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Army Chief on Op Sindoor: आर्मी चीफ बोले- 10 मई को खत्म नहीं हुई थी पाकिस्तान से जंग, थिएटराइजेशन “आज नहीं तो कल जरूर आएगा”

सेना प्रमुख ने हाल ही में घोषित जीएसटी सुधारों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉरिडोर को इसका सीधा फायदा मिलेगा और छोटे उद्योगों तथा स्टार्टअप्स को भी राहत मिलेगी...

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📍नई दिल्ली | 6 Sep, 2025, 11:45 AM

Army Chief on Op Sindoor: भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को साफ किया कि पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर 10 मई को खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि यह सैन्य अभियान लंबे समय तक चला और इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लेने पड़े।

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दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, “आप सोच रहे होंगे कि जंग 10 मई को खत्म हो गई थी, लेकिन ऐसा नहीं था। यह और लंबे समय तक चला क्योंकि बहुत से अहम फैसले लेने थे। उससे आगे की बात करना मेरे लिए मुश्किल होगा।”

Army Chief on Op Sindoor: जारी रहा ऑपरेशन

सेना प्रमुख ने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन की नई किताब “ऑपरेशन सिंदूर: द अनटोल्ड स्टोरीज ऑफ इंडियाज डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान” की लॉन्चिंग के मौके पर बोलते हुए कहा, 6-7 मई 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। तीन दिन बाद यानी 10 मई तक इसे खत्म माना गया, लेकिन सेना प्रमुख ने पहली बार स्वीकार किया कि यह ऑपरेशन आगे भी जारी रहा। उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अप्रैल 23 से लेकर 16 मई तक कई कठिन फैसले लेने पड़े। लोग सोचते हैं कि जंग 10 मई को खत्म हुई, लेकिन सच यह है कि कई अहम फैसले उसके बाद भी लिए गए। हमें यह तय करना था कि कब शुरू करें, कब रोकें, कितना समय, कितना संसाधन और किस तरह उपयोग करना है। कोई पहले से उदाहरण नहीं था, इसलिए हर फैसला अनुभव और चर्चा के आधार पर लेना पड़ा।

उन्होंने यह भी कहा कि लाइन ऑफ कंट्रोल पर इसका असर अभी आंकना जल्दबाजी होगी, क्योंकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, “क्या पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद खत्म हो गया? मुझे नहीं लगता, क्योंकि अब भी घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं। कितने आतंकियों को हमने मार गिराया और कितने भाग निकले, यह सब मीडिया में भी सामने आ चुका है।”

Army Chief on Op Sindoor: तालमेल और सिंक्रोनाइजेशन पर फोकस

जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को “रिदमिक वेव” यानी लयबद्ध तरंग की तरह बताया। उनके अनुसार, हर जवान और हर अफसर आदेशों से पूरी तरह अवगत था और एकजुट होकर काम कर रहा था।

उन्होंने कहा कि युद्ध में केवल हथियार ही काम नहीं आते, बल्कि कमांड और कंट्रोल का बेहतर स्ट्रक्चर भी उतना ही अहम होता है। इस दौरान सेंटर ऑफ ग्रेविटी पर लगातार फोकस रखा गया और यह सुनिश्चित किया गया कि हर कदम योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़े।

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Army Chief on Op Sindoor: थिएटराइजेशन पर बोली यह अहम बाात

वहीं थिएटराइजेशन पर जनरल द्विवेदी ने अपनी राय रखते हुए कहा, “थिएटराइजेशन आज हो या कल, होना ही है। सवाल सिर्फ यह है कि इसमें कितना वक्त लगेगा। जब हम लड़ते हैं, तो केवल सेना नहीं लड़ती। हमारे पास बीएसएफ, आईटीबीपी, साइबर एजेंसी, स्पेस एजेंसी, कोऑपरेटिव वॉरफेयर एजेंसी, आईएसआरओ, सिविल डिफेंस, रेलवे और स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन जैसी कई संस्थाओं से तालमेल बैठाना होता है। इतने सारे एजेंसियों के बीच तालमेल की स्थिति में थिएटराइजेशन ही जवाब है। हमें एक ही कमांडर चाहिए और यूनिटी ऑफ कमांड सबसे ज्यादा जरूरी है।”

Army Chief on Op Sindoor: War with Pakistan Didn’t End on May 10
COAS General Upendra Dwivedi

बता दें कि हाल के दिनों में थिएटराइजेशन (Theaterisation) पर बहस छिड़ी हुई है। रणसंवाद 2025 में एयरफोर्स चीफ, नेवी चीफ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने भी इस पर अपने-अपने विचार रखे थे।

एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने थिएटर कमांड को लेकर कहा था कि अभी थिएटर कमांड लागू करने का समय नहीं है। इस तरह की जल्दबाजी से तीनों सेनाओं की कोर स्ट्रेंथ को नुकसान हो सकता है। उनका कहना था मिलिट्री कॉर्डिनेशन का स्ट्रक्चर ऐसा होना चाहिए जिसे सीधे तीनों सेनाओं के प्रमुख मिलकर ऑपरेट करें। उन्होंने कहा कि इस स्तर पर जॉइंट प्लानिंग और फैसले अधिक व्यावहारिक होंगे और इससे अनावश्यक नई परतें जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

उन्होंने आगे बोलते हुए कहा था कि हमें अभी किसी नए स्ट्रक्चर की जरूरत नहीं है। जो सिस्टम मौजूद है, उसी में बेहतर काम हो सकता है। हमें दिल्ली में एक जॉइंट प्लानिंग और कॉर्डिनेशन सेंटर बनाना चाहिए, जहां से योजनाएं तैयार हों और फिर उनका क्रियान्वयन अलग-अलग स्तरों पर किया जाए।

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वहीं, नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा था कि समुद्री मोर्चे पर मल्टी-डोमेन ऑपरेशन की जरूरत है और इसके लिए इंटीग्रेटेड कमांड ही समाधान है। वहीं सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इस प्रक्रिया को “अनिवार्य” बताया था।

Army Chief on Op Sindoor: जीएसटी सुधारों की तारीफ

सेना प्रमुख ने हाल ही में घोषित जीएसटी सुधारों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉरिडोर को इसका सीधा फायदा मिलेगा और छोटे उद्योगों तथा स्टार्टअप्स को भी राहत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि भारतीय सेना में तीन चीजें सबसे अहम हैं, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, ट्रेनिंग और मॉडर्नाइजेशन। रिसर्च एंड डेवलपमेंट में आईडीईएक्स (IDEX) प्रोजेक्ट्स को जीएसटी छूट से सीधा फायदा होगा। ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले सिम्युलेटर अब जीरो जीएसटी पर मिलेंगे, जिससे बड़ी संख्या में इन्हें खरीदा जा सकेगा।

मॉडर्नाइजेशन की बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारी और हल्के उपकरणों की खरीद में अब बाधाएं कम होंगी। मिलिट्री ड्रोन (UAVs) पर जीएसटी जीरो कर दिया गया है, जिससे आने वाले युद्धों में उनकी अहमियत और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, “ड्रोन, यूएवी और काउंटर-यूएवी आने वाले समय में युद्ध का चेहरा तय करेंगे। इस सुधार से हमें काफी फायदा होगा।”

Army Chief on Op Sindoor: एलओसी को लेकर बोले आर्मी चीफ

जनरल द्विवेदी ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केजेएस ढिल्लन की नई किताब की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इसमें कई ऐसी बातें सामने आई हैं जिन्हें अब तक वर्दीधारी अफसर नहीं बता सकते थे।

उन्होंने कहा, यह किताब सिर्फ मिलिट्री ऑपरेशंस की कहानी नहीं है, बल्कि भारतीय सेना की हिम्मत, प्रोफेशनलिज्म और अटूट जज्बे को भी सलाम है। उन्होंने कहा कि लाइन ऑफ कंट्रोल की लड़ाई और उससे जुड़े मुद्दों पर हम इतने अभ्यस्त हो गए थे कि उसकी अहमियत, जज्बात, नुकसान, उपलब्धियां और चुनौतियों को हम महसूस ही नहीं कर पाए। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में यही अनकही कहानी सामने आती है। आप जानते हैं कि गलती से जब पाकिस्तान की तरफ से पुरस्कार देने की सूची बाहर आई, तो उसमें साफ दिखा कि सबसे बड़ा श्रेय लाइन ऑफ कंट्रोल को ही जाता है। यहां तक कि उसमें लिखा गया था ‘बहुत हुआ, फाइल छोड़ो और जल्दी से मुजफ्फराबाद भागो’। यह उस जबरदस्त फायर असॉल्ट की गवाही देता है।

उन्होंने कहा कि इस किताब में तीन अहम मुद्दों पर भी चर्चा है, फोर्स विजुअलाइजेशन, फोर्स प्रोटेक्शन और फोर्स एप्लिकेशन। साथ ही इसमें सेंट्रलाइज्ड प्लानिंग और डीसेंट्रलाइज्ड एक्जीक्यूशन पर भी बात की गई है।

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उन्होंने कहा, “इस किताब ने वह सब कह दिया जो अब तक अनकहा था। इसने ऑपरेशन सिंदूर की चुनौतियों, भावनाओं, नुकसान और उपलब्धियों को सामने रखा। यह किताब सिर्फ सैन्य ऑपरेशन का ब्यौरा नहीं बल्कि भारतीय सेना के साहस और प्रोफेशनलिज्म को श्रद्धांजलि भी है।”

Army Chief on Op Sindoor: एनसीईआरटी में शामिल

सेना प्रमुख ने यह भी बताया कि अब ऑपरेशन सिंदूर को एनसीईआरटी (NCERT) की किताबों में शामिल किया गया है। एक हिस्सा कक्षा 1 से 5 और दूसरा कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। यह किताब न सिर्फ़ नींव है बल्कि भविष्य की पढ़ाई और शोध के लिए भी रेफरेंस मटेरियल बनेगी। मिलिट्री स्ट्रैटेजिस्ट भी इसे कोट करेंगे। और आने वाले युद्धों के लिए इससे कई सबक सीखे जाएंगे।”

ले. जन. (रि.) केजेएस ढिल्लन ने कही ये बात

लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) केजेएस ढिल्लन ने अपनी नई किताब बोलते हुए कहा, यह किताब केवल एक मिलिट्री ऑपरेशन का ब्यौरा नहीं है, बल्कि उस राष्ट्रीय ऊर्जा, राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य समन्वय का दस्तावेज है जिसने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक जीत सुनिश्चित की।

ढिल्लन ने बताया कि किताब की रूपरेखा 22 अप्रैल से लेकर 6 मई की रात तक की घटनाओं, इंटेलिजेंस इनपुट्स, कूटनीतिक पहल और सैन्य फैसलों पर आधारित है। इसमें टारगेट चुनने से लेकर सही हथियारों के इस्तेमाल और तेजी से किए गए हमलों तक का ब्यौरा है। उन्होंने खास तौर पर लाइन ऑफ कंट्रोल की जंग और नैरेटिव की जंग पर लिखे गए अध्यायों का जिक्र किया, जिन्हें अक्सर मीडिया कवरेज में नजरअंदाज कर दिया गया था। उनके अनुसार, यह वही मोर्चे थे जहां भारतीय सैनिकों का असली जिगरा सामने आया।

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  • Army Chief on Op Sindoor: आर्मी चीफ बोले- 10 मई को खत्म नहीं हुई थी पाकिस्तान से जंग, थिएटराइजेशन "आज नहीं तो कल जरूर आएगा"

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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