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Mahindra Embraer C-390: महिंद्रा और ब्राजील की एम्ब्रेयर IAF के लिए बनाएंगी C-390 मिलेनियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, जानें कैसे IL-76 और AN-32 से है बेहतर

सी-390 की खास बात यह है कि यह अनपेव्ड या शॉर्ट रनवे से भी उड़ान भर सकता है, जिससे यह हिमालयी और सीमावर्ती इलाकों में भी ऑपरेट किया जा सकता है। यह विमान 870 किमी/घंटा की स्पीड से उड़ान भर सकता है...

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📍मुंबई | 18 Oct, 2025, 2:20 PM

Mahindra Embraer C-390: महिंद्रा ग्रुप और ब्राजील की एम्ब्रेयर डिफेंस एंड सिक्योरिटी ने बड़े रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता भारतीय वायुसेना के मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम के तहत सी-390 मिलेनियम विमान को भारत में बनाने के लिए किया गया है।

इस समझौते का उद्देश्य भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग, असेंबली, मेंटेनेंस और रिपेयर फैसिलिटी तैयार करना है, जिससे सी-390 विमान का प्रोडक्शन और ऑपरेशन पूरी तरह भारतीय रक्षा उद्योग के माध्यम से किया जा सके। यह करार “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों को मजबूत करेगा और भारत को ग्लोबल एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करेगा।

यह समझौता (Mahindra Embraer C-390) फरवरी 2024 में साइन किए गए एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग का अगला फेज है, जिसमें दोनों कंपनियों ने प्रारंभिक सहयोग की रूपरेखा तय की थी। नया समझौता में एक कदम आगे बढ़ते हुए जॉइंट मार्केटिंग, इंडस्ट्रियलाइजेशन और सप्लाई चेन डेवलपमेंट की जिम्मेदारी तय होगी।

एम्ब्रेयर और महिंद्रा (Mahindra Embraer C-390) का यह सहयोग भारतीय वायुसेना की ट्रांसपोर्ट क्षमता को आधुनिक बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। वर्तमान में वायुसेना के पास पुराने एएन-32 और आईएल-76 जैसे ट्रांसपोर्ट विमान हैं, जिन्हें धीरे-धीरे बदलने की योजना है। सी-390 मिलेनियम विमान 26 टन तक का पेलोड ले जा सकता है और ट्रूप ट्रांसपोर्ट, मेडिकल इवैक्यूएशन, कार्गो, और ह्यूमैनिटेरियन मिशनों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

सी-390 की खास बात यह है कि यह अनपेव्ड या शॉर्ट रनवे से भी उड़ान भर सकता है, जिससे यह हिमालयी और सीमावर्ती इलाकों में भी ऑपरेट किया जा सकता है। यह विमान 870 किमी/घंटा की स्पीड से उड़ान भर सकता है और फुल लोड के साथ 2,800 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है।

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महिंद्रा ग्रुप (Mahindra Embraer C-390) भारत में लोकल प्रोडक्शन, असेंबली और सप्लाई चेन की जिम्मेदारी निभाएगा। महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स पहले से ही भारतीय सेनाओं के लिए आर्मर्ड और टैक्टिकल व्हीकल बनाती है। हाल ही में महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर्स को एयरबस एच125 हेलीकॉप्टर के मेन फ्यूजलेज बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला है।

एम्ब्रेयर अपनी तरफ से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, डिजाइन सपोर्ट और ट्रेनिंग मुहैया कराएगी। कंपनी ने अब तक विश्वभर में 9,000 से अधिक विमान डिलीवर किए हैं, जिनमें से सी-390 मॉडल ब्राजील, पुर्तगाल, हंगरी और नीदरलैंड्स की वायु सेनाओं में तैनात हैं।

महिंद्रा ग्रुप के एक्जीक्यूटिव बोर्ड मेंबर विनोद सहाय ने कहा, “सी-390 मिलेनियम विमान भारतीय वायुसेना की आधुनिक जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है। इसका प्रदर्शन और वर्सटाइलिटी इसे ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा साबित करती है।”

एम्ब्रेयर डिफेंस एंड सिक्योरिटी (Mahindra Embraer C-390) के सीईओ बोस्को दा कोस्टा जूनियर ने कहा, “भारत के साथ हमारी साझेदारी हमारे वैश्विक डिफेंस नेटवर्क के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। सी-390 न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग यात्रा में भी योगदान देगा।”

Mahindra Embraer C-390: जानें C-390 मिलेनियम की खूबियां

दोनों देशों ने हाल के वर्षों में एयरोस्पेस और मिलिट्री टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई समझौते किए हैं। भारत ने ब्राजील को अपने आकाश मिसाइल सिस्टम की पेशकश की थी, जबकि ब्राजील अब भारत को अपने सी-390 मिलेनियम विमान के माध्यम से तकनीकी सहयोग दे रहा है।

C-390 मिलेनियम (Mahindra Embraer C-390) न केवल तेज और ताकतवर है, बल्कि इसमें खूबियां इसे एक “5-इन-1 मल्टी-रोल प्लेटफॉर्म” बनाती हैं। इस विमान की सबसे बड़ी ताकत इसका पेलोड कैपेसिटी है। यह लगभग 26 टन वजन तक कार्गो, ट्रूप्स, व्हीकल्स या हेलीकॉप्टर तक ले जा सकता है, जो भारतीय वायुसेना के एन-32 विमान की तुलना में करीब 60 फीसदी अधिक है। लंबी दूरी के मिशनों में भी यह विमान शानदार प्रदर्शन करता है। यह फुल लोड के साथ 2,800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है और एयर रिफ्यूलिंग सिस्टम से इसकी रेंज 6,000 किलोमीटर तक बढ़ाई जा सकती है। यानी यह लद्दाख से लेकर अंडमान तक एक ही उड़ान में पहुंच सकता है।

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क्रूजिंग स्पीड 870 किलोमीटर प्रति घंटा

सी-390 की क्रूजिंग स्पीड 870 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो आईएल-76 जैसे पारंपरिक ट्रांसपोर्ट विमानों से भी तेज है। यह विमान सिर्फ 1,000 मीटर लंबे रनवे से टेकऑफ कर सकता है। विमान का अधिकतम टेकऑफ वेट 86 टन है। यह ऊंचाई वाले एयरफील्ड्स, जैसे लेह (10,000 फीट) जैसे बेस पर भी बिना किसी दिक्कत के उड़ान भर सकता है। इसकी एक और बड़ी विशेषता है कि यह एक ही प्लेटफॉर्म पर पांच भूमिकाएं निभा सकता है, ट्रांसपोर्ट, एयर टैंकर, मेडिकल इवैक्यूएशन, सर्च एंड रेस्क्यू और मानवीय सहायता।

विमान में बूम और प्रोब-एंड-ड्रोग सिस्टम दोनों उपलब्ध हैं, जिससे यह अन्य विमानों को हवा में ही ईंधन भर सकता है। इसके पिछले हिस्से में एक फुल-साइज रियर रैंप दिया गया है, जिससे जीप, 155 मिमी की तोप या टैक्टिकल व्हीकल को केवल कुछ सेकंड में लोड और अनलोड किया जा सकता है।

खराब मौसम में भी लैंडिंग

सी-390 में अत्याधुनिक फ्लाई-बाय-वायर टेक्नोलॉजी और 4डी हेड-अप डिस्प्ले सिस्टम लगे हैं, जिससे यह विमान खराब मौसम या रात के मिशनों में भी सुरक्षित लैंडिंग कर सकता है। इसकी फ्यूल एफिशिएंसी 25 से 30 प्रतिशत तक बेहतर है, जिससे भारतीय वायुसेना को सालाना करोड़ों रुपये की बचत हो सकती है।

यह विमान (Mahindra Embraer C-390) हॉट-एंड-हाई परफॉर्मेंस के लिए भी डिजाइन किया गया है, यानी यह 50 डिग्री सेल्सियस तापमान और 5,000 फीट ऊंचाई पर भी 23 टन लोड के साथ ऑपरेट कर सकता है। मेडिकल मिशनों के दौरान यह 64 स्ट्रेचर और आईसीयू सेटअप के साथ घायलों को 2 घंटे में बेस हॉस्पिटल पहुंचा सकता है। वहीं, सर्च एंड रेस्क्यू मिशनों के लिए इसमें रडार और FLIR सेंसर लगे हैं जो हिमालय या समुद्री इलाकों में गुमशुदा व्यक्तियों को खोजने में मदद करते हैं।

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90 प्रतिशत पार्ट्स भारत में बनेंगे

मेंटेनेंस के लिहाज से भी यह विमान बेहद आसान है। इसकी 90 प्रतिशत पार्ट्स भारत में बनने की योजना है और इसे एक घंटे के भीतर अगले मिशन के लिए तैयार किया जा सकता है। सुरक्षा रिकॉर्ड की बात करें तो अब तक सी-390 ने 50,000 से ज्यादा फ्लाइट ऑवर्स पूरे किए हैं और इसका सेफ्टी रिकॉर्ड 100 प्रतिशत है।

कॉस्ट की दृष्टि से भी यह विमान बेहद किफायती है। एक यूनिट की कीमत लगभग 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो अमेरिकी सी-17 ग्लोबमास्टर से लगभग 60 प्रतिशत सस्ता है। इसकी यही विशेषता इसे भारतीय रक्षा बजट के अनुरूप बनाती है।

यह विमान भविष्य के लिए भी तैयार है, इसमें ड्रोन लॉन्चर और मिसाइल कैरिंग सिस्टम जैसे अपग्रेड जोड़े जा सकते हैं। फिलहाल यह विमान ब्राजील, पुर्तगाल, हंगरी और नीदरलैंड्स में ऑपरेट किया जा रहा है और इसे नाटो मानकों के अनुरूप सर्टिफाइड किया गया है।

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  • News Desk

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