📍नई दिल्ली | 4 Sep, 2025, 8:06 AM
Tejas Mk-1A delivery India: अगर सब कुछ ठीक रहा हो तो अक्टूबर के महीने में भारतीय वायुसेना के लिए गुड न्यूज आने वाली है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने संकेत दिया है कि इस महीने दो तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमान इंडियन एयरफोर्स को सौंप दिए जाएंगे। यह डिलीवरी लगभग दो साल की देरी के बाद हो रही है।
सूत्रों के अनुसार, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इसी महीने तेजस-मार्क 1A के फायरिंग टेस्ट पूरे करेगा। इन ट्रायल्स में बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल एस्ट्रा, शॉर्ट रेंज मिसाइल ASRAAM और लेजर गाइडेड बॉम्ब का इस्तेमाल किया जाएगा। सफल परीक्षणों के बाद ही एयरफोर्स को विमान सौंपे जांएगे।
हालांकि इससे पहले भी तेजस के फायरिंग टेस्ट किए गए थे। उस दौरान शुरुआती परीक्षण सफल रहे, लेकिन बाद में तकनीकी गड़बड़ियों के चलते एक टेस्ट असफल रहा। इसके बाद सॉफ्टवेयर में अहम बदलाव किए गए। अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को उम्मीद है कि सभी परीक्षण सफल रहेंगे और अक्टूबर में दो तेजस एयरफोर्स के बेड़े में शामिल हो जाएंगे।
साथ ही, अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक इस वित्त वर्ष मार्च 2026 तक 10 इंजन और दिसंबर 2026 तक 20 और इंजन डिलीवर करेगी। इससे तेजस की सप्लाई में रफ्तार आएगी और इंडियन एयरफोर्स की स्क्वाड्रनों की कमी कुछ हद तक पूरी हो सकेगी।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में कहा था कि इंडियन एयरफोर्स को हर साल 35 से 40 नए लड़ाकू विमानों की जरूरत है। मौजूदा स्थिति में एयरफोर्स के पास 31 फाइटर स्क्वाड्रन हैं। 26 सितंबर को मिग-21 की दो स्क्वाड्रन रिटायर होने के बाद यह संख्या घटकर केवल 29 रह जाएगी। बता दें कि मिग-21 इस महीने 26 सितंबर को रिटायर हो जाएगा।
दरअसल, एयरफोर्स के लिए 42 स्क्वाड्रन की संख्या “सैंक्शनड स्ट्रेंथ” मानी जाती है। यह क्षमता इसलिए तय की गई थी ताकि भारत टू-फ्रंट वॉर यानी पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर एक साथ लड़ाई की स्थिति में भी तैयार रह सके।
Tejas Mk-1A delivery India: 113 अतिरिक्त इंजनों की खरीद
सरकार ने हाल ही में 97 नए तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दी है। यह सौदा लगभग 62,000 करोड़ रुपये का है। इससे पहले फरवरी 2021 में एयरफोर्स ने 83 तेजस मार्क-1A का ऑर्डर 48,000 करोड़ रुपये में दिया था।
इन्हीं विमानों के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने पहले 99 GE-404 इंजनों का ऑर्डर किया था। जीई ने मार्च 2025 में पहला इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को सौंपा। अगले साल तक 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20-20 इंजन डिलीवर किए जाएंगे।
अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और जीई के बीच 113 अतिरिक्त इंजनों की खरीद का नया सौदा लगभग 1 बिलियन डॉलर का होने वाला है। यह ऑर्डर हाल ही में मंजूर किए गए 97 नए विमानों के लिए होगा।
GE-414 पर चल रही बात
तेजस मार्क-1A के अलावा, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और जीई के बीच एक और अहम प्रोजेक्ट पर बातचीत चल रही है। इसमें भारत में ही GE-414 इंजन का संयुक्त उत्पादन करने की योजना है। यह इंजन तेजस मार्क-2 प्रोग्राम के लिए इस्तेमाल होगा। इस सौदे के तहत लगभग 80% तकनीक का ट्रांसफर भारत को मिलेगा। इसकी कीमत भी लगभग 1 बिलियन डॉलर मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इस प्रोजेक्ट को “मेक इन इंडिया डिफेंस सेक्टर” की दिशा में एक बड़ा कदम बताया था। उन्होंने कहा था कि भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने जेट इंजन देश में ही बनाने होंगे।
तेजस Vs मिग-21
तेजस मार्क-1A का सबसे बड़ा रोल पुराने मिग-21 फाइटर जेट्स को रिप्लेस करना है। मिग-21, जो 1960 के दशक से इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा रहे हैं, अब रिटायरमेंट की कगार पर हैं। 26 सितंबर को मिग-21 की अंतिम दो स्क्वाड्रन भी सेवा से बाहर हो जाएंगी।
तेजस मार्क-1A में आधुनिक एवियोनिक्स, मल्टी-रोल क्षमता और इंडिजिनस हथियार सिस्टम हैं। खासतौर पर DRDO द्वारा विकसित एस्ट्रा मिसाइल और रुद्रम मिसाइल को इसमें इंटीग्रेट किया जा रहा है। इससे एयरफोर्स की “बियॉन्ड विजुअल रेंज” क्षमता और दुश्मन के एयर डिफेंस को दबाने की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
एयरफोर्स की मौजूदा चुनौती
इंडियन एयरफोर्स इस समय “नंबर गैप” की समस्या से जूझ रही है। कई पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीके से रिटायर किया जा रहा है, जबकि नए विमानों की डिलीवरी अपेक्षित समय पर नहीं हो पा रही है। तेजस मार्क-1A की सप्लाई में देरी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।
हालांकि, आने वाले महीनों में तेजस की डिलीवरी बढ़ने की संभावना है। जीई इंजनों की समय पर आपूर्ति और एचएएल की उत्पादन क्षमता में सुधार से एयरफोर्स को धीरे-धीरे नई ताकत मिलेगी।