📍नई दिल्ली | 2 months ago
HAL HLFT-42: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अपने Hindustan Lead-in Fighter Trainer (HLFT-42) के डिजाइन में महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है। यह बदलाव भारतीय वायुसेना (IAF) के सुझावों और जरूरतों के आधार पर किए जा रहे हैं, जिससे यह विमान केवल एक ट्रेनर नहीं बल्कि एक मल्टीरोल फाइटर जेट की भूमिका भी निभा सकता है।
HAL HLFT-42: सिर्फ ट्रेनर नहीं, अब जंग में भी कारगर
HAL ने Aero India 2023 में पहली बार HLFT-42 का मॉडल पेश किया था, जिसे वायुसेना के लिए एक एडवांस सुपरसोनिक ट्रेनर के रूप में डिजाइन किया गया था। हालांकि, Aero India 2025 में इस विमान की गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े किए। अब HAL अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस दौरान IAF की जरूरतों के अनुसार डिजाइन में बड़े बदलाव किए जा रहे थे।
भारतीय वायुसेना की मांग के अनुसार, HLFT-42 को अब एक हल्के लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft) और अनमेंड एरियल सिस्टम्स (UAS) के लिए एक कमांड सेंटर के रूप में भी डेवलप किया जा रहा है। HAL ने विमान के एरोडायनामिक्स, स्ट्रक्चरल स्ट्रेंग्थेनिंग, एवियोनिक्स और वेपन सिस्टम में सुधार करने पर फोकस किया है। इसके लिए विंड टनल टेस्टिंग और सिमुलेशन किए जा रहे हैं ताकि विमान ट्रेनिंग और युद्ध दोनों हालात में बेहतरीन प्रदर्शन कर सके।
IAF की ट्रेनिंग में HAL HLFT-42 की भूमिका
भारतीय वायुसेना पायलट ट्रेनिंग सिस्टम को आधुनिक बनाने की प्रक्रिया में है। HJT-16 किरण विमानों की जगह अब Intermediate Jet Trainer (IJT-36 “Yashas”) को लाने की योजना बनाई गई है, जो स्टेज- II ट्रेनिंग के लिए होगा। जबकि स्टेज-III ट्रेनिंग के लिए फिलहाल Hawk-132 Advanced Jet Trainer (AJT) का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इसे HLFT-42 से बदलने की योजना बन रही है।
HLFT-42 को Hawk-132 से ज्यादा एडवांस सिस्टम के साथ डेवलप किया जा रहा है। इसमें सेंसर, रडार और एडवांस कॉम्बैट सिस्टम शामिल होंगे, जिससे यह विमान भविष्य के लड़ाकू विमानों के लिए पायलटों को बेहतर तरीके से तैयार कर सके।
HLFT-42: जंग में भी हो सकता है तैनात
भारतीय वायुसेना HLFT-42 को केवल एक ट्रेनर तौर पर ही नहीं, बल्कि युद्धक भूमिका में भी देख रही है। HAL ने इसे डुअल-रोल एयरक्राफ्ट के रूप में डिजाइन किया है, जो शांतिपूर्ण समय में ट्रेनिंग जेट और युद्धकाल में लड़ाकू विमान के रूप में काम कर सके। इस तरह, HLFT-42 भारतीय वायुसेना के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
इस विमान को ASRAAM (Advanced Short Range Air-to-Air Missile) और ASTRA जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस करने की योजना है। इससे यह न केवल एक ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म रहेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर अग्रिम मोर्चे पर लड़ने में सक्षम होगा।
CATS Warrior: क्या HLFT-42 बनेगा मानव-रहित विमानों का ‘मदरशिप’?
HAL इस विमान को सिर्फ एक ट्रेनर या हल्के लड़ाकू विमान तक सीमित नहीं रखना चाहता। HLFT-42 को ‘Combat Air Teaming System (CATS) Warrior’ का मॉथरशिप बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है।
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CATS Warrior एक लॉयल विंगमैन (Loyal Wingman) मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (UCAV) है, जिसे HAL और NewSpace Research & Technologies मिलकर डेवलप कर रहे हैं। यह ड्रोन मानवरहित होते हुए भी मैंड विमानों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ने की क्षमता रखता है। पहले, Tejas Mk1A को CATS Warrior का मॉथरशिप बनाने की योजना थी, लेकिन अब HLFT-42 को इस भूमिका के लिए एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है।
यह कॉन्सेप्ट Manned-Unmanned Teaming (MUM-T) के बढ़ते वैश्विक ट्रेंड के अनुरूप है, जिसमें मानव चालित और मानव रहित विमानों को बेहतर युद्धक तालमेल और मिशन दक्षता के लिए एकीकृत किया जाता है। HAL अब HLFT-42 के संचार प्रणालियों, सेंसर सूट और सॉफ्टवेयर को अपडेट कर रहा है ताकि यह CATS Warrior के साथ आसानी से काम कर सके और आवश्यकतानुसार अपनी भूमिका बदल सके।
इंजन चुनना बड़ी चुनौती, कब होगी तैनाती?
हालांकि HLFT-42 के कई तकनीकी सुधार किए जा रहे हैं, लेकिन एक बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है – इसका इंजन कौन सा होगा?
इस विमान के लिए GE F414 या स्वदेशी Kaveri इंजन पर विचार किया जा रहा है। चुना गया इंजन HLFT-42 को सुपरसोनिक प्रदर्शन और लड़ाकू अभियानों के लिए जरूरी पावर प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इंजन विकास में देरी इस विमान की ऑपरेशनल तैनाती को 2030 के शुरुआती वर्षों तक टाल सकती है। भारत के कई एयरोस्पेस प्रोजेक्ट्स में इंजन एक प्रमुख चुनौती रहा है, और HLFT-42 भी इससे अछूता नहीं है।
HAL और IAF के लिए बड़ा मौका
HLFT-42 का नया डिज़ाइन और उसका एडवांस वर्जन भारतीय वायुसेना को न केवल एक बेहतर ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म देगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर एक हल्के लड़ाकू विमान के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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इसके अलावा, CATS Warrior जैसी भविष्य की क्षमताओं को जोड़कर HAL इसे भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी छलांग बना सकता है। अगर यह विमान अपने तय समय पर सफलतापूर्वक विकसित होता है, तो यह भारतीय वायुसेना के लिए न केवल एक किफायती समाधान होगा, बल्कि भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगा।
क्या HLFT-42 बनेगा भारत का अगला बड़ा डिफेंस एक्सपोर्ट प्रोजेक्ट
यदि HLFT-42 अपने ट्रेनिंग और लड़ाकू दोनों रूपों में सफल रहता है, तो इसे विदेशी बाजारों में भी बेचा जा सकता है। कई देशों को ऐसे कम लागत, बहुउद्देश्यीय ट्रेनिंग और हल्के लड़ाकू विमानों की जरूरत है, और HLFT-42 इस कैटेगरी में फिट बैठ सकता है।
HAL के पास इस प्रोजेक्ट को वैश्विक बाजार में ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा निर्यात के तहत आगे ले जाने का बड़ा अवसर है। लेकिन यह सब इस पर निर्भर करेगा कि इसे समय पर कैसे विकसित किया जाता है और भारतीय वायुसेना इसे कितना अपनाती है।
अब सबकी नजरें HAL और भारतीय वायुसेना पर हैं कि HLFT-42 को कब अंतिम रूप दिया जाएगा और इसकी पहली उड़ान कब होगी। अगले कुछ सालों में इस विमान की सफलता यह तय करेगी कि यह सिर्फ एक ट्रेनर विमान रहेगा या भारत की वायुशक्ति का एक अहम हिस्सा बनेगा।