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Command Subedar Major: भारतीय सेना में बड़ा बदलाव; पहली बार ‘कमांड सूबेदार मेजर’ की नियुक्ति, जानिए इस ऐतिहासिक फैसले के मायने

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कमांड सूबेदार मेजर का कार्य केवल सलाहकारी होगा। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति के पास कोई प्रशासनिक या कार्यकारी अधिकार नहीं होंगे। उनका मुख्य कार्य कमांडरों को जेसीओ और जवानों से संबंधित मामलों पर सलाह देना, नीति निर्माण में योगदान देना, जवानों का मनोबल बढ़ाना, प्रशिक्षण में सुधार करना और जवानों की भलाई के लिए सुझाव देना होगा। यह पद सेना के जमीनी स्तर की वास्तविकताओं को उच्च कमांड तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा...
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📍उधमपुर | 9 Jun, 2025, 1:52 PM

Command Subedar Major: भारतीय सेना में जवानों और जूनियर कमीशंड अफसरों (JCOs) की भूमिका को और मजबूती देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। भारतीय सेना ने पहली बार “कमांड सूबेदार मेजर” का पद सृजित किया है, और इस पद पर पहली नियुक्ति सूबेदार मेजर ओजीत सिंह साहब की हुई है, जो थर्ड असम रेजिमेंट से हैं। इस नई पहल को सेना के उच्च नेतृत्व और जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (जेसीओ) तथा जवानों के बीच संवाद को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया है। यह बदलाव भारतीय सेना में जवानों और अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल और नीति निर्माण में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

कौन हैं Command Subedar Major ओजीत सिंह?

भारतीय सेना में यह नया पद चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के निर्देश पर बनाया गया है। इसकी प्रेरणा पश्चिमी सेनाओं के सीनियर सार्जेंट मेजर की भूमिका से ली गई है। सूबेदार मेजर ओजीत सिंह भारतीय सेना की थर्ड असम रेजीमेंट से हैं और उन्हें उत्तरी कमान (Northern Command) का पहला कमांड सूबेदार मेजर नियुक्त किया गया है। यह घोषणा लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, जीओसी-इन-सी, उत्तरी कमान द्वारा की गई। ओजीत सिंह अब सेना में एक नई भूमिका निभाते हुए JCOs और अन्य जवानों की आवाज को सेना के हाई कमान तक पहुंचाने का काम करेंगे।

इस नियुक्ति के पीछे क्या है उद्देश्य?

कमांड सूबेदार मेजर का कार्य केवल सलाहकारी होगा। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति के पास कोई प्रशासनिक या कार्यकारी अधिकार नहीं होंगे। उनका मुख्य कार्य कमांडरों को जेसीओ और जवानों से संबंधित मामलों पर सलाह देना, नीति निर्माण में योगदान देना, जवानों का मनोबल बढ़ाना, प्रशिक्षण में सुधार करना और जवानों की भलाई के लिए सुझाव देना होगा। यह पद सेना के जमीनी स्तर की वास्तविकताओं को उच्च कमांड तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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नियुक्ति की प्रक्रिया और कार्यकाल

कमांड सूबेदार मेजर के चयन की प्रक्रिया बेहद कठिन और पारदर्शी है। इस पद के लिए उम्मीदवारों को कई स्तरों पर साक्षात्कार से गुजरना पड़ता है, और इस प्रक्रिया की निगरानी स्वयं सेना कमांडर द्वारा की जाती है। अंतिम नियुक्ति का आदेश इन्फैंट्री डायरेक्टर द्वारा जारी किया जाता है। इस पद का कार्यकाल सामान्य रूप से दो वर्ष का होगा, जिसे विशेष परिस्थितियों में तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा, “सूबेदार मेजर ओजीत साहब की नियुक्ति ‘कमांड सूबेदार मेजर’ के रूप में एक स्वागत योग्य पहल है। यह सेना के वरिष्ठ नेतृत्व और जवानों के बीच संवाद का सेतु बनेगा। यह सिस्टम कोर, डिवीजन और ब्रिगेड स्तर तक भी बढ़ाया जाना चाहिए।”

कमांड सूबेदार मेजर की क्या होगी भूमिका?

कमांड सूबेदार मेजर सेना के उच्च नेतृत्व और जेसीओ/जवानों के बीच एक सेतु का काम करेगा। कमांड सूबेदार मेजर कमांडरों को जेसीओ और जवानों से संबंधित मामलों पर सलाह देंगे। यह सलाह नीति निर्माण, प्रशिक्षण, और जवानों के कल्याण से संबंधित होगी। यह पद जमीनी स्तर पर जवानों की समस्याओं और चुनौतियों को समझकर उन्हें उच्च कमांड तक पहुंचाएगा। इससे नीतियों को और अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाया जा सकेगा। कमांड सूबेदार मेजर जवानों के मनोबल को बढ़ाने और उनके प्रशिक्षण में सुधार के लिए सुझाव देंगे। यह सैनिकों के बीच विश्वास और एकजुटता को मजबूत करेगा। इसके अलावा कमांडरों के साथ यूनिट विजिट और निरीक्षणों में शामिल होकर, यह पद सैनिकों की वास्तविक स्थिति को समझने में मदद करेगा।

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इसके अलावा, यह पद भारतीय वायुसेना में पहले से मौजूद मास्टर वारंट ऑफिसर की तरह है, जहां इस तरह की नियुक्तियां पहले से ही हो रही हैं। मास्टर वारंट ऑफिसर एयरफोर्स के सीनियर-नॉन कमीशंड ऑफिसर्स (SNCOs) और अफसरों के बीच पुल का कार्य करते हैं। सेना अब इस मॉडल को अपने स्ट्रक्चर में अपनाने जा रही है। हालांकि, भारतीय सेना में यह पहल नई है और इसे पश्चिमी सेनाओं की तर्ज पर लागू किया गया है।

जमीनी सच्चाई भी समझनी होगी

सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के रिटायर्ड कैप्टन लोकेंद्र सिंह तालान का कहना है, अभी तक सूबेदार मेजर का पद अक्सर केवल औपचारिकताओं तक सीमित रहता है, और कई बार वे उच्च अधिकारियों के सामने सही जानकारी साझा करने से हिचकते हैं। कुछ सैनिकों का यह भी कहना है कि सूबेदार मेजर कभी-कभी केवल उच्च अधिकारियों की हां में हां मिलाने का काम करते हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।

वहीं, यह कदम जवानों और जेसीओ के बीच यह भावना पैदा करेगा कि उनकी आवाज सुनी जा रही है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जमीनी स्तर की समस्याएं उच्च कमांड तक नहीं पहुंच पातीं, जिसके कारण नीतियां और निर्णय प्रभावित होते हैं। कमांड सूबेदार मेजर का पद इस कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने और उनकी भलाई के लिए नीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगा।

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कैप्टन लोकेंद्र सिंह तालान के मुताबिक कमांड सूबेदार मेजर के चयन में उनके पिछले कार्यकाल के एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट्स (एसीआर) को चयन प्रक्रिया में शामिल न किया जाए, बल्कि उनकी सेवा और अनुशासन के रिकॉर्ड को प्राथमिकता दी जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल योग्य और निष्पक्ष उम्मीदवार ही इस पद के लिए चुने जाएं।

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