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India ASEAN Summit 2025: भारतीय डिप्लोमेसी की बड़ी परीक्षा! क्वाड-ब्रिक्स के बीच कूटनीतिक संतुलन साधने कुआलालंपुर जाएंगे पीएम मोदी

यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अगले साल क्वाड और ब्रिक्स दोनों सम्मेलनों की मेजबानी करेगा। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की “संतुलित विदेश नीति” को परखने का एक बड़ा अवसर मानी जा रही है...

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📍नई दिल्ली | 21 Oct, 2025, 4:40 PM

India ASEAN Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते आसियान (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस) सम्मेलन में हिस्सा लेने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर जा रहे हैं। इस सम्मेलन पर भारत की कूटनीतिक भूमिका को लेकर पूरी दुनिया की नजरें होंगी। यह बैठक भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है। यह सम्मेलन 26 से 28 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें क्वाड और ब्रिक्स दोनों गुटों के टॉप लीडर्स एक ही मंच पर मौजूद होंगे।

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मलेशियाई विदेश मंत्री मोहम्मद हसन ने बीते सप्ताह यह पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री मोदी ईस्ट एशिया समिट में शामिल होंगे, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा बतौर ऑब्जर्वर शामिल होंगे।

यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अगले साल क्वाड और ब्रिक्स दोनों सम्मेलनों की मेजबानी करेगा। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की “संतुलित विदेश नीति” को परखने का एक बड़ा अवसर मानी जा रही है। भारत इन दोनों गुटों, एक ओर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के गठबंधन क्वाड, और दूसरी ओर रूस-चीन वाले ब्रिक्स समूह के बीच एक ब्रिज का काम करेगा।

भारत इस वर्ष क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला था, लेकिन हाल के महीनों में भारत-अमेरिका संबंधों में आए तनाव के चलते इसे 2026 तक टाल दिया गया। वहीं, भारत अगले साल ब्रिक्स की भी अध्यक्षता करेगा और 11 सदस्यीय संगठन का शिखर सम्मेलन भी आयोजित करेगा।

विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध सचिव सुधाकर दलेला ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में कहा था कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य वर्तमान में अनिश्चितताओं से भरा है। इनवेस्ट्मेंट फ्लो, ब्याज दरों और सप्लाई चेन में असंतुलन के चलते विकास दरों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता ऐसे समय में करेगा जब “ग्लोबल साउथ” के देशों को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, कुआलालंपुर में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका और भारत के अधिकारी एक द्विपक्षीय बैठक की रूपरेखा पर भी काम कर रहे हैं। यदि यह बैठक होती है, तो यह मोदी-ट्रंप के बीच इस साल की यह पहली आमने-सामने की बातचीत होगी। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, व्यापार समझौते और क्वाड सम्मेलन की नई तारीखों पर भी चर्चा हो सकती है।

अमेरिका के “अमेरिका फर्स्ट” सिद्धांत और रूस-चीन के बढ़ते सहयोग के बीच भारत की भूमिका अत्यंत महत्वपू्र्ण है। एक ओर भारत रूस से रक्षा तकनीक और तेल की खरीद जारी रखे हुए है, वहीं दूसरी ओर वह अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी मजबूत कर रहा है। वहीं, पीएम मोदी का आसियान दौरा भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को प्रदर्शित करने का भी मौका होगा।

आसियान सम्मेलन में भारत की प्राथमिकता आसियान-इंडिया ट्रेड इन गुड्स एग्रीमेंट की समीक्षा पर रहेगी। यह समझौता दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार को नई दिशा देने में मदद करेगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग, समुद्री स्थिरता और आर्थिक साझेदारी पर भी अपने विचार सबके सामने रखेंगे।

भारत की नीति हमेशा से “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” पर आधारित रही है, जिसके तहत वह आसियान देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को गहरा करने पर जोर देता है। यह नीति चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करती है।

क्वाड समूह के भीतर भी भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। पिछले साल भारत ने गणतंत्र दिवस के मौके पर क्वाड नेताओं को आमंत्रित किया था, लेकिन उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पन्नून केस के चलते यह न्यौता अस्वीकार कर दिया था। उसके बाद क्वाड शिखर सम्मेलन सितंबर 2024 में अमेरिका में हुआ। वहीं, इस बार ट्रंप के नेतृत्व में रूसी तेल खरीद और ब्रिक्स मुद्रा गठबंधन के चलते अमेरिका का रुख थोड़ा कठोर है।

कुआलालंपुर सम्मेलन में इन सभी राजनीतिक परिस्थितियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी का एजेंडा बेहद व्यस्त रहेगा। आसियान नेताओं के साथ औपचारिक वार्ता के अलावा, वे क्वाड और ब्रिक्स से जुड़े कई नेताओं से द्विपक्षीय बैठकों में भी मिल सकते हैं।

इस बीच, आसियान सचिवालय ने भी भारत की भूमिका को सराहते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की “समान दूरी की कूटनीति” ने क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में योगदान दिया है। भारत न केवल इंडो-पैसिफिक में एक संतुलन शक्ति के रूप में उभरा है, बल्कि वैश्विक व्यापार और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में भी अहम भागीदार बनता जा रहा है।

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