मोदी ने स्पष्ट कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता जरूरी है ताकि द्विपक्षीय संबंधों का विकास सुचारू रूप से हो सके। बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए मौजूदा मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया जाएगा और बड़े रिश्तों में किसी तरह की बाधा नहीं आने दी जाएगी।

Eastern Ladakh LAC Update: पीएलए की तैनाती क्यों है चिंता की बात

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, चीन की कई ‘कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड्स’ कुछ इलाकों से पीछे हटी हैं, लेकिन कई ब्रिगेड्स अब भी एलएसी पर अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं। एक ब्रिगेड में करीब 4500 से 5000 सैनिक होते हैं जिनके पास टैंक, आर्मर्ड व्हीकल, आर्टिलरी और सरफेस टू एयर मिसाइलें होती हैं। यही वजह है कि भारतीय सेना अपनी तैनाती कम नहीं करना चाहती।

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वहीं, डी-इंडक्शन यानी अतिरिक्त सैनिकों की स्थायी ठिकानों पर वापसी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। सेना के अधिकारियों का कहना है कि जब तक चीन पूरी तरह पीछे नहीं हटता और विश्वास बहाली के ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक भारतीय तैनाती में कोई ढील नहीं दी जाएगी।

Eastern Ladakh LAC Update: नए जनरल-लेवल मैकेनिज्म की व्यवस्था

दोनों देशों ने अब एलएसी के अलग-अलग सेक्टरों के लिए नए जनरल-लेवल मैकेनिज्म बनाने पर सहमति जताई है। पश्चिमी सेक्टर (लद्दाख) में भारतीय 14 कॉर्प्स कमांडर और चीनी साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट चीफ पहले से बातचीत कर रहे हैं। अब मध्य सेक्टर (उत्तराखंड, हिमाचल) और पूर्वी सेक्टर (सिक्किम, अरुणाचल) के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था की जाएगी। भारत की तरफ से इसमें बरेली स्थित उत्तर भारत एरिया और नगालैंड-आसाम स्थित 3 और 4 कॉर्प्स शामिल हो सकते हैं।

Eastern Ladakh LAC Update: कई इलाकों में पेट्रोलिंग राइट्स नहीं  

पूर्वी लद्दाख में अब भी कई ऐसे इलाकों में भारतीय सेना की पैट्रोलिंग के अधिकार पूरी तरह बहाल नहीं हुए हैं। गलवान, पैंगोंग त्सो झील का उत्तरी किनारा, कैलाश रेंज और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में बफर जोन बनाए गए हैं, जिनकी चौड़ाई 3 किलोमीटर से 10 किलोमीटर तक है। यह बफर जोन भारतीय इलाकों में ही बने हैं।

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हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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