📍नई दिल्ली | 15 Nov, 2025, 7:43 PM
India-China LAC Patrolling: भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर पिछले पांच साल से पेट्रोलिंग बंद है। जून 2020 में हुए गलवान संघर्ष के बाद से अभी तक पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर पूरी तरह से पेट्रोलिंग बहाल नहीं हो पाई है। गलवाान घटना के बाद तनाव कम करने के लिए दोनों देशों ने कुछ इलाकों में पेट्रोलिंग रोकने का फैसला किया था। इस फैसले को “मोरैटोरियम ऑन पेट्रोलिंग” कहा जाता है।
अब हाल ही में दोनों देशों के बीच 23वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक 25 अक्टूबर को लद्दाख के चुशुल-मोल्डो बॉर्डर पॉइंट पर आयोजित की गई थी। इस उच्च-स्तरीय सैन्य वार्ता में भारत ने इस मुद्दे को दोबारा उठाया है और कहा है कि पेट्रोलिंग बंद रहने से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पा रही है। बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष ने साफ कहा कि मोरैटोरियम चार साल पहले अस्थायी रूप से लगाया गया था, लेकिन अब हालात शांत हैं और एलएसी पर कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।
भारतीय पक्ष के अनुसार, विश्वास का माहौल पहले की तुलना में बेहतर है और कई क्षेत्रों में कोई विवाद नहीं बचा है। इसलिए पेट्रोलिंग बहाल की जानी चाहिए। लेकिन चीनी कमांडर ने जवाब दिया कि उन्हें “थोड़ा और समय” चाहिए। सूत्रों का कहना है कि चीन की ओर से जो अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए थे, वे हाल ही में नियुक्त हुए हैं और उन्हें अभी अपने हाई कमान से आगे की मंजूरी लेनी है। इसी वजह से उन्होंने तुरंत कोई फैसला नहीं दिया।
India-China LAC Patrolling
एलएसी के जिन इलाकों में पेट्रोलिंग पर रोक है, उनमें पीपी-16, पीपी-17 और पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट का बड़ा इलाका शामिल है। पैंगोंग झील करीब 130 किलोमीटर लंबी है और गलवान विवाद के बाद यही क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया था। पेट्रोलिंग रोकने के बाद इन इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।
भारत का कहना है कि क्षेत्र में शांति बनी रहने के बावजूद चीनी सेना की कुछ टुकड़ियां एलएसी के पास अब भी मौजूद हैं। हालांकि सूत्रों ने बताया कि चीन की तैनाती पिछले साल की तुलना में थोड़ी कम हुई है। भारतीय पक्ष चाहता है कि पूरी तरह से डीस्केलेशन हो और दोनों देशों की सेनाएं अपने–अपने स्थायी बेस पर लौटें।
लद्दाख में भारतीय सेना की मौजूदगी बेहद मजबूत है। यहां सेना की 3 डिविजन और यूनिफॉर्म फोर्स की तैनाती है, जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहती है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी प्राथमिकता सीमा पर स्थिरता और हालात को अप्रैल 2020 से पहले जैसा बनाना है।
भारत–चीन संबंधों में हाल के दिनों में कुछ सकारात्मक संकेत भी देखे गए हैं। मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू हुई है, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी शुरू हुई हैं सात ही, सिक्किम के नाथूला पास वाले व्यापार मार्ग को भी खोला गया है। यह ऐसे कदम हैं जो बताते हैं कि दोनों देश कुछ मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं। इसके साथ ही बीजिंग में मार्च महीने में डब्ल्यूएमसीसी यानी वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन की बैठक भी हुई थी। दोनों देशों के बीच जल्द ही फिर ऐसी बैठक होने की संभावना जताई जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए हुई चीन यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई बातचीत ने भी माहौल को सकारात्मक बनाया है। हालांकि पेट्रोलिंग जैसे मुद्दों पर अभी स्पष्ट सहमति नहीं बनी है, लेकिन दोनों पक्ष बातचीत जारी रख रहे हैं ताकि तनाव दोबारा न बढ़े।
गलवान संघर्ष के बाद भारत ने सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया है। सड़कें, पुल, सुरंगें और एयरफील्ड लगातार बनाए और अपग्रेड किए जा रहे हैं। हाल ही में भारत ने चीन सीमा से सटे न्योमा एयरफील्ड को भी ऑपरेशन कर दिया है। जहां वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने खुद सी-130जे ट्रांसपोर्ट उड़ा कर उसे वहां लैंड किया। इस एयरफील्ड के ऑपरेशनल होने से भारतीय सेना की तैनाती और लॉजिस्टिक क्षमता काफी मजबूत हुई है।
कुल मिलाकर, India-China LAC Patrolling भारत का रुख साफ है कि पेट्रोलिंग बहाल होनी चाहिए क्योंकि इससे एलएसी पर वास्तविक और स्थायी शांति की दिशा में कदम बढ़ेगा। वहीं, चीन की ओर से “और समय” मांगना बताता है कि बीजिंग फिलहाल हालात का आकलन कर रहा है और आगे के कदम सोच-समझकर उठाना चाहता है।
