📍नई दिल्ली | 15 Oct, 2025, 12:24 PM
Pakistan-IS-Khorasan: तालिबान ने पहली बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की भूमिका को लेकर बड़ा खुलासा किया है। तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने दावा किया है कि पाकिस्तान की जमीन से आईएसआईएस-खोरासान (आईएस-के) को ऑपरेट किया जा रहा है और ईरान तथा रूस में हुए बड़े आतंकी हमले इन्हीं पाकिस्तानी नेटवर्क से योजनाबद्ध तरीके से किए गए थे।
मुजाहिद के इस बयान को क्षेत्रीय राजनीति में हलचल पैदा करने वाला माना जा रहा है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने भी उन रिपोर्टों की भी पुष्टि की है, जिनमें पहले ही चेतावनी दी गई थी कि पाकिस्तान की आईएसआई और सेना के कुछ अधिकारी आईएसआईएस-खोरासान मॉड्यूल्स को चला रहे हैं और इन्हें अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा से ऑपरेट किया जा रहा है।
Pakistan-IS-Khorasan: पाकिस्तान की धरती से रची गई थी साजिश
जबीहुल्ला मुजाहिद ने हाल ही में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ईरान के केरमान शहर में जनवरी 2024 में हुए आत्मघाती हमले और मार्च 2024 में रूस के मॉस्को क्रोकस सिटी हॉल में हुए बम धमाकों की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी।
उन्होंने कहा, “ये दोनों हमले पाकिस्तान की जमीन पर बैठे आईएसआईएस-खोरासान के नेटवर्क ने आईएसआई की मदद से किए थे। आईएसआईएस-खोरासान का नेतृत्व पाकिस्तान में मौजूद है, और इन्हें वहां की सैन्य खुफिया एजेंसी से मदद मिल रही है।”
तालिबान के अनुसार, इन हमलों की प्लानिंग और ऑपरेशन पाकिस्तान के केंद्रों से हुआ था। मुजाहिद ने कहा कि “पाकिस्तान की सेना और आईएसआई के कुछ लोग इलाके में शांति नहीं चाहते और वे अफगानिस्तान को अस्थिर बनाए रखना चाहते हैं।”
ईरान और रूस में हुए हमले के पीछे आईएसआईएस-खोरासान
ईरान के केरमान में हुआ धमाका जनरल कासिम सुलेमानी की बरसी के मौके पर किया गया था। इस हमले में करीब 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ईरानी जांच में पाया गया कि मुख्य आरोपी अब्दुल्ला ताजिकी पाकिस्तान से ईरान में दाखिल हुआ था।
रूस के मॉस्को क्रोकस सिटी हॉल में मार्च 2024 में हुआ हमला भी आईएसआईएस-खोरासान ने किया था, जिसे बाद में उसने स्वीकारा भी था, जिसमें 145 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिकी अधिकारियों ने इसे “आईएसआईएस-खोरासान का रूस में पहला सफल हमला” बताया था।
हालांकि, मॉस्को ने उस समय “किसी दुश्मन देश की गुप्त एजेंसियों” पर संदेह जताया था, जिसका इशारा यूक्रेन की ओर था। अब तालिबान के बयान से यह साफ हुआ कि यह हमला पाकिस्तान से चल रहे नेटवर्क के जरिए हुआ था।
Pakistan-IS-Khorasan: भारतीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट सही साबित
भारत की खुफिया एजेंसियां पहले से ही इस संभावना पर काम कर रही थीं कि आईएसआईएस-खोरासान का नेटवर्क पाकिस्तान में आईएसआई के निर्देशों के तहत काम कर रहा है।
दिल्ली, रांची, हैदराबाद और अन्य शहरों में जिन आईएस-प्रेरित मॉड्यूल्स का भंडाफोड़ हुआ था, उनकी जांच में पाया गया था कि ऑनलाइन हैंडलर पाकिस्तान में बैठे आईएसआई ऑपरेटिव्स थे। तकनीकी जांच में इनके आईपी एड्रेस पाकिस्तान के रावलपिंडी, पेशावर और कराची से जुड़े पाए गए थे।
भारतीय एजेंसियों के एक अधिकारी के अनुसार, “तालिबान का बयान हमारे उस विश्लेषण को सही साबित करता है कि पाकिस्तान न केवल आतंकवाद का पनाहगाह है बल्कि वह आईएसआईएस-खोरासान जैसे संगठनों का ऑपरेशनल सेंटर भी बन चुका है।”
Pakistan-IS-Khorasan: तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
तालिबान प्रवक्ता ने पाकिस्तान पर यह भी आरोप लगाया कि वह अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने और आतंकी समूहों को समर्थन देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आईएसआईएस-खोरासान के कई ठिकाने खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के इलाकों में सक्रिय हैं।
तालिबान के अनुसार, पाकिस्तान ने आतंकियों को सुरक्षित पनाह दी हुई है, जो अफगानिस्तान की सीमा पर हमले करने की योजना बनाते हैं। मुजाहिद ने कहा कि “पाकिस्तान के कुछ सैन्य अधिकारी आईएसआईएस-खोरासान की गतिविधियों को अनदेखा कर रहे हैं। वे क्षेत्र में अराजकता बनाए रखना चाहते हैं ताकि अफगानिस्तान पर राजनीतिक दबाव डाला जा सके।”
तालिबान के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ईरान और रूस दोनों पहले से आईएसआईएस-खोरासान के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन अब जब तालिबान ने सीधे पाकिस्तान की ओर इशारा किया है, तो इससे दक्षिण एशिया में राजनयिक समीकरण बदलने के संकेत मिल रहे हैं।
मुजाहिद ने कहा, “ईरान और रूस इस साजिश से वाकिफ हैं।” उनका कहना था कि आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत से आईएसआईएस-खोरासान ने पाकिस्तान से पश्चिमी देशों तक धन और संसाधनों का नेटवर्क तैयार किया था।
आईएसआईएस-खोरासान (इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत) की स्थापना 2015 में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में हुई थी। यह संगठन आईएसआईएस का क्षेत्रीय रूप है, जो मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहा है।
तालिबान और आईएसआईएस-खोरासान के बीच लंबे समय से टकराव रहा है। तालिबान अफगानिस्तान में खुद को “इस्लामी अमीरात” के वैध शासक के रूप में प्रस्तुत करता है, जबकि आईएसआईएस-खोरासान उसे “पश्चिमी समझौते” का हिस्सा बताकर विरोध करता रहा है।
अब जब तालिबान खुद आईएसआई पर आईएसआईएस-खोरासान को सहयोग देने का आरोप लगा रहा है, तो यह अफगान-पाक संबंधों में पैदा होती नई खाई को दर्शाता है।
Pakistan-IS-Khorasan: भारत के लिए क्या हैं मायने
भारत ने हमेशा से कहा है कि पाकिस्तान अपने भूभाग का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए करता है। तालिबान का यह बयान भारत की सुरक्षा एजेंसियों की विश्वसनीयता को और मजबूत करता है।
भारत के लिए यह एक संकेत है कि आईएसआईएस-खोरासान का नेटवर्क केवल अफगानिस्तान तक सीमित नहीं बल्कि पाकिस्तान की सैन्य संरचना से जुड़ा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही आईएसआईएस और उससे जु़ड़े संगठनों के खिलाफ व्यापक निगरानी अभियान चला रही हैं।