29 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान सरकार ने ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। यह पहला मौका है जब एक सक्रिय ISI चीफ को NSA बनाया गया है। जानकार इसे न सिर्फ भारत के साथ बढ़ते तनाव बल्कि पाकिस्तान के भीतर संभावित सैन्य तख्तापलट की तैयारी के रूप में देख रहे हैं। यह पद 3 अप्रैल 2022 से खाली पड़ा था और तीन साल बाद अचानक इसे भरा जाना कई सवाल खड़े करता है। असीम मलिक की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं, और वहां सेना को अलर्ट पर रखा गया है...
📍नई दिल्ली | 7 hours ago
Coup in Pakistan?: पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर से बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। सरकार ने 29 अप्रैल 2025 को एक अधिसूचना जारी कर ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। यह पहली बार है, जब एक सक्रिय ISI प्रमुख को NSA की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि इस कदम को भारत-पाक के बीच चल रहे तनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। लेकिन जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति को देखते हुए किया गया है। वहीं, कई विशेषज्ञ इसे सैन्य तख्तापलट की आहट मान रहे हैं, खासकर तब जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में हैं और उनकी पार्टी PTI पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
Coup in Pakistan?: NSA का पद कब से खाली था?
पाकिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का पद 3 अप्रैल 2022 से खाली था। इस दिन मोईद यूसुफ ने NSA पद से इस्तीफा दे दिया था। मोईद यूसुफ को 17 मई 2021 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने NSA नियुक्त किया था। वह पाकिस्तान के 9वें NSA थे और उनके पास फेडरल कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा था। मोईद यूसुफ ने इस्तीफा अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (Coup in Pakistan) और सत्ता परिवर्तन के बाद दिया था। 10 अप्रैल 2022 को इमरान खान की सरकार गिर गई, और शहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री बने। जिसके बाद मोईद यूसुफ ने पद छोड़ दिया, क्योंकि वह खान के करीबी माने जाते थे।
इसके बाद 3 अप्रैल 2022 से 30 अप्रैल 2025 तक, यानी लगभग 3 साल और 27 दिन (करीब 37 महीने) तक NSA का पद खाली रहा। इस दौरान शहबाज शरीफ सरकार ने किसी को भी इस पद पर नियुक्त नहीं किया।
Coup in Pakistan?: क्यों नहीं भरा ये पद?
हालांकि शहबाज शरीफ सरकार ने NSA पद को खाली रखने का कोई आधिकारिक कारण (Coup in Pakistan) तो जाहिर नहीं किया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेना और सरकार के बीच तनाव का नतीजा था। सेना का प्रभाव बढ़ने और सरकार की कमजोर स्थिति के चलते यह पद रिक्त रहा। इसके अलावा, इमरान खान और उनकी पार्टी PTI पर दबाव डालने के लिए भी सेना इस पद को भरने से बचती रही, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसले सीधे सेना के नियंत्रण में रहें। वहीं अब आईएसआई चीफ मलिक की नियुक्ति से यह नियंत्रण और मजबूत हो गया है।
क्या था अधिसूचना में?
पाकिस्तान सरकार के कैबिनेट सचिवालय ने 29 अप्रैल 2025 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक, जो ISI के डायरेक्टर जनरल (DG ISI) हैं, को तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का अतिरिक्त प्रभार (Coup in Pakistan) दिया गया है। अधिसूचना पर कैबिनेट सेक्रेटरी कमरान अली अफजल और सेक्शन ऑफिसर मुहम्मद मीसम ने दस्तखत किए हैं। यह अधिसूचना गजट ऑफ पाकिस्तान में प्रकाशित की जाएगी और इसे सभी मंत्रालयों, प्रांतों और संबंधित विभागों को भेजा गया है।
Embarrassed & Exposed!
After facing heat over viral images, Pakistan has quietly re-hoisted flags on a few border posts along the LoC & IB.
In the past 48 hours, fearing Indian retaliation, Pakistan had removed flags from multiple posts. Now, under scrutiny, they’re back up.… pic.twitter.com/5R26sRJ9Pq— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) May 1, 2025
असीम मलिक की यह नियुक्ति इसलिए भी खास है, क्योंकि वह अख्तर अब्दुर रहमान खान (जिन्होंने 1979-1987 तक ISI प्रमुख और सिक्योरिटी एडवाइजर के तौर पर जिया-उल-हक के साथ काम किया) के बाद दूसरे ऐसे सैन्य अधिकारी बन गए हैं, जिन्हें यह दोहरी जिम्मेदारी दी गई है।
पहलगाम हमले का असर
यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब भारत और पाकिस्तान (Coup in Pakistan) के बीच तनाव चरम पर है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक मुखौटा संगठन माना जाता है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया और इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करना, वाघा-अटारी सीमा को बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना जैसे कदम कई कड़े उठाए।
वहीं भारत के इन कदमों और संभावित सैन्य जवाब (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक) ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी। सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने दावा किया कि भारत अगले 24-36 घंटों में हमला कर सकता है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तो यह तक कहा कि अगर भारत ने हमला किया, तो पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे संकट के बीच असीम मलिक की नियुक्ति को भारत के खिलाफ रणनीति बनाने के तौर पर देखा जा रहा है।
सैन्य तख्तापलट की आशंका
पाकिस्तान मामलों के जानकार प्रोफेसर सूर्य मलिक ने इस नियुक्ति को सैन्य तख्तापलट (Coup in Pakistan) की आहट बताया। उन्होंने कहा कि असीम मलिक का रिटायरमेंट अक्टूबर 2025 में और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का रिटायरमेंट नवंबर 2025 में होने वाला है। ऐसे में यह नियुक्ति एक सैन्य तख्तापलट की तैयारी हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मलिक की दोहरी भूमिका (ISI और NSA) मिलने के बाद पाकिस्तानी सेना राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों (Coup in Pakistan) को अपने हिसाब से कंट्रोल कर सकती है। उनका कहना है कि इससे यह भी साबित होता है कि सरकार पर इस समय पर सेना का पूरा नियंत्रण है। शहबाज शरीफ कमजोर प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने इसे “नागरिक संस्थानों का सैन्यीकरण” बताया, जो पाकिस्तान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरनाक हो सकता है।
इमरान खान और PTI पर बढ़ा दबाव
कुछ विशेषज्ञ इसे पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) के बाद इमरान खान के बयान से जोड़ कर देख रहे हैं। इस हमले के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, जो इस समय जेल में हैं, उन्होंने अपने आधिकारिक X अकाउंट के जरिए एक बयान जारी किया। यह बयान 29 अप्रैल 2025 को सामने आया, जिसमें खान ने हमले की निंदा की, भारत को चेतावनी दी, और शांति पर जोर दिया। इमरान खान ने अपने बयान में पहलगाम हमले (Coup in Pakistan) को “बेहद परेशान करने वाला और दुखद” बताया। उन्होंने हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और भारत पर कई गंभीर आरोप लगाए। वहीं, खान ने अपने देश की स्थिति पर भी टिप्पणी की और कहा, “दुख की बात है कि एक फर्जी फॉर्म-47 चुनाव परिणामों के जरिए थोपी गई अवैध सरकार ने राष्ट्र को बांट दिया है।”
वहीं इमरान खान (Coup in Pakistan) के इस बयान के बाद ही नया एनएसए नियुक्त करने का फैसला लिया गया। इस नियुक्ति का एक बड़ा असर इमरान खान और उनकी पार्टी PTI पर पड़ सकता है। इमरान खान इस समय जेल में हैं, और PTI पर सैन्य और सरकारी दबाव बढ़ता जा रहा है। एक सूत्र ने दावा किया कि सेना और सरकार इमरान खान को जेल में खत्म करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें PTI के नेता अली अमीन गंडापुर की मदद ली जा रही है। दावा किया जा रहा है कि गंडापुर को जल्द ही PTI का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है, ताकि खान का प्रभाव खत्म हो।
असीम मलिक ने पहले भी PTI के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। 2023 में मई 9 दंगों (जो खान की गिरफ्तारी के बाद भड़के थे) की जांच मलिक ने ही की थी, जिसमें PTI के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। उनकी NSA नियुक्ति से PTI पर दबाव और बढ़ सकता है। NSA के तौर पर वह राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर PTI के प्रदर्शनों को और दबा सकते हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सेना भारत के साथ तनाव का इस्तेमाल खान की रिहाई की मांग को दबाने के लिए कर रही है। उनकी नियुक्ति से PTI को और सख्ती का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, PTI समर्थक मलिक को “मुनीर का हथियार” मानते हैं, जो खान की रिहाई और उनकी पार्टी की गतिविधियों को रोकने के लिए काम करेगा।
पाकिस्तान में आंतरिक अस्थिरता
पाकिस्तान इस समय कई आंतरिक चुनौतियों (Coup in Pakistan) से जूझ रहा है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवादी हमले बढ़ रहे हैं। हाल ही में बलूच विद्रोहियों ने एक ट्रेन को हाईजैक कर 25 यात्रियों की हत्या कर दी थी। इसके अलावा, आर्थिक संकट ने भी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में सेना और ISI की भूमिका और मजबूत हो गई है।
असीम मलिक की नियुक्ति को सेना की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह भारत के साथ तनाव को बढ़ाकर जनता का ध्यान आंतरिक समस्याओं से हटाना चाहती है। सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर भी अपनी छवि सुधारने का दबाव है, क्योंकि खान की गिरफ्तारी के बाद उनकी लोकप्रियता में कमी आई है। मलिक की नियुक्ति से मुनीर को एक भरोसेमंद सहयोगी मिल गया है, जो उनकी रणनीतियों को लागू कर सकता है।
पहला PhD धारक ISI प्रमुख
असीम मलिक ISI के पहले डायरेक्टर जनरल हैं, जिनके पास डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) की डिग्री है। उन्होंने नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (NDU), इस्लामाबाद से अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर शोध करके यह डिग्री हासिल की। मलिक ने अमेरिका के फोर्ट लेवनवर्थ में पढ़ाई के दौरान “माउंटेन वॉरफेयर: द नीड फॉर स्पेशलिस्ट ट्रेनिंग” शीर्षक से एक थीसिस लिखी। यह थीसिस पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध की रणनीतियों पर केंद्रित थी। भारत-पाकिस्तान सीमा, खासकर लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) और PoK जैसे इलाकों से भी इसे जोड़ कर देखा जा रहा है।
मलिक एक सैन्य परिवार से आते हैं। उनके पिता, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) गुलाम मोहम्मद मलिक (जिन्हें “जनरल GM” कहा जाता था), 1990 के दशक में 10 कोर, रावलपिंडी के कमांडर थे और कश्मीर में LoC की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे। अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर मलिक ने फौज ज्वॉइन की। उन्होंने पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी (PMA) के 80वें लॉन्ग कोर्स में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जीता। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल नईम खालिद लोधी ने मलिक को “शांत लेकिन सम्मानित” अधिकारी बताया था।
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वहीं, मलिक ने एडजुटेंट जनरल (AG) के तौर पर मई 9, 2023 के दंगों की जांच की थी, जो इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भड़के थे। उन्होंने पूर्व ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू की और उसकी निगरानी की। हमीद पर भ्रष्टाचार और सैन्य अनुशासन तोड़ने के आरोप थे।