📍नई दिल्ली | 9 Sep, 2025, 3:33 PM
Army Chief on Op Sindoor: भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत के लिए किसी भी जंग का नतीजा अंततः जमीन पर कब्जे से ही तय होगा। उन्होंने कहा कि “कंट्रोल ऑफ लैंड विल बी करेंसी ऑफ विक्ट्री” यानी जमीन पर नियंत्रण ही जीत की असली मुद्रा है। उन्होंने कहा कि युद्ध का नतीजा केवल गोलाबारी से तय नहीं होता, बल्कि जमीन पर कब्जा करने से तय होता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वायुसेना और नौसेना दुश्मन की तबाही पर ध्यान देती हैं, लेकिन सेना का काम जमीन को दुश्मन से खाली कराकर कब्जा करना होता है। भारत के संदर्भ में जहां चीन, पाकिस्तान और आतंरिक विद्रोह की चुनौतियां एक साथ मौजूद हैं, वहां थलसेना की भूमिका निर्णायक है।
Army Chief on Op Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र
जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन में हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने दिखाया कि जंग कितनी अप्रत्याशित हो सकती है। कई लोग मान रहे थे कि यह लंबे समय तक चलेगा, लेकिन यह महज चार दिन में समाप्त हो गया। उन्होंने इसकी तुलना रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इराक युद्ध से की।
उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरुआत में दस दिन का माना गया था, लेकिन वह सालों से चल रहा है। वहीं ईरान-इराक युद्ध दस साल तक चला। इस अनुभव से सीख मिलती है कि युद्ध का समय तय नहीं किया जा सकता।
6-7 मई 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने Operation Sindoor शुरू किया था। तीन दिन बाद यानी 10 मई तक इसे खत्म माना गया, लेकिन Army Chief ने पहली बार स्वीकार किया कि यह ऑपरेशन आगे भी जारी रहा।https://t.co/oiGEJs56vg#OperationSindoor #IndianArmy #ArmyChief…
— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) September 6, 2025
Army Chief on Op Sindoor: लो-कॉस्ट, हाई-टेक्नोलॉजी का महत्व
आर्मी चीफ ने कहा कि आज के युद्ध में लो-कॉस्ट हाई-टेक्नोलॉजी यानी कम लागत वाली आधुनिक तकनीक बड़े दुश्मन को भी मात दे सकती है। ड्रोन, स्मार्ट वेपन और डिजिटल नेटवर्किंग के कारण छोटे देश भी बड़े प्रतिद्वंद्वी को चुनौती दे पा रहे हैं।
उन्होंने “डेविड एंड गोलियथ” के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि सस्ती और असरदार तकनीक के सहारे किसी भी बड़ी ताकत को रोका जा सकता है।
Army Chief on Op Sindoor: यूनियन वॉर बुक गोपनीय गाइडलाइन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरकार ने यूनियन वॉर बुक का इस्तेमाल औपचारिक रूप से नहीं किया, लेकिन इसके सभी पहलुओं को अपनाया गया। यह 200 पन्नों की गोपनीय गाइडलाइन है, जिसमें आपातकालीन स्थिति में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की भूमिका तय की जाती है।
द्विवेदी ने कहा कि यह ऑपरेशन “होल ऑफ नेशन अप्रोच” का उदाहरण था। इसमें सैनिकों से लेकर वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं और सरकारी संस्थानों तक, सभी ने मिलकर काम किया।
Army Chief on Op Sindoor: आधुनिक युद्ध का बदलता चेहरा
आर्मी चीफ ने कहा कि आज युद्ध की कोई निश्चित सीमा नहीं रह गई है। साइबर हमले, ड्रोन और मिसाइलें कहीं भी गिर सकती हैं। ऑपरेशन सिंदूर, रूस-यूक्रेन और ईरान-इजराइल संघर्ष इसका उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि अब फोर्स विजुअलाइजेशन, फोर्स प्रोटेक्शन और फोर्स अप्लीकेशन – इन तीनों पर ध्यान देना जरूरी है। यानी सेना को पहले से स्थिति का आकलन करना, दुश्मन के हमले को झेलना और फिर जवाबी कार्रवाई करनी होगी।
Army Chief on Op Sindoor: हथियारों की रेंज बढ़ाने पर जोर
जनरल द्विवेदी ने कहा कि सेना को अपने हथियारों की रेंज लगातार बढ़ानी होगी। उन्होंने बताया कि लोइटरिंग म्यूनिशंस की रेंज 100-150 किलोमीटर से बढ़ाकर 750 किलोमीटर तक करनी होगी। इसी तरह मिसाइलों और रॉकेट्स की क्षमता भी बढ़ानी होगी।
उन्होंने कहा कि दुश्मन भी लगातार तकनीक विकसित कर रहा है, इसलिए भारत को भी उससे एक कदम आगे रहना होगा। यही वजह है कि आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) पर जोर दिया जा रहा है।
उद्योग और सेना का साझेदारी मॉडल
आर्मी चीफ ने कहा कि सेना अकेले तकनीक को नहीं संभाल सकती। इसके लिए एकेडेमिया, इंडस्ट्री और मिलिट्री – तीनों का तालमेल जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2025 से 2035 तक हर साल रक्षा खर्च लगभग 3 लाख करोड़ रुपये होगा और इसमें हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। यह घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त है।
भारत की 2.5 फ्रंट चुनौती
द्विवेदी ने कहा कि भारत को टू एंड हाफ फ्रंट यानी चीन, पाकिस्तान और आतंरिक विद्रोह से एक साथ निपटना होता है। ऐसे में जमीन पर नियंत्रण कायम रखना ही असली जीत है। उन्होंने हाल ही में अमेरिका और रूस के बीच अलास्का में हुई बातचीत का हवाला दिया, जहां दोनों देशों ने युद्ध रोकने के लिए यह तय किया कि किसके पास कितनी जमीन रहेगी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई कार्रवाई
7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर बमबारी की। नौ आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया गया और लगभग 100 आतंकियों को मार गिराया गया। इसके अलावा पाकिस्तान के 13 सैन्य ठिकानों और एयरबेस को भी निशाना बनाया गया था।